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IBC 2019: मेक इन इंडिया ने पैदा किए हैं देश में रोजगार के अवसर

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नई दिल्‍ली। राजधानी दिल्‍ली में जारी इंडियन बैकिंग कॉन्‍क्‍लेव का आज दूसरा और आखिरी दिन था। सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च (सीईपीआर) की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में दूसरे दिन भी विशेषज्ञों का जमावड़ा था। जिन लोगों ने अपने-अपने विचार देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर रखे उनमें संस्‍था के उपाध्‍यक्ष अश्विन जौहर भी शामिल थे। सीईपीआर एक थिंक टैंक है जो केंद्र सरकार को आर्थिक मामलों में सलाह देने का काम करता है। अश्विन से वनइंडिया ने खास बातचीत में यह जानने की कोशिश की आखिर ऐसे समय में जब रोज अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर दिल दुखाने वाली खबरें आ रही हैं, पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्‍यवस्‍था, भारत कैसे बन सकता है।

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सरकार की कोशिशें जारी हैं

अश्विन ने कहा कि सरकार कई तरह के कदम उठा रही है। कैपिटल फ्लो के बिना इकोनॉमी में तेजी आना संभव नहीं। बैकिंग का मजबूत होना बहुत जरूरी है। सरकार की तरफ से कोशिश की जा रही है इस दिशा में ताकि निवेश में तेजी आए क्‍योंकि इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है। कुछ कमियां रह गईं हैं और सरकार को सुझाव भी दिए जा रहे हैं। बैकिंग सेक्‍टर के मर्जर और इंश्‍योरेंस सेक्‍टर के निजीकरण की बात हो रही है। सरकार की तरफ से रोज कोई न कोई फैसला लिया भी जा रहा है। हमें पूरी उम्‍मीद है कि कुछ न कुछ जरूर सकारात्‍मक होगा। बैकिंग वह सेक्‍टर है जिसका मजूबत होना काफी जरूरी है। इस दिशा में भी काम हो रहा है। बैंक, बिजनेस सेक्‍टर को लेकर अति रक्षात्‍मक हो रहे हैं और इस वजह से कहीं न कहीं असर पड़ रहा है। सरकार की तरफ से पैसा तो जारी किया जा रहा है लेकिन वह नीचे की तरफ नहीं पहुंच पा रहा है। इसे दूर करने की कोशिशें जारी हैं।

मेक इन इंडिया ने पैदा किए हैं रोजगार

हमने उनसे यह जानने की कोशिश की कि सरकार के मेक इन इंडिया प्रोजेक्‍ट से देश में रोजगार के स्‍तर पर कितना असर पड़ा? इस पर भी अश्विन काफी सकारात्‍मक जवाब देते नजर आए। उन्‍होंने कहा कि मेक इन इंडिया ने काफी हद तक देश में रोजगार पैदा किया है। हालांकि इसमें कुछ गिरावट हुई थी और इसमें कई वजहें शामिल थीं। जब हमने उनसे जानने की कोशिश की कि आज से दो या तीन साल बाद देश की अर्थव्यवस्‍था कहां पर होगी, तो उनका जवाब था कि जीडीपी कुछ समय बाद एक बेहतर स्थिति में होगी। अश्विन जौहर का मानना है कि भारत एक तेजी से बढ़ती कन्‍जयूमर बेस्‍ड इकोनॉमी है और यही सबसे बड़ा सकारात्‍मक संकेत है।

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English summary
IBC 2019: There are some drawbacks but still one should be hopeful for economy.
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