धारा 370 हटाने पर इस्तीफा देने वाले IAS कन्नन को सरकार ने फिर बुलाया, क्या दिया उन्होंने जवाब?
बेंगलुरु। जम्मू कश्मीर से अनुच्देद 370 हटाए जाने के बाद कथित रुप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से इनकार पर नौकरी से अपना इस्तीफ दे देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपनाथ को सरकार ने देश पर कोरोना के रुप में आई विपदा की घड़ी में फिर से आईएएस की नौकरी ज्वाइन करने को कहा और इस जंग में देश का साथ देते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने को कहा हैं। जानिए आईएएस कन्नन ने क्या जवाब दिया ?
ठुकराया सरकार का प्रस्ताव, कहा-स्वयंसेवी के रूप में मदद दूंगा
केरल बाढ़ के हीरो कहे जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने दोबारा पदभार संभालने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि वह संकट के समय एक वॉलनटियर के रूप में सरकार की मदद करेंगे लेकिन आईएएस अधिकारी के रूप में नहीं। इसी के साथ उन्होंने केंद्र सरकार पर उत्पीड़न के आरोप भी लगाए हैं। बताा दें उनका आरोप था कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है। बता दें कन्नन गोपीनाथन ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के मामले को लेकर इस्तीफा सौंप दिया था। उनका आरोप था कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है।
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ट्वीटर पर शेयर की मन की ये बात
ये बात गोपीनाथन ने अपने ट्ववीटर एकाउंट पर साक्षा की । उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडिल पर सरकार की तरफ से जारी पत्र की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा कि आईएएस के रूप में दोबारा ड्यूटी जॉइन के लिए सरकार की तरफ से लेटर भेजा गया है। मैं कोविड -19 महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में तन, धन और मन में अपनी सभी सेवाओं का विस्तार करता हूं लेकिन यह एक स्वतंत्र और जिम्मेदार नागरिक के रूप में होगा, आईएएस अधिकारी के रूप में नहीं।'
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'स्वयंसेवी के रूप में मदद करूंगा, पदभार नहीं संभालूंगा'
उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि मेरा सरकार को जवाब है, मुझे इस्तीफा दिए हुए लगभग 8 महीने हो चुके हैं। सरकार केवल उत्पीड़न करना जानती है। लोगों का और अधिकारियों का। मैं जानता हूं कि वे मुझे आगे भी प्रताड़ित करना चाहते हैं लेकिन फिर भी मैं सरकार को इस कठिन समय में एक स्वयंसेवी के रूप में मदद दूंगा लेकिन आईएएस अधिकारी के रूप में दोबारा जॉइन नहीं करूंगा।'
केरल बाढ़ में ऐसे किया था काम
गौतरलब है कि अगस्त 2018 में जब केरल में भीषण बाढ़ आई थी तो कन्नन गोपीनाथ सुर्खियों में आए थे। वह अपने गृह राज्य पहुंच गए थे और गुमनाम तरीके से राहत तथा बचाव कार्य में हिस्सा लिया था। उनके इस भेद का खुलासा तब हुआ जब एर्नाकुलम के कलेक्टर के मोहम्मद वाई सफिरुल्ला ने एक कलेक्शन सेंटर में उन्हें पहचान लिया। इस बाढ़ राहत में स्वयंसेवा से गोपीनाथ को संतुष्टि तो मिली लेकिन उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। केंद्रशासित प्रदेश बाढ़ पीड़ितों की मदद किस तरह से कर सकते हैं, इसकी रिपोर्ट नहीं देने पर कन्नन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के है आईएएस अधिकारी
केरल के रहने वाले कन्नन केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे। वह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। सिविल सेवा परीक्षा में कन्नन ने 59वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की थी। आईएएस बनने से पहले वह एक निजी कंपनी में डिजाइन इंजीनियर थे। कन्नन गोपीनाथन ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के मामले को लेकर ये आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है।
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