राफेल जेट के लीडर शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह, जानिए कैसे उन्होंने रात के अंधेरे में टाला था एक बड़ा क्रैश
अंबाला। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के लिए तैयार फ्रेंच फाइटर जेट राफेल की लैंडिंग आज अंबाला में होगी। पांच राफेल का पहला बैच आज भारत पहुंचेगा। पांच राफेल के इस क्रू को ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लीड कर रहे हैं। ग्रुप कैप्टन हरकीरत एक शौर्य चक्र विजेता हैं। 12 साल पहले उन्होंने जिस तरह से एक क्रैश टाला था, उसकी मिसाल आज भी दी जाती है। भारत के राफेल खरीदने के बाद अब कुछ और देशों ने भी फ्रांस से इसकी मांग की है। अभी तक भारत के अलावा इजिप्ट और कतर की वायुसेनाएं इसका प्रयोग कर रही हैं। सोमवार को राफेल फ्रांस के मेरीनेक से भारत के लिए रवाना हुए थे।
यह भी पढ़ें- आज कितने बजे अंबाला में होगी 5 राफेल जेट की लैंडिंग
Recommended Video
ग्रुप कैप्टन रक्षा मंत्री के साथ गए थे फ्रांस
अंबाला में राफेल आईएएफ की उसी स्क्वाड्रन नंबर 17 का हिस्सा होगा जिसने कारगिल की जंग में अहम भूमिका अदा की थी। इस स्क्वाड्रन को गोल्डन एरो के नाम से भी जानते हैं। पांच राफेल के इस क्रू को ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह लीड कर रहे हैं। वह आईएएफ के एक सम्मानित ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता हैं। ग्रुप कैप्टन हरकीरत ही इस समय नंबर 17 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) हैं। ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह पिछले वर्ष अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस गए थे और इसके बाद से ही उनका नाम हर किसी की जुबान पर आ गया था।
साल 2009 में मिला था शौर्य चक्र
ग्रुप कैप्टन हरकीरत मिग-21 के ऐसे पायलट रहे हैं जिनकी फ्लांइग का लोहा आज तक उनके साथी और जूनियर मानते हैं। उनकी स्क्वाड्रन और बाकी एयरबेसेज पर कमीशन हासिल कर आए पायलट्स को उनकी मिसाल तक दी जाती है। साल 2009 में उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें मिग-21 को क्रैश होने से बचाने और अपनी भी जिंदगी की सुरक्षा करने में दिखाई गए उनके अदम्य साहस के लिए दिया गया था। ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह ने 23 सितंबर 2008 की रात एक ऐसे क्रैश को होने से बचाया जिसने उन्हें आईएएफ के बहादुर पायलटों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
क्या हुआ था 23 सितंबर 2008 की रात
12 साल पहले ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह स्क्वाड्रन लीडर की रैंक पर थे। 23 सितंबर 2008 की रात को वह दो एयरक्राफ्ट प्रैक्टिस इंटरसेप्शन सॉर्टी पर मिग-21 बाइसन एयरक्राफ्ट को लेकर रवाना हुए। उनका जेट चार किलोमीटर की ऊंचाई पर इंटरसेप्शन के चरण में था और इसी समय पायलट ने स्पीड को थोड़ा बढ़ाया। इसी दौरान ग्रुप कैप्टन हरकीरत को इंजन से जोरदार आवाज सुनाई दी। अवॉर्ड साइटेशन में लिखा गया, 'उन्होंने रीहीट को ऑफ कर दिया। लेकिन जेट हर मिनट रोटेट कर रहा था और जेट पाइप का तापमान भी बढ़ता जा रहा था। इससे पता लगा रहा था कि इंजन में आग लगी है।' इसका नतीजा यह हुआ कि स्पीड खत्म हो गई और जेट तेजी से नीचे आने लगा।
अंधेरे में मिग-21 को था संभालना
एक युवा स्क्वाड्रन लीडर सिंह की फ्लाइट खत्म हो चुकी थी और हीट-अप डिस्प्ले में जितना डाटा था वह भी चला गया। साथ की बाकी का डाटा भी पूरी तरह खो गया था। कॉकपिट की लाइट्स ऑफ हो गईं और बस बैटरी से चलने वाली इमरजेंसी फ्लड लाइट ही उन्हें मिल पा रही थी। रेगिस्तान के ऊपर रात के अंधेरे में सिर्फ कुछ लाइट्स के साथ मिग-21 को उड़ाना बहुत ही खतरनाक था वह भी तब जब जमीन पर कुछ ही लाइट्स मौजूद हो। कॉकपिट की लाइट में जो उपकरण मौजूद थे, वह ठीक से नजर ही नहीं आ रहे थे। सिंह एक इमरजेंसी सिचुएशन में थे और उनके पास एक ऐसा जेट था जिसे काफी संवेदनशील माना जाता है।
तकनीकी खामी के बाद भी सफल लैंडिंग
इसके बाद स्क्वाड्रन लीडर सिंह ने जो किया उसने न सिर्फ उनकी जिंदगी बचाई बल्कि एयरक्राफ्ट को भी क्रैश होने से बचाया था। इतने बड़े संकट में भी उन्होंने अपना दिमाग शांत रखा और बहुत ही नियंत्रित तरीके प्रतिक्रिया दी। उन्होंने तुरंत ही अटैक की दिशा बदल दी जिसकी वजह से एयरक्राफ्ट का इंजन बंद नहीं हो सका। बिना देर किए सिंह ने हर वह कदम उठाया जो रिकवरी के लिए जरूरी था। वह यह सब रात के अंधेरे में कर रहे थे जब रोशनी न के बराबर थी। उन्हें सफलता मिली और कॉकपिट की लाइट वापस आ गई। इइसके बाद उन्होंने अपने बोर्ड के नेविगेशन सिस्टम का प्रयोग किया और ग्रांड कंट्रोल इंटरसेप्ट की मदद ली। इसके बाद सर्विलांस रडार अप्रोच की मदद से वह लैंड कर सके।
अपनी जिंदगी की भी परवाह नहीं
रात के अंधेरे में लैंडिंग अपने आप में एक बड़ा मिशन था और इस दौरान पायलट को अपनी सर्वोच्च क्षमताओं का प्रदशर्न करना होता है। जिस तरह के कौशल का प्रदर्शन युवा स्क्वाड्रन लीडर सिंह ने किया था उसकी वजह से एयरक्राफ्ट सफलतापूर्वक रिकवर हो पाया। साइटेशन के मुताबिक उन्होंने अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए भी एयरक्राफ्ट को क्रैश होने से बचाया। अगर उनका एक भी एक्शन गलत हो जाता तो फिर एक दर्दनाक हादसा हो सकता था। लैंडिंग के बाद उन्होंने रनवे को क्लीयर किया और इस तरह से दूसरे एयरक्राफ्ट की लैंडिंग आसान हो सकी। साइटेशन के मुताबिक उन्होंने कैटेगरी I का हादसा होने से बचाया था।