हुसैनीवाला में पाक सेना ले गई थी भगत सिंह की मूर्ति
हुसैनीवाला/नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)। आप कट्टर से कट्टर राष्ट्रद्रोही को राष्ट्रीय शहीद स्मारक यानी जिधर शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी पर ले आइये। यकीन मानिए कि इधर का सारा मंजर और फिजाओं में राष्ट्र भक्ति और प्रेम जिस तरह से घुला है, उसके असर के चलते राष्ट्रद्रोही भी राष्ट्रभक्त बन जाएगा।
इधर इन तीनों शहीदों की 23 मार्च, 1931 को अंत्येष्टि की गई थी। इन्हीं तीनों शहीदों को नमन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पहुंच रहे हैं। उनके साथ कई गणमान्य लोग भी होंगे।
हुसैनीवाला से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
-
बता
दें
कि
इधर
ही
भगत
सिंह
के
एक
और
साथी
बदुकेश्वर
दत्त
का
भी
अंतिम
संस्कार
हुआ
था।
-
बदुकेश्वर
दत्त
ने
ही
भगत
सिंह
के
साथ
मिलकर
केन्द्रीय
असेंबली
में
बम
फेंका
था।
-
उनकी
चाहत
थी
कि
उनका
अंतिम
संस्कार
वहां
पर
ही
हो
जहां
भगत
सिंह
का
अंतिम
संस्कार
हुआ
था।
-
इसी
पवित्र
स्थान
पर
भगत
सिंह
की
मां
विद्यावती
जी
का
भी
अंतिम
संस्कार
हुआ।
-
हुसैनीवाला
स्थित
इस
स्थान
को
राष्ट्रीय
शहीद
स्मारक
के
रूप
में
1968
में
विकसित
किया
गया।
-
यह
स्मारक
पाकिस्तान
से
लगने
वाली
सीमा
से
मात्र
एक
किलोमीटर
पर
है।
- दरअसल देश के विभाजन के वक्त अंत्येष्टि स्थल पाकिस्तान में चला गया था।
हुसैनीवाला से जुड़ी और भी हैं महत्वपूर्ण बातें, पढ़ें स्लाइडर में।
भारत ने कैसे वापस लिया हुसैनीवाला
भारत ने 17 जनवरी, 1961 को पाकिस्तान को 12 गांवों के बदले में भारत ने इस जगह को वापस लिया।
1971 की जंग
1971 की जंग में पाकिस्तानी सेना इन तीनों शहीदों की मूर्तियों को ले गई थी।
जैल सिंह ने करवाया सौंदर्यीकरण
देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं पंजाब के तत्कालीन सीएम ज्ञानी जैल सिंह ने 1973 में इस स्मारक को फिर से विकसित करवाया।
यहां भी होती है रीट्रीट सेरेमनी
वाघा सीमा की तरह इधर लगने वाली सीमा पर भी होती रीट्रीट सेरेमनी। पर इधर का माहौल शांत रहता है।
हुसैनीवाला में हुई थी जंग
सन 1965 की जंग के समय भी हुसैनीवाला के करीब भारत-पाकिस्तान की फौजों के बीच भीषण लड़ाई हुई थी।
पाकिस्तान के दांत खट्टे किये थे
भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे।
संत हुसैनीवाला के नाम पर जगह
हुसैनीवाला गांव का नाम मुस्लिम संत पीर बाबा हुसैनीवाला के नाम पर रखा गया था।