चीन को नजरअंदाज कर, मालदीव के राष्ट्रपति पहली विदेश यात्रा पर पहुंचे नई दिल्ली
नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह रविवार को अपनी तीन दिनों की यात्रा के लिए भारत पहुंचे हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद सोलिह की यह पहली विदेश यात्रा है। अपनी इस महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को स्थापित करने के लिए सोलिह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई है। इसी साल सिंतबर में अब्दुल्ला यामीन को हराकर सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे। रविवार को भारत पहुंचने पर केंद्रीय मंत्री एचएस पुरी ने गर्मजोशी से सोलिह का स्वागत किया।
एक पब्लिक इवेंट में सोलिह ने मालदीव और भारत को एक अच्छे मित्र देश बताते हुए महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार मुल्क बताया है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच नागरिक वीजा को सरल को सुगम बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। बता दें कि सोलिह के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री मोदी भी गए थे, जो पीएम बनने के बाद उनकी पहली मालदीव की यात्रा थी। यहां यह बात गौर करने वाली है कि राष्ट्रपति सोलिह ने 17 नवंबर को शपथ ग्रहण के बाद अपने भाषण में दुनिया के कई शक्तिशाली देशों के नामों का जिक्र न करते हुए केवल भारत का नाम लिया था।
सोलिह भारत में हैं और इस बीच नई दिल्ली ने मालदीव को 1.4 बिलियन डॉलर देने की घोषणा की है। पीएम मोदी ने सोमवार को सोलिह से मुलाकात कर सॉफ्ट लोन के साथ उनके शुरुआती बजट के लिए आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। सोमवार को राष्ट्रपति भवन में मालदीव के नए राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति कोविंद से भी मुलाकात थी।
चीन के करीब 3 बिलियन डॉलर के कर्ज में डूबे होने के बाद भी मालदीव सरकार ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। रिपोर्ट्स की मानें तो मालदीव की नई सरकार मदद के लिए भारत और सऊदी अरब की तरफ देख रही है। बता दें कि पिछले महीने मालदीव के विदेश मंत्री भारत की यात्रा की थी, उस दौरान नई दिल्ली ने 25 मिलियन डॉलर के मदद की घोषणा की थी।
सोलिह के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के बीच रिश्ते एक बार फिर पटरी पर आते दिख रहे हैं, जो यामीन के वक्त बिगड़ गए थे। चीन समर्थित मालदीव की यामीन सरकार ने भारत के साथ संबंधों को खराब करने में पूरी कोशिश की थी और काफी हद तक दोनों देशों के बीच तनाव देखने को मिला था। इसी साल जब मालदीव में राजनीतिक संकट खड़ा हुआ, तब यामीन ने आपातकाल लगा दिया और तभी भारत ने दखलअंदाजी करते हुए लोकतांत्रिक ढंग से मामले से निपटने के लिए कहा था।