IBC 2018: वित्तीय सुरक्षा भी राष्ट्रीय सुरक्षा के बराबर ही महत्वपूर्ण - किरण रिजिजू
नई दिल्ली। इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव (IBC)में हो विचार-विमर्श से एक बात साफ उभरी है की अगर हमे भारत को एक विकसित देश बनाना है तो बैंकिंग को एक गंभीर व्यवसाय के तौर पर लेना होगा और इसे गंभीरता से किया जाना चाहिए। बैंकिंग पर सामाजिक समावेश की भी ज़िम्मेदारी है।
वित्तीय
सुरक्षा
भी
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
बराबर
कार्यक्रम
में
चीफ
गेस्ट
के
तौर
पर
आए
केंद्रीय
गृह
राज्य
मंत्री
किरण
रिजिजू
ने
कहा
कि
वित्तीय
सुरक्षा
भी
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
बराबर
ही
महत्वपूर्ण
है,
आप
तब
तक
एक
नागरिक
के
रूप
में
गर्व
नहीं
कर
सकते
जब
तक
आपके
पास
वित्तीय
सुरक्षा
न
हो।
रिजिजू
ने
अपने
बचपन
के
दिनों
को
याद
करते
हुए
कहा
कि
जब
मैं
नवीं
में
पढ़ता
था
तो
मैने
बैंक
में
खाता
खुलवाया,
मेरा
नंबर
19
था
यानी
बहुत
कम
लोगों
ने
खाते
खुलावाए
थे,
मतलब
बड़ी
संख्या
में
लोग
बैंकिंग
क्षेत्र
से
बाहर
थे।
रिजिजू
ने
आगे
कहा
कि
अगर
आप
विश्व
के
फॉर्च्यून
500
संस्थानों
को
देखते
हैं
तो
इसमें
केवल
एसबीआई
ही
एकमात्र
भारतीय
बैंक
है
और
इस
सूची
में
हमारी
सिर्फ
सात
कंपनियां
हैं
।
शीर्ष
100
में
कोई
भारतीय
बैंक
क्यों
नहीं
है?
दो
चीन
के
बैंकों
ने
विश्व
बैंक
की।।
तुलना
में
ज्यादा
ऋण
दिए
हैं।
रिजजू
ने
देश
में
बैंक
खातों
पर
कहा
कि
अब
हमने
32
करोड़
बैंक
खाते
की
संख्या
को
पार
कर
लिया
है
लेकिन
अब
तक
आम
लोग
इससे
बाहर
क्यों
थे।
संकट
के
समय
सख्त
फैसलों
की
जरूरत
एनपीए
पर
किरण
रिजिजू
ने
कहा
कि
इस
बारे
में
उठाए
गए
कुछ
कठोर
कदमों
के
परिणाम
अब
दिखने
लगे
हैं।
हालांकि,
इनसे
कुछ
लोगों
को
समस्या
हो
रही
है
लेकिन
हमे
ये
समझना
होगा
कि
संकट
की
स्थितियों
में
कठोर
निर्णय
की
जरूरत
होती
है।
देश
को
बीमारी
का
सामना
करना
पड़
रहा
था
जिसके
लिए
ऑपरेशन
की
जरूरत
थी
और
इससे
हम
स्वस्थ
होकर
उभरेंगे।
इसी
तरह
जीएसटी
जरूरी
था,
लेकिन
सिर्फ
इसलिए
कि
कुछ
लोग
असहज
महसूस
कर
रहे
थे
तो
उनके
लिए
देश
नहीं
रुक
सकता।
रिजजू
ने
कहा
कि
कल्याणकारी
योजनाएं
बैंकिंग
की
मदद
के
बिना
विफल
हो
जांएगी
और
बैंकिंग
को
भारत
सरकार
की
इन
योजनाओं
को
सफल
बनाने
के
लिए
अतिरिक्त
कदम
उठाने
होंगे।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव सुनील अम्बेकर ने भी अपनी बात रखी और कहा कि लोग देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आतुर हैं और हमारी अर्थव्यवस्था लोगों की आकांक्षा के साथ बढ़ रही है। अम्बेकर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में बैंकिंग को सही ढंग से पढ़ाया नहीं जाता है और अगर बैंकों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना है तो विश्वविद्यालय को कॉर्पोरेट बैंकिंग के अलावा बैंकिंग के अन्य पहलू भी सिखाने होंगे। बैंकिंग को लोगों के अनुकूल विकसित किया जाना चाहिए।
ये भी पढ़े:- अपनी शादी के जोड़े में सड़क पर भागी चली आई दुल्हन, वजह जान वहां खड़े लोग भी रह गए हैरान