ये नेताजी जो अब खेल रहे हैं राजनीतिक पारी, पहले बजाते थे सरकारी हुक्म
नई दिल्ली। कहा जाता है कि देश में, राज्य में सरकार किसी की भी हो लेकिन असल में उसे चलाते नौकरशाह ही हैं। क्योंकि इनका सरकार में सीधा दखल रहता है और राजनेताओं के साथ काम करते हैं तो कई बार इनमें से कईयों की राजनीतिक महत्वकांक्षा भी उभर आती है। इसके बाद फिर सीधे होता है राजनीति में प्रवेश। अभी हाल ही में रयपुर के कलेक्टर ओ.पी. चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया है। चौधरी रायगढ़ की खरसिया सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं । छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चौधरी पहले ऐसे प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नहीं रहे हैं जो राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं। इस वक्त राजनीति में कई ऐसे लोग हैं जो पूर्व में अधिकारी रहे और अब सक्रीय राजनीति कर रहे हैं।
अधिकारी से बने नेताजी
यशवंत
सिन्हा
पटना
में
पैदा
हुए
यशवंत
सिन्हा
1960
में
आईएएस
बने
और
1984
तक
नौकरशाह
रहे।
वो
1990-91
में
जनता
दल
के
सदस्य
के
रूप
में
चंद्रशेखर
के
केंद्रीय
मंत्रिमंडल
में
वित्त
मंत्री
रहे।
फिर
बीजेपी
का
दामन
थामा
और
अटल
बिहारी
वाजपेयी
के
नेतृत्व
में
बनी
एनडीए
सरकार
में
वित्त
मंत्री
और
विदेश
मंत्री
रहे।
2018
में
बीजेपी
के
शीर्ष
नेताओं
के
साथ
उनकी
जमी
नहीं
और
उन्होंने
बीजेपी
छोड़
दी।
मणिशंकर
अय्यर
लाहौर
में
पैदा
हुए
मणिशंकर
अय्यर
1963
में
भारतीय
विदेश
सेवा
में
शामिल
हुए।
1989
में
राजनीति
में
शामिल
होने
के
लिए
सेवानिवृत्त
हो
गए।
अय्यर
1991
में
तमिलनाडु
की
मयला
दुराई
लोकसभा
सीट
से
चुनाव
जीते।
मणिशंकर
ने
सरकार
में
विभिन्न
पदों
पर
काम
किया।
उन्होंने
2004
से
2006
तक
पेट्रोलियम
और
प्राकृतिक
गैस
मंत्रालय
का
कार्यभार
संभाला,
2006
से
2008
तक
युवा
और
खेल
मामलों
के
मंत्री
रहे
और
2008-09
में
उन्हें
पूर्वोत्तर
क्षेत्र
के
विकास
का
जिम्मा
मिला।
उन्होंने
2014
के
लोकसभा
चुनाव
अभियान
के
दौरान
कहा
था
कि
चायवाला
कैसे
प्रधानमंत्री
बन
सकता
है
और
फिर
गुजरात
विधानसभा
चुनाव
में
पीएम
मोदी
के
खिलाफ
नीच
शब्द
का
इस्तेमाल
उन्हें
भारी
पड़ा।
पार्टी
ने
बाहर
का
रास्ता
दिखाया।
हालांकी
हाल
ही
में
उनका
निलंबन
खत्म
कर
दिया
गया।
अजीत
जोगी
1968
बैच
के
आईएएस
अधिकारी
अजीत
जोगी
ने
जब
राजनीति
में
शामिल
होने
का
