त्रिपुरा में सीएम उम्मीदवार के मुद्दे पर बिप्लव कुमार देब ने तोड़ी चुप्पी, जानिए क्या कहा...
नई दिल्ली। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद पार्टी प्रदेश में अब सरकार बनाने जा रही है। पार्टी ने जिस तरह से लेफ्ट को पटकनी देते हुए बंपर जीत दर्ज की है, इससे बीजेपी कार्यकर्ता जोश में हैं। इस जीत के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? बीजेपी की ओर से दो नाम ऐसे हैं जो सीएम कैंडिडेट के तौर पर सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब और त्रिपुरा में पार्टी की ओर से प्रभारी सुनील देब का नाम शामिल है। इस बीच सीएम कैंडिडेट तौर पर सबसे आगे माने जा रहे बिप्लब कुमार देब से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ तौर से कुछ नहीं कहा, हालांकि इशारों-इशारों में उन्होंने साफ कर दिया कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे जरूर निभाएंगे।
बिप्लब कुमार देब ने क्या कहा...
त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब से जब सीएम कैंडिडेट के तौर पर उनका नाम आगे बढ़ाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि मैं इस मुद्दे पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता हूं। पार्टी ही इस मुद्दे पर आखिरी फैसला लेगी। हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि पार्टी की ओर से उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी उसे वो स्वीकार करेंगे।
सीएम पद की रेस में सबसे आगे
बीजेपी के युवा नेता बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनका जन्म त्रिपुरा की उदयपुर जिले में हुआ था जिसे अब गोमती जिले के नाम से जाना जाता है। स्कूली पढ़ाई लिखाई त्रिपुरा में हुई। इसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में उन्होंने प्रोफेशनल जिम इंस्ट्रक्टर के तौर पर भी काम किया और फिर 15 वर्ष बाद त्रिपुरा वापस लौट गए। उनकी शादी एक पंजाबी लड़की से हुई और वह एक बेटे और एक बेटी के पिता हैं।
'सीएम उम्मीदवार के मुद्दे पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता'
बिप्लव करीब सात वर्षों तक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के वॉलंटियर रह चुके हैं। इन चुनावों से पहले वह त्रिपुरा के पिछले इलाकों में हुए चुनावों में भी हिस्सा ले चुके हैं। आठ अगस्त 2017 को बिप्लब ने कांग्रेस के विधायक सुदीप रॉय बर्मन और पांच और विधायकों को बीजेपी में शामिल करने में बड़ी भूमिका अदा की थी। इसके बाद उन्हें विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीजेपी ने जिन उम्मीदों के साथ लेफ्ट के 25 वर्षों के शासन को त्रिपुरा में खत्म करने की जिम्मेदारी देब को दी, उन्होंने उसे सही तरीके से निभाया।