अगले दो वर्षों में IAF के पास होंगी सिर्फ 26 फाइटर स्क्वाड्रन, कैसे करेंगे चीन और पाक का सामना?
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को मिलने वाले फ्रेंच फाइटर जेट राफेल पर मचे बवाल के बीच ही आई एक रिपोर्ट ने हंगामा मचाकर रख दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो वर्षों में आईएफ के पास सिर्फ 26 ही फाइटर स्क्वाड्रन होंगी जबकि उसे जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। इस रिपोर्ट की मानें तो अगर देश में निर्मित लाइट कॉम्बेट जेट (एलसीए) और राफेल की सप्लाई सही समय पर हो जाती है तो भी स्क्वाड्रन की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह खबर इसलिए भी परेशान करने वाली है क्योंकि पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान लगातार अपनी हवाई ताकत में इजाफा कर रहे हैं।
आईएएफ के पास होंगी सिर्फ 26 स्क्वाड्रन
पाकिस्तान एयरफोर्स के पास अगले दो वर्षों के अंदर 25 फाइटर स्क्वाड्रन होंगी यानी आईएएफ से बस एक ही कम। वहीं चीन की पीएलए एयरफोर्स के पास 42 स्क्वाड्रन्स होंगी। इंडियन एक्सप्रेस ने कुछ आधिकारिक डॉक्यमेंट्स के हवाले से यह दावा किया है। वर्तमान समय में आईएएफ के पास 30 फाइटर स्क्वाड्रन्स हैं। साल 2021 और 2022 में यह संख्या घटकर सिर्फ 26 ही रह जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सोवियत संघ के दौर के मिग एयरक्राफ्ट की छह स्क्वाड्रन्स को वायुसेना से रिटायर कर दिया जाएगा।
छह की जगह सिर्फ दो नई स्क्वाड्रन
जहां छह स्क्वाड्रन्स को हटाया जाएगा तो वहीं दो ही स्क्वाड्रन्स शामिल होंगी, एक राफेल की और एक तेजस की। माना जा रहा है कि साल 2027 तक संख्या बढ़कर 30 पहुंच पाएगी जब तेजस की चार स्क्वाड्रन्स कमीशन होंगे। आईएएफ और हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच 83 तेजस मार्क 1ए का कॉन्ट्रैक्ट अभी तक साइन नहीं हुआ है। हर स्क्वाड्रन में आमतौर पर 18 एयरक्राफ्ट होते हैं।
साल 2002 में थीं 42 स्क्वाड्रन्स
इंडियन एयरफोर्स के पास साल 2002 में फाइटर स्क्वाड्रन्स की तय संख्या यानी 42 स्क्वाड्रन्स थीं। कारगिल की जंग के बाद एयरफोर्स ने सात स्क्वाड्रन को शामिल करने के लिए हरी झंडी दी थी और इसमें मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को शामिल करने की बात कही गई थी। साल 2007 में 126 एमएमआरसीए के लिए टेंडर निकाले गए थे। इसके बाद एयरफोर्स ने ट्रायल किया और फिर राफेल को चुना गया। तीन वर्षों तक चली बातचीत के बाद जून 2015 में इस डील को खारिज कर दिया गया।
अप्रैल 2015 में हुई थी राफेल की डील
अप्रैल 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने 36 राफेल फाइटर्स को खरीदने का फैसला किया। इसके अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने उस समय स्वीडन में बने ग्रिपेन और अमेरिकी फाइटर जेट एफ-16 को खरीदने के बारे में भी जानकारी दी थी। यह योजना वास्तविक रूप नहीं ले सकी और एचएएल से दिसंबर 2017 में 83 और तेजस फाइटर जेट्स की सप्लाई के लिए कहा गया। तेजस के उत्पादन और इसकी सप्लाई में देरी की वजह से स्क्वाड्रन पर संकट पैदा हो गया है। तेजस को अभी साल 2021 में फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिल सकता है। आठ वर्ष पहले इनीशियल ऑपरेशनल क्लीयरेंस हासिल हुआ था और तब से इसे सेना में शामिल करने का इंतजार ही किया जा रहा है।