हैदराबाद: निजाम के वंशज ने अमित शाह के बयान पर जताई आपत्ति, इतिहास के ज्ञान पर कही ये बात
नई दिल्ली- हैदराबाद के सातवें निजाम, नवाब मीर उस्मान अली खान के वंशजों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान रास नहीं आया है। उन्होंने हैदराबाद के निजाम-नवाब संस्कृति को लेकर जो कहा था, उस पर निजाम के परिवार वालों ने घोर आपत्ति जताई है। निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता नवाब नजफ अली खान ने बयान जारी कर सोमवार को कहा है कि हर चुनाव में सातवें निजाम पर किए जाने वाले हमलों से पता चलता है कि नेताओं को इतिहास की पूरी जानकारी नहीं है।
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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम का चुनाव प्रचार करने रविवार को हैदराबाद पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी जीतेगी तो हैदराबाद को निजाम-नवाब संस्कृति से मुक्त करेगी। उन्होंने कहा था, "जिन्होंने उस वक्त पाकिस्तान में जाने की मुहिम चलाई थी, उन सभी संस्कृति से...ये निजाम संस्कृति से हम मुक्त कर के एक विकसित शहर हैदराबाद को देना चाहते हैं।" उन्होंने हैदराबाद की जनता से अपील की थी कि एक मौका भाजपा को दें और वह उसे विश्वस्तरीय आईटी हब बनाकर देगी। यही नहीं बीजेपी ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्य नगर करने का वादा भी किया है।
शाह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नजफ अली खान ने कहा है कि वोट के लिए राजनेताओं को कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए और जनता के हितों वाला काम करना चाहिए ना कि सातवें निजाम के बारे में बेवजह की नकारात्मक बातें करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'जब भी कभी चुनाव आते हैं मेरे दादा दिवंगत सर नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर निजाम सातवें के नाम की आलोचना की जाती है और उनकी अपने काम के प्रति की गई अपार सेवाओं को आंख मूंदकर नकार दिया जाता है।' उनके मुताबिक, 'ये राजनेता गंगा जमनी तहजीब को नहीं बदल सकते जो सदियों से हैदराबाद के लोगों की संस्कृति का हिस्सा रही है। मेरे दादा ने सभी धर्मों का सम्मान किया और अपने शासनकाल में उन्हें एकजुट किया, जहां शांति और धर्मनिरपेक्षता शासन के अहम अंग थे।'
निजाम के परिवार ने यह भी दावा किया कि सातवें निजाम के शासन काल में 40 के दशक में हैदराबाद कई पश्चिमी देशों से भी बेहतर था। निजाम ने अपने पैसों से एनआईएमएस अस्पताल बनाया और राष्ट्रीय सुरक्षा फंड में 5 टन सोना दान किया। उन्होंने सवाल किया कि 'अगर मेरे दादा फासीवादी थे तो उन्हें अपना राज इच्छा से सरेंडर करने के बाद भी केंद्र सरकार ने राज प्रमुख (राज्यपाल) क्यों नियुक्त किया था।' गौरतलब है कि आजादी के बाद हैदराबाद के निजाम ने अपनी रियासत को पाकिस्तान में विलय की साजिश रची थी, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सख्ती के साथ उन्हें सरेंडर करने को मजबूर किया था और इस तरह से वह देसी रियासत भी भारत का अभिन्न अंग बना रह गया।
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