AN-32: जानिए IAF के उन 13 बहादुर सैनिकों के नाम जो 100 घंटे से हैं लापता
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नई दिल्ली। 100 घंटे बीत चुके हैं और अभी तक भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 (AN-32) का कुछ पता नहीं लग सका है। सोमवार दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए टेक ऑफ किया था। आखिरी बार एक बजे एयरक्राफ्ट ने एटीसी से कॉन्टेक्ट किया और इसके बाद से ही इसका कुछ पता नहीं लग पा रहा है। एयरक्राफ्ट में आठ वायुसैनिकों समेत पांच सामान्य नागरिक थे जो एयरफोर्स से ही जुड़े थे। परिवारवालों को अपने घर जिगर के टुकड़ों के सही-सलमात वापस लौट आने का इंतजार है। एयरफोर्स भी अपने सैनिकों की तलाश में जी-जान एक किए हुए है।
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हर रैंक के ऑफिसर्स और जवान सवार
जिस एएन-32 के अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एयरफील्ड पर लैंडिंग का इंतजार हो रहा था, उस पर जो लोग सवार थे उसमें ऑफिसर्स की रैंक्स से लेकर वॉरेंट ऑफिसर तक थे। इन 13 वायुसैनिकों के नाम हैं-फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहित गर्ग, विंग कमांडर चार्ल्स, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष तंवर, स्क्वाड्रन लीडर विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट थापा, सार्जेंट अनूप, कॉरपोरल शारिन, वॉरेंट ऑफिसर केके मिश्रा, लीडिंग एयरक्राफ्ट मैन (एलएसी) पंकज, एलएसी एसके सिंह, एनसी राजेश कुमार और पुताली। एनसी यानी नॉन कॉम्बटेंट एनरोल्ड, ये लोग वायुसेना का ही हिस्सा होते हैं और असैन्य रोल के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं।
मां को बेटे का इंतजार
फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष तंवर जो हरियाणा के पलवल के रहने वाले हैं, इसी एयक्राफ्ट को उड़ा रहे थे। उनकी पत्नी संध्या जो खुद भी फ्लाइट लेफ्टिनेंट की रैंक पर हैं, उस दिन बतौर एटीसी ऑफिसर जोरहाट एयरबेस पर तैनात थीं। संध्या और आशीष की शादी पिछले वर्ष ही हुई थी और एक वर्ष बाद ही उन्हें नियति ने अलग कर दिया। संध्या के लिए यह पल और भी दर्दनाक बन गया क्योंकि उन्होंने अपने पति के एयरक्राफ्ट को रडार से गायब होते देखा। इस खबर को सुनकर आशीष के घरवालों का बुरा हाल है। उनकी मां रो-रोकर यही कह रही हैं कि कोई उनके बेटे को वापस ला दे।
वापसी के लिए हो रही हैं प्रार्थनाएं
आशीष की ही तरह 27 वर्ष के फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहित गर्ग के घरवाले भी अपने बेटे की सकुशल वापसी की उम्मीद लगाकर बैठे हैं। मोहित पटियाला जिले के सामना टाउन के रहने वाले थे। मोहित के पिता सुरेंद्र गर्ग और उनके भाई ऋषि गर्ग इस खबर को सुनते ही असम के लिए रवाना हो गए। मोहित के चाचा प्रेम पाल ने कहा कि उनके पिता को टीवी चैनल्स के जरिए एयरक्राफ्ट के गायब होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद मोहित की पत्नी आस्था को फोन किया गया। आस्था ने आईएफ अथॉरिटीज को कॉल करके जानकारी मांगी और तब उन्हें पता लगा कि मोहित भी इसी एयरक्राफ्ट पर सवार थे। इसके बाद आस्था ने घरवालों को जानकारी दी। मोहित की शादी भी पिछले वर्ष फरवरी में हुई थी। उनके घर वाले भी अपने बेटे की वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं।
चीन के बॉर्डर से बस 15 किलोमीटर दूर मेचुका
अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट सियांग में स्थित मेचुका एयरफील्ड चीन की विवादित सीमा से बस 15 किलोमीटर की दूरी पर है। मेचुका एयरफील्ड के आसपास काफी घना जंगल है और यह जगह समुद्र तल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर है। मेचुका एयरस्ट्रीप को एडवांस्ड लैडिंग ग्राउंड यानी एएलजी भी कहते हैं। इस एयरस्ट्रीप का प्रयोग मुख्यतौर पर आईएएफ असम से आने वाली जरूरी सामानों की सप्लाई यहां के लोगों तक करने के लिए करती है। एयरस्ट्रीप पर एएन-32 के अलावा हेलीकॉप्टर्स के लैंड कराने की भी सुविधा है। इसके रनवे को साल 2017 में बढ़ाकर 4,700 फीट किया गया था। इसके अलावा इसका जरूरी रेनोवेशन भी हुआ था।