क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मैली गंगा को बचाने आया मानवाधिकार आयोग

By Rajiv Ojha
Google Oneindia News

Save Ganga
[राजीव ओझा] विस्तार है अपार.. प्रजा दोनों पार करे हाहाकार... निशब्द सदा गंगा तुम बहती हो क्यूँ... भूपेन हजारिका का ये गाना आप को याद होगा। भूपेन दा गुहार करते-करते गुजर गए। बनारस में मैली होती गंगा को बचाने के लिए डाक्टर वीरभद्र मिश्र आजीवन लड़ते रहे। लोग अपनी सारी गंदगी पाप गंगा में बहाते रहे। माँ गंगा लोगों के सारे पापों को अपने आँचल में समेटे चुपचाप बहती रहीं। यहाँ तक की उसके वजूद को खतरा पैदा हो गया।

हमारी संस्कृति और आस्था का संगम है जिससे हर भारतवासी जूड़ा है। अब मोक्षदायिनी गंगा का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। गंगा अब समाप्त होने के कगार पर आ चुकी है। गंगा के श्रोत सूख रहे हैं प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है की अगर गंगा विलुप्त हो गयी तो हम भी नहीं बचेंगे। शायद इसी लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन केजी बालाकृष्‍णन ने गंगा के अस्तित्व के खतरे को भापते हुए उत्तर प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार से दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट माँगा है।

मानवाधिकार आयोग ने सरकार को भेजा नोटिस

केजी बालाकृष्णन ने बताया गंगा प्रदुषण भी मानवाधिकार के दायरे में आता है। इस बढ़ते प्रदुषण के कारण जहाँ गंगा का अस्तित्व खतरे में है। वहीं गंगा से जुड़े तथा व्‍यवसाय करने वाले लोगों की रोजी रोटी भी खतरे में पड़ गयी है। गंगा सफाई के लिए कई सामाजिक संस्थाओं ने आंदोलन किये परन्तु उससे कोई फर्क नही पड़ा। अब देखना रोचक होगा कि मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब सरकार दे पायेगी या हर बार की तरह इस बार भी ये मामला ठन्डे बस्ते में पड़ा रहेगा।

गंगा..तुम बहती हो क्यूं..!

चाहे चार करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएं या दस करोड़, तब भी ढेर सारे पापी बचे रहेंगे, क्योंकि वो डुबकी लगाएंगे तो भी उनके पाप नही धुलेंगे। हां, गंगा पहले से ज्यादा गंदी हो जाएंगी। गंगा को मैली करने वाले लोगों के पाप तो कभी नहीं धुलेंगे भले ही जिंदगी भर गंगा में खड़े रहें। कहा जाता है कि संगम में डुबकी लगाने से सारी बुराई धुल जाती है, क्यों कि वो जल अमृत के समान होता है। वैसे गंगा हो या यमुना, उद्गम स्थल पर इनका निर्मल जल अमृत समान ही होता है। लेकिन सालों साल हमने इतनी गंदगी, मैल और पाप इन नदियों में धोए हैं कि अमृत तो दूर, नदियों का पानी पीने लायक भी नहीं रह गया है। बुरा मत मानिएगा, लेकिन आपको क्या लगता है साल भर जो पाप हम सब इन नदियों को गंदा करने में करते हैं, वो क्या कुछ मिनट की डुबकी से धुल जाएगा?

आस्था को जाने दें, वैज्ञानिक आधार पर भी ये बात सिद्ध हो रही है कि देश भर की नदियों को गंदा करने में हमने कोई कसर बाकी नहीं रखी है। कहां तो नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता था लेकिन अब इन नदियों का पानी हमने पीने लायक छोड़ा है क्या?..अब जरुरत है की बेबस और लाचार होती जा रही माँ को बचाने का। अगर इसपे तत्काल अमल नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं रहेगा जब हमारी आने वाली पीढ़ी को हम ही लोग गंगा की केवल कहानियां सुनायेंगे। तब तक गंगा यूं ही बहती रहेगी, मां जो ठहरी।

Comments
English summary
Human Right Commission has joined Ganga Bachao Campaign as it has given notice to both Uttar Pradesh and Central governments.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X