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नागरिकता संशोधन बिल: अमित शाह बोले- हर सवाल का जवाब दूंगा, सदन से वॉकआउट मत करना

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Citizenship amendment bill Lok Sabha में पेश , Amit Shah-Adhir Ranjan Chowdhury में तीखी बहस

नई दिल्‍ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला बिल (नागरिकता संशोधन विधेयक) लोकसभा में पेश कर दिया। इसे लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया है। विपक्षी दल सहित पूर्वोत्तर के सांसद इसके खिलाफ हैं और इसे संविधान पर हमला बता रहे हैं। कांग्रेस संसाद अधिर रंजन चौधरी ने कहा कि आर्टिकल 13, आर्टिकल 14 को कमजोर किया जा रहा है। विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह अभी बिल पेश कर रहे हैं और विपक्षी सांसदों के एक-एक सवालों का जवाब देंगे।

बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं

बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं

उन्‍होंने कहा कि जब बिल पर चर्चा होगी तो आप वॉकआउट मत करिएगा। शाह ने यह भी कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्‍होंने कहा कि जब मैं विधेयक पर चर्चा करूंगा, उसके बाद सदन में सवाल करें। मैं उसका जवाब दूंगा, अभी बिल के मेरिट पर बात करें। आपको बता दें कि इस बिल को लेकर कांग्रेस का कहना है कि इसका पेश होना ही संविधान के खिलाफ है।

बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद को प्रभावित नहीं करता है

संसद में बिल पेश करने के बाद मचे हंगामे के बीच अमित शाह ने कहा कि बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद को प्रभावित नहीं करता है।

क्‍या है नागरिकता संशोधन बिल

क्‍या है नागरिकता संशोधन बिल

नागरिकता संशोधन विधेयक का उद्देश्य छह समुदायों - हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी - के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। बिल के जरिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके। चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है। खबरों के अनुसार, नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि 'गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे' लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके।

देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा।

English summary
I will answer all questions on the Bill: Amit Shah in Lok Sabha, to Opposition on Citizenship Amendment Bill.
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