फैसला
किया
तो
वो
उस
वक्त
जिला
कलेक्टर
थे।
वो
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
द्वारा
प्रोत्साहित
करने
के
बाद
कांग्रेस
में
शामिल
हुए
और
बाद
में
छत्तीसगढ़
के
पहले
मुख्यमंत्री
बने।
इसके
बाद
जोगी
पर
कई
अपराधों
और
भ्रष्टाचार
के
आरोप
लगे
और
2016
में
कांग्रेस
से
उनके
बेटे
अमित
जोगी
के
निष्कासन
के
बाद
अजीत
जोगी
ने
भी
कांग्रेस
का
दामन
छोड़
दिया
।
अब
जोगी
ने
अपनी
अलग
पार्टी
छत्तीसगढ़
जनता
कांग्रेस
बनाई
है।
यूपी: पुलिस थाने के ठीक बगल में बार बालाओं ने लगाए ठुमके, हवा में उड़ाए गए नोट
अधिकारी से बने नेताजी
मीरा
कुमार
बिहार
के
आरा
में
पैदा
हुंई
मीरा
कुमार
2009
से
2014
तक
लोकसभा
की
पहली
महीला
अध्यक्ष
रहीं।
उनके
पिता
बाबू
जगजीवन
राम
ने
भारत
के
चौथे
उप
प्रधानमंत्री
रहे
थे।
मीरा
कुमार
भारतीय
विदेश
सेवा
में
1973
में
आईं
और
लगभग
एक
दशक
से
अधिक
समय
तक
अपनी
सेवाएं
दी।
कुमार
ने
1985
में
बिजनौर
उपचुनाव
में
राम
विलास
पासवान
और
मायावती
को
हराकर
राजनीति
में
धमाकेदार
एंट्री
की।
वो
2004
में
यूपीए
सरकार
में
सामाजिक
न्याय
एवं
अधिकारिता
मंत्री
भी
रहीं।
2017
में
कांग्रेस
ने
उन्हे
राष्ट्रपति
चुनाव
में
भी
उतारा
लेकिन
वो
राम
नाथ
कोविंद
से
हार
गईं।
नटवर
सिंह
1953
में
नटवर
सिंह
भारतीय
विदेश
सेवा
में
शामिल
हुए
और
31
वर्षों
तक
सेवा
दी।
1984
में
उन्होंने
आईएफएस
छोड़
दी
और
कांग्रेस
में
शामिल
हो
गए।
वो
भरतपुर,
राजस्थान
से
आठवीं
लोक
सभा
में
चुने
गए
और
उसी
वर्ष
उन्हें
पद्म
भूषण
से
भी
सम्मानित
किया
गया।
985
में
वो
राजीव
गांधी
की
सरकार
में
स्टील,
कोयले,
खनन
और
कृषि
मंत्रालयों
में
राज्य
मंत्री
बने।
मनमोहन
सिंह
की
यूपीए
सरकार
में
विदेश
मामलों
के
मंत्री
का
कर्याभार
संभाला।
लेकिन
तेल
के
लिए
अनाज
घोटाले
में
उनके
बेटे
जगत
का
नाम
आने
के
बाद
उन्हें
मंत्रिमंडल
से
बाहर
कर
दिया
गया
था।
अरविंद
केजरीवाल
केजरीवाल
ने
1992
में
भारतीय
राजस्व
सेवा
को
ज्वाइन
किया।
कुछ
साल
बाद
वो
सूचना
का
अधिकार
की
मांग
को
लेकर
कार्यकर्ता
बन
गए
और
उन्हें
2006
में
उभरते
नेतृत्व
के
लिए
रेमन
मैगसेसे
पुरस्कार
मिला।
अन्ना
हजारे
के
नेतृत्व
में
2011
में
हुए
भ्रष्टाचार
विरोधी
आंदोलन
और
लोकपाल
आंदोलन
में
केजरीवाल
एक
प्रमुख
चेहरा
थे।
2012
में
केजरीवाल
ने
आम
आदमी
पार्टी
बनाई
और
आज
केजरीवाल
दिल्ली
के
मुख्यमंत्री
हैं।
मोदी सरकार में भी अधिकारी बने नेता
हरदीप
सिंह
पुरी
