पाकिस्तान बॉर्डर के करीब अंबाला में IAF तैनात करेगी फ्रेंच फाइटर जेट राफेल को
नई दिल्ली। फ्रेंच फाइटर जेट राफेल इस वर्ष सितंबर में भारत आ जाएगा। राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट वही गोल्डन एरो स्क्वाड्रन होगी जिसे सन् 1999 में कारगिल की जंग के समय भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) चीफ, चीफ एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कमांड किया था। आईएएफ सूत्रों की ओर से न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से यह जानकारी दी गई है। एयरफोर्स चीफ धनोआ पहले ही राफेल को एक ताकतवर जेट बता चुके हैं।
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दूसरी स्क्वाड्रन चीन बॉर्डर के करीब
वायुसेना सूत्रों की ओर से कहा गया है, 'राफेल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को हासिल करने वाली पहली यूनिट 17 स्क्वाड्रन होगी। यह यूनिट पहले पंजाब के भटिंडा में थी और अब इसे हरियाणा के अंबाला में स्थानांतरित किया जाएगा।' वहीं इस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगी । यहां पर राफेल की स्क्वाड्रन को चीन से सटे बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए रखा जाएगा। आईएएफ की 17 स्क्वाड्रन ने कारगिल की जंग के समय मिग-21 को ऑपरेट किया था और इसके पास उस समय की नंबर प्लेट भी है। एयरफोर्स को पहला राफेल सितंबर 2019 में मिलेगा लेकिन भारत आने के बाद इसे 1,500 घंटे की गहन टेस्टिंग से गुजरना होगा। टेस्टिंग के दौरान इस बात को परखा जाएगा कि भारत की सेना के लिए इसमें जरूरी सभी बदलावों को अंजाम दिया गया है या नहीं। ऐसे में चार राफेल के साथ जेट्स का पहला बैच मई 2020 में अंबाला पहुंचेगा।
सितंबर 2016 में हुई थी डील
सितंबर 2016 में भारत ने फ्रांस की सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ 36 राफेल जेट की डील साइन की थी। यह डील करीब 7.8 बिलियन डॉलर कह थी और एयरफोर्स के पास कॉम्बेट स्क्वाड्रन की कमी की वजह से इस डील को काफी अहम माना गया था। इसके अलावा पाकिस्तान से सटे वेस्टर्न बॉर्डर को और मजबूत करने के लिए भी इस डील को मंजिल तक पहुंचाया गया था। आईएएफ की योजना राफेल की एक स्क्वाड्रन को उत्तर प्रदेश के सारस्वत एयरबेस पर तैनात करने की भी थी लेकिन जमीन के अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दों की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हरियाणा का अंबाला एयरबेस काफी अहम है। यह एयरबेस जगुआर एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन का बेस है और इस पर पाकिस्तान को प्रतिक्रिया देने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। युद्ध की स्थिति में इस एयरबेस से सबसे पहले जेट टेक ऑफ करेंगे।