बच्चों में होने वाली कावासाकी बीमारी का भारत में कोई मामला नहीं: ICMR
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के मामले 79.46 लाख के पार हो गए हैं। हालांकि ऐक्टिव केसों की संख्या घटकर 6.25 लाख से रह गई है। भारत में इस महीने में दूसरी बार 24 घंटे के अंदर 50 हजार से कम नए मामले सामने आए। वहीं इस दौरान मरने वालों की संख्या भी 500 से कम रही। कोविड काल में बच्चों को होने वाली एक कावासाकी बीमारी सामने आई है। आइसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि कावासाकी बीमारी एक ऑटो-इम्यून बीमारी है जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा है कि कावासाकी बीमारी एक ऑटो-इम्यून बीमारी है जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह भारत में कम आम है। मुझे नहीं लगता कि हमें भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के साथ कावासाकी का कोई अनुभव नहीं है। यह बहुत दुर्लभ स्थिति है। यह बीमारी जापान में ज्यादा आम है। यह सर्दियों या बसंत ऋतु में होने वाली बीमारी है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह बीमारी अधिक देखने को मिलती है।
बलराम ने देश में फिलहाल कोरोना वायरस की स्थिति पर बोलते हुए कहा कि कुल मिलाकर भारत में यह आंकड़ा 17 वर्ष से कम आयु का है, केवल 8% ही कोरोना पॉजिटिव हैं और 5 वर्ष से कम आयु में यह आंकड़ा बहुत कम होगा। 18-24 महीने की उम्र के बच्चों में यह सबसे ज्यादा आम है। 3महीने से कम और 5 साल से ज्यादा के बच्चों में यह बीमारी कम पाई जाती है । परन्तु इन बच्चों में कोरोनरी एन्यूरीज़म बनने का खतरा ज्यादा होता है।
इस बीमारी असमय तेज बुखार आना शुरू होता है। बच्चा आमतौर पर चिड़चिड़ा होता है। बुखार शुरु होने के साथ-साथ कुछ दिन बाद ऑंखें लाल हो जाती हैं। बच्चे में विभिन्न प्रकार के त्वचा के चकते बन जाते हैं। जैसे कि खसरे या स्कारलेट फीवर की तरह, लाल रंग के दाने, पेप्यूल्स आदि। त्वचा के चकत्ते ज्यादातर ट्रंक और हाथ पैरों पर और डायपर क्षेत्र में होते हैं और यह त्वचा पर लालिमा ला सकता है।
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