कर्नाटक में मोदी-राहुल की जुबानी जंग के बीच सामने आया गुरुग्राम का हुबली कनेक्शन
हुबली: दिल्ली से सटे गुरुग्राम में नमाज पढ़ने को लेकर बवाल पैदा हो गया था। शुक्रवार की नमाज पढ़ने को लेकर हिन्दू संगठनों द्वारा करीब 10 जगहों पर विरोध किया गया और उन्हें रोका गया। इन लोगों ने प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि अगर इन्हे सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने से नहीं रोका गया तो ये लोग अपना विरोध जारी रखेंगे। इस दौरान पुलिस के भारी बंदोबस्त के कारण किसी प्रकार की हिंसक झड़प नहीं हुई। लेकिन फिर भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। इसको लेकर हिन्दू संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना था कि नमाज पढ़ने की अनुमति रोड के किनारे, पार्क और खाली पड़ी सरकरी जमीनों पर नहीं है।
वहीं इसी प्रकार का मामला हुबली में सामने आया था जब 1994 में उमा भारती के नेतृत्व में ईदगाह मैदान में तिरंगा झंडा फहराने की कोशिश की थी। इसके बाद हालात काफी खराब हो गए थे और इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई थी। इन सभी की मौत पुलिस फायरिंग में हुई थी।
उमा भारती ने की थी तिरंगा फहराने की कोशिश
साल 1992 में कांग्रेस ने कहा था कि तिरंगा फहराने से साम्प्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, इसके बाद 1994 में इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था लेकिन उमा भारती किसी तरह इलाके में दाखिल हो गई थीं और ईदगाह मैदान से एक किमी पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गा था। लेकिन 1995 में अंजुमन इस्लाम द्वारा झंडा फहराने के बाद मामला कुछ समय तक शांत रहा। ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
6 लोगों की हुई थी मौत
अब
ईदगाह
को
घेर
दिया
गया
है
और
वहां
हर
वक्त
पुलिस
का
पहरा
रहता
है।
पिछले
15
साल
लगभग
शांति
से
गुजरे।
वहीं
इसके
बाद
VHP
नेता
अशोक
सिंघल
की
रैली
को
लेकर
तनाव
बढ़
गया
था
लेकिन
पुलिस
सतर्क
थी।
फारुक
कहते
हैं,
इलाके
में
कर्फ्यू
लगा
दिया
गया
था
और
इस
हिंसा
में
6
लोगों
की
मौत
हो
गई
थी।
लेकिन
पिछले
दो
दशक
में
कोई
हिंसा
नहीं
हुई
है।
हमने
ये
सुनिश्चित
किया
कि
कोई
भी
इस
प्रकार
की
वारदात
न
हो
लेकिन
नेताओं
ने
अपनी
राजनीती
के
लिए
हमारा
इस्तेमाल
किया
है।
वर्तमान
राजनीति
के
बारे
में
वो
कहते
हैं
कि
हर
चीज
को
पाकिस्तान
से
क्यों
जोड़ा
जाता
है?
नमाज के वक्त भारत भारत माता की जय क्यों- फारुक
हर चीज में पाकिस्तान और जिन्ना को क्यों लेकर आते हैं? अगर जिन्ना नहीं होते तो देश का बंटवारा नहीं होता। यहां कौन जिन्ना के बारे में बात करना चाहता है? फारुक की बातों से सहमत अमार का कहना है कि नेता केवल बांटने और ध्रुवीकरण के अवसर की तलाश में रहते हैं। जब हम नमाज पढ़ रहे हैं तब, उन्हें आकर भारत भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगाने की क्या जरूरत है? धर्म के प्रति क्या सम्मान नहीं हो सकता है? ये सब राजनीति के लिए हो रहा है। अन्यथा किसी इंसान में इतनी नफरत नहीं हो सकती है।