पुरी
वर्तमान
में
स्वतंत्र
प्रभार
के
साथ
आवास
और
शहरी
मामलों
के
मंत्री
हैं।
पुरी
1974
में
भारतीय
विदेश
सेवा
में
शामिल
हुए
और
ब्रिटेन
और
ब्राजील
के
राजदूत
के
रूप
में
काम
किया।
उन्होंने
2011-12
में
संयुक्त
राष्ट्र
सुरक्षा
परिषद
की
आतंकवाद
विरोधी
कमेटी
के
अध्यक्ष
के
रूप
में
भी
काम
किया।
पुरी
जनवरी
2014
में
बीजेपी
में
शामिल
हुए
और
सितंबर
2017
में
उन्हें
मंत्री
परिषद
में
शामिल
कर
लिया
गया।
राज
कुमार
सिंह
राज
कुमार
सिंह
1975
बैच
के
बिहार-कैडर
के
पूर्व
आईएएस
अधिकारी
हैं।
इन्होंने
केंद्रीय
गृह
सचिव
के
रूप
में
भी
काम
किया।
सिंह
समस्तीपुर
के
जिला
मजिस्ट्रेट
थे
जब
बीजेपी
नेता
लाल
कृष्ण
आडवाणी
को
1990
में
उनकी
रथ
यात्रा
के
दौरान
गिरफ्तार
किया
गया
था।
सिंह
2013
में
भाजपा
में
शामिल
हो
गए
और
अभी
बिजली,
नवीन
एवं
नवीकरणीय
ऊर्जा
के
राज्य
मंत्री(स्वतंत्र
प्रभार
)
के
तौर
पर
काम
देख
रहे
हैं।
सत्यपाल
सिंह
सत्यपाल
सिंह
महाराष्ट्र
कैडर
के
1980
बैच
के
पूर्व
भारतीय
पुलिस
सेवा
के
अधिकारी
हैं।
उन्होंने
मुंबई
के
पुलिस
आयुक्त
के
रूप
में
भी
काम
किया।
1990
के
दशक
के
दौरान
मुंबई
में
संगठित
अपराध
सिंडिकेट
को
खत्म
करने
में
भी
उन्होंने
एक
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभाई।
2014
में
उन्होंने
मुंबई
पुलिस
प्रमुख
के
पद
से
इस्तीफा
दिया
और
भाजपा
में
शामिल
हो
गए।
उन्होंने
2014
के
आम
चुनावों
में
बागपत
सीट
पर
चुनाव
लड़ा
और
जीते
और
वर्तमान
में
मानव
संसाधन
विकास
राज्य
मंत्री
हैं।
अल्फोन्स
कन्नंतनम
केरल
के
कोट्टायम
जिले
से
आने
वाले
अल्फोन्स
कन्नंतनम,
1979
बैच
के
सेवानिवृत्त
आईएएस
अधिकारी
हैं।
1990
के
दशक
में
दिल्ली
विकास
प्राधिकरण
के
कमिश्नर
के
रूप
में
काम
करते
हुए
अल्फोन्स
ने
कई
अवैध
इमारतों
को
गिराया
और
10,000
करोड़
रुपये
से
अधिक
की
भूमि
को
अवैध
कब्जों
से
छुड़ाया।
वो
2006
में
आईएएस
के
पद
से
सेवानिवृत्त
हुए
और
लेफ्ट
डेमोक्रेटिक
फ्रंट
के
समर्थन
के
साथ
उसी
साल
कोट्टायम
में
कंजिरप्पाली
से
एक
स्वतंत्र
विधायक
के
रूप
में
चुने
गए।
वो
2011
में
बीजेपी
में
शामिल
हो
गए
और
छह
साल
बाद
राजस्थान
से
राज्यसभा
सांसद
बने।
अल्फोन्स
कन्नंतनम
इस
वक्त
इलेक्ट्रॉनिक्स
और
सूचना
प्रौद्योगिकी
राज्य
मंत्री
के
साथ-साथ
राज्य
मंत्री
पर्यटन
(स्वतंत्र
प्रभार)के
तौर
पर
नरेंद्र
मोदी
मंत्रिमंडल
में
हैं।
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