'पाकिस्तानी रेडियो से ऐलान हुआ, मेरा भाई उनकी गिरफ्त में है...जो आज तक नहीं लौटा'
पाकिस्तानी रेडियो चैनल पर खबर आई कि भारतीय वायुसेना के एक पायलट को उन्होंने पकड़ लिया है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान में सीमा पर चल रहे तनाव के बीच बुधवार को खबर आई कि भारतीय वायुसेना के एक विंग कमांडर को पाकिस्तान ने बंधक बना लिया है। विंग कमांडर के बंधक बनाए जाने की खबरों के बीच 74 साल के जीएस गिल को अपने उस भाई की याद आई, जिसे पाकिस्तान ने बंधक बनाया था। करीब 47 साल पहले, 13 दिसंबर 1971 को युद्ध के दौरान एक पाकिस्तानी रेडियो चैनल से घोषणा हुई कि उनके मुल्क ने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर हर्सेर्न सिंह गिल को बंधक बना लिया है। जीएस गिल के भाई विंग कमांडर कभी लौटकर वापस नहीं आए।
'वो पाकिस्तान में ही कहीं होगा और सही होगा'
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, देहरादून में रहने वाले जीएस गिल कहते हैं, 'लेकिन, मुझे उम्मीद है कि हमारे विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान, जिन्हें पाकिस्तान ने बंधक बनाया है, जल्द ही अपने घर वापस आएंगे। मैं उनकी सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। पाकिस्तान को हमारे विंग कमांडर को सुरक्षित वापस करना चाहिए। अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए होते, तो आज जो कुछ हो रहा है, इसकी नौबत ना आती। अपने भाई को लेकर मुझे आज भी उम्मीद है कि वो पाकिस्तान में ही कहीं होगा और सही-सलामत होगा।'
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'हम उसे कभी वापस नहीं ला पाए'
अपने भाई को याद करते हुए जीएस गिल ने बताया, 'पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू होने के करीब 10 दिन बाद, 13 दिसंबर 1971 को एक पाकिस्तानी रेडियो चैनल पर मेरे भाई के बंधक बनाए जाने की खबर आई। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना के एक पायलट को उन्होंने पकड़ लिया है। मेरे भाई का MIG-21 विमान पाकिस्तान के बाडिन इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। बाद में युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए कुछ सैनिक, जो भारत वापस लौटे, उन्होंने भी हमें बताया कि मेरा भाई पाकिस्तान में ही है, लेकिन हम उसे कभी वापस नहीं ला पाए। बाद में, पाकिस्तान ने भी पूरी तरह से इनकार कर दिया और कभी ये स्वीकार नहीं किया कि उन्होंने उसे पकड़ा था।'
'आतंकवाद के खिलाफ हम देश के साथ'
जीएस गिल आगे बताते हैं, 'मैं ये नहीं कहता कि भारत सरकार ने मेरे भाई को तलाशने के लिए कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन वो प्रयास काफी नहीं थे और ना ही सही समय पर किए गए। उसके लिए और ज्यादा कोशिशों की जरूरत थी। हालांकि मेरे भाई को बाद में सरकार द्वारा मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन हमारी उम्मीद कभी नहीं मरी और हमें आज भी विश्वास है कि वो पाकिस्तान में ही कहीं जीवित होगा। भारतीय सेना के एक मेजर अशोक सूरी ने युद्ध खत्म होने के बाद अपने परिवार को एक चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने लिखा कि वह, 20 अन्य अफसरों के साथ पाकिस्तान में कैद हैं। लेकिन, काफी कोशिशों के बाद भी मेजर सूरी या मेरे भाई से हमारा कभी कोई संपर्क नहीं हो पाया। हम नहीं जानते कि मेरे भाई के साथ वहां क्या हुआ, लेकिन हमारे लिए वो आज भी जीवित है। हमारा परिवार आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेनाओं की लड़ाई में हमेशा उनके साथ खड़ा है।'
'एयर स्ट्राइक के अलावा विकल्प क्या था'
जीएस गिल बताते हैं, 'हां, हम एक भारी दुख के दौर से गुजरे हैं, क्योंकि हमारा भाई लौटकर वापस नहीं आया। उसके दोनों बेटे उस वक्त बहुत छोटे थे और उन्होंने कभी विश्वास नहीं किया कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर भारत की एयर स्ट्राइक आतंकवाद के खिलाफ एक जंग है और इस जंग में हम अपने देश के साथ खड़े हैं। कई बार चेतावनी और सबूत सौंपने के बावजूद पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कभी कोई कदम नहीं उठाया। क्या भारत के पास इसके अलावा कोई विकल्प बचा था? हालांकि मैं किसी भी युद्ध के पक्ष में नहीं हूं।'
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