पति अपनी पत्नी को सैलरी बताने से नहीं कर सकता है इनकार: कोर्ट
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पति की सैलरी के बारे में बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी को इस बात का पूरा हक है कि वह अपने पति की सैलरी के बारे में जानकारी हासिल करे। हाई कोर्ट की बेंच के जस्टिस एसके सेठ और नंदित दूबे ने सुनीता जैन की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। सुनीता जैन ने कोर्ट में याचिका दायर करके अपने पति से अधिक रख-रखाव का खर्च मांगा था। उनका कहना था कि उनके पति बीएसएनल में उच्च अधिकारी के पद पर हैं, लिहाजा उसे अधिक पैसे जीवन-यापन के लिए मिलने चाहिए।
सिर्फ 7 हजार मिलता था खर्च
याचिकाकर्ता के वकील केसी घिल्डियान ने कहा कि सुनीता के ति पवन कुमार जैन की सैलरी काफी ज्यादा है, लेकिन वह अपनी पत्नी को सिर्फ 7 हजार रुपए खर्च के तौर पर दे रहे हैं। ट्रायल कोर्ट सुनीता ने मांग की थी कि उनके पति सैलरी स्लिप को पेश करे, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद सुनीता जैन ने सूचना के अधिकार के तहत अपने पति की सैलरी जानने के लिए पत्र लिखा था।
पत्नी ने नहीं मानी हार
जिसके बाद यह मामला सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिशन के पास पहुंचा, जिसमे 27 जुलाई 2007 के आदेश का हवाला देते हुए पवन जैन की सैलरी की जानकारी देने को कहा गया। लेकिन पवन कुमार जैन ने सीआईसी के फैसले को चुनौती दी और मध्य प्रदेश की एकल जज की बेंच के सामने अपील की। जिसमे कोर्ट ने सीआईसी के फैसले मार्च 2015 में खारिज कर दिया। इसके बाद भी सुनीता जैन ने हार नहीं मानी और उन्होंने दो जजों की बेंच के सामने गुहार लगाई।
कोर्ट ने दिया महिला के पक्ष में फैसला
मध्य प्रदेश की दो जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सुनीता को अपने पति की सैलरी जानने का अधिकार है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी को पति अपनी सैलरी बताने से इनकार नहीं कर सकता है। साथ ही कोर्ट ने एक जज की बेंच के फैसले को भी खारिज कर दिया और सीआईसी के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को सैलरी की जानकारी देने को कहा है।
इसे भी पढ़ें- बच्चों की किडनैपिंग के शक में भीड़ ने ट्रांसजेंडर महिला की पीट-पीटकर हत्या की