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अभी से लाचार दिखने लगे हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

यूपी में गन्ना किसानों का हाल लेने वाला कोई नहीं, पीएम का वायदा भी खोखला साबित हुआ, योगी का आदेश भी व्यर्थ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश हमेशा से ही कृषि के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका देता रहा है, यहां गन्ना, गेहूं, धान, आलू से लेकर तमाम फसलों की पैदावार बहुतायत में होती रही है। लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ सालों में यहां की कृषि और किसानों के हालात बदले हैं, उसके बाद यहां के किसानों के लिए खेती अब फायदे का सौदा नहीं रही है।

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किसान अब खेती से दूरी बनाने लगे हैं और आने वाली पीढ़ी को खेती में जाने की बजाए दूसरे क्षेत्र में भेजने पर ज्यादा जोर देते हैं।

पश्चिमी यूपी भी बुंदेलखंड की राह पर

पश्चिमी यूपी भी बुंदेलखंड की राह पर

बुंदेलखंड में किसानों की हालात हमेशा से ही बदतर रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां सूखे की वजह से हालात भयावह हो गए हैं। बुंदेलखंड के बाद पश्चिमी यूपी के हालात जिस तरह से बदतर हो रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसा प्रतीत होने लगा है कि पश्चिमी यूपी भी बुंदेलखंड़ की राह पर चल पड़ा है।

भारतीय किसान आंदोलन

भारतीय किसान आंदोलन

भारतीय किसान आंदोलन के अध्यक्ष कुलदीप त्यागी का कहना है कि प्रदेश के हर हिस्से के हालात बदतर हो रहे हैं, इसकी बड़ी वजह है सरकार इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है, ऐसे में पश्चिमी यूपी को भी बुंदेलखंड़ की राह पर जाता देख निराशा होती है।

किसानों का बकाया...

किसानों का बकाया...

किसानों का बकाया हमेशा से ही यूपी में बड़ा मुद्दा रहा है, मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार भी किसानों के भुगतान के नाम पर सत्ता में आई है। इस मुद्दे पर कुलदीप त्यागी का कहना है कि उन्होंने पिछले वर्ष अप्रैल माह में बकाया के भुगतान के लिए आंदोलन किया था। 2016-17 में गन्ना किसानों का कुल 4000 करोड़ रुपए बकाया था, जबकि 2015-16 के लिए गन्ना किसानों का कुल 6600 करोड़ रुपए बकाया था।

किसानों की सबसे बड़ी समस्या

किसानों की सबसे बड़ी समस्या

ऐसे में गन्ना किसानों के भुगतान में हर साल होने वाली देरी किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। इस बार हमें उम्मीद थी कि भाजपा अपने वायदे को पूरा करेगी, उसने चुनाव में कहा था कि वह 14 दिन के भीतर सुगर मिल से भुगतान करने के लिए कहेगी। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने 4 फरवरी को यूपी में अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि मेरे गन्ना किसान कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन सुगर मिल कंपनी के मालिक मोटे होते जा रहे हैं और किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। यूपी में मेरी सरकार बनने के बाद 14 दिन के भीतर गन्ना किसानों का बकाया चुकाया जाएगा।

किसानों का कोई नहीं है

किसानों का कोई नहीं है

यूपी की सत्ता संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सुगर मिल्स को 23अप्रैल तक गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था, उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वह मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और महेंद्र सिंह टिकैट के बेटे राकेश सिंह टिकैत का कहना है कि 23 अप्रैल की तारीख आई और चली गई लेकिन आजतक कुछ नहीं हुआ, मौजूदा समय में गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ का बकाया है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि किसानों का समय पर भुगतान किसी के लिए भी मुद्दा नहीं है।

मुख्यमंत्री का आदेश ठेंगे पर

मुख्यमंत्री का आदेश ठेंगे पर

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी 23 अप्रैल की तारीख को बीते तकरीबन तीन महीने होने जा रहे हैं, लेकिन 11 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार अभी भी 2016-17 के किसानों के 2637 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हुआ है और ना ही एक भी सुगर मिल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यूपी में गन्ने की राज्य समर्थित कीमत 315 रुपए प्रति कुंतल है, जोकि केंद्र की एफआईरपी की तुलना में कहीं अधिक है। बावजूद इसके किसानों को उनकी फसल का बकाया न्यूनतम मूल्य आजतक नहीं मिला है।

कर्ज के कुचक्र में किसान

कर्ज के कुचक्र में किसान

अगर 11 जुलाई तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो सुगर मिल मालिकों ने 2015-16 की गन्ना की फसल का किसानों को 40 करोड़ और 2014-15 में किसानों का 40 करोड़ रुपए आजतक नहीं दिया है। ऐसे में किसानों के भुगतान में देरी से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। इससे ना सिर्फ किसानों को नई फसल बोने में देर होती है बल्कि उनपर इसके चलते कर्ज भी बढ़ता है, जिसके चलते वह कर्ज के कुचक्र में फंसते चले जाते हैं।

English summary
Huge debt crisis of sugarcane farmer in Uttar Pradesh PM’s promise gone in vain. Despite Yogi Adityanath order no action taken.
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