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पर्दे पर आनंद कुमार बनेंगे ऋतिक रोशन, जरूर जानिए रीयल हीरो की ये खास बातें

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मुंबई। फिल्मस्टार ऋतिक रोशन इन दिनों काफी इतरा-इतराए फिर रहे हैं। वजह है सुपर-30 के हीरो आनंद कुमार, जिनकी बॉयोपिक में ऋतिक रोशन लीड रोल प्ले कर रहे हैं और खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। आखिर कौन है देश के रीयल हीरो आनंद कुमार, तो चलिए जानते हैं इस सच्चे नायक के बारे में विस्तार से।

आनंद कुमार को कहा जाता है मसीहा

आपको बता दें कि आनंद कुमार देश के उस मसीहा का नाम है, जिसने इंसानियत, खुद्दारी और ईमानदारी को जिंदा रखते हुए, देश में जीनियस की फौज खड़ी करने की कसम खाई है।

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सुपर-30 कोचिंग के संस्थापक आनंद कुमार

सुपर-30 कोचिंग के संस्थापक आनंद कुमार

गौरतलब है कि बिहार की सुपर-30 कोचिंग के संस्थापक आनंद कुमार का जन्म पटना में हुआ और इनके पिता डाक विभाग में चिठ्ठी छांटने का काम करते थे। बंधी हुई आमदनी की वजह से चलने वाले घऱ में जन्मे इस बच्चे को बहुत जल्द आर्थिक अभाव और महंगी पढ़ाई का मोल समझ आ गया था।

गणित में काफी रूचि

गणित में काफी रूचि

सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने वाले आनंद कुमार को शुरू से ही गणित में काफी रूचि थी। उन्होंने भी वैज्ञानिक और इंजीनियर बनने का सपना देखा था, ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने नंबर थ्योरी में पेपर सब्मिट किए जो मैथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मैथेमेटिकल गैजेट में पब्लिश हुए। इसके बाद उन्हें क्रैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए बुलावा भी आया, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका, बस इसी दुख को उन्होंने अपनी ताकत बनाकर प्रण किया कि वो देश के गरीब बच्चों का भविष्य संवारेंगे।

23 अगस्त, 1994

23 अगस्त, 1994

लेकिन इसी बीच 23 अगस्त, 1994 को हार्ट अटैक के चलते पिता का निधन हो गया, उनके पिता डाक विभाग में थे, इसलिए उन्हें अपने पिता की जगह डाक विभाग में नौकरी मिल रही थी लेकिन उन्होंने इस नौकरी को ना करने का फैसला किया।

घर गरीबी की चपेट में आ गया

घर गरीबी की चपेट में आ गया

लेकिन इसी बीच 23 अगस्त, 1994 को हार्ट अटैक के चलते पिता का निधन हो गया, उनके पिता डाक विभाग में थे, इसलिए उन्हें अपने पिता की जगह डाक विभाग में नौकरी मिल रही थी लेकिन उन्होंने इस नौकरी को ना करने का फैसला किया। पिता के निधन के बाद पूरा घर गरीबी की चपेट में आ गया, घर चलाने के लिए आनंद की मां ने घर में पापड़ बनाना शुरू किया जिसे कि आनंद और उनके भाई घर-घर बांटा करते थे।

'रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स'

'रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स'

इसके कुछ समय बाद हालात को सुधारने के लिए आनंद ने अपने ही घर में 'रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स' नाम से कोचिंग खोली, जिसमें शुरू-शुरू में दो विद्यार्थी आए, जिनसे आनंद ने 500 रूपए फीस ली थी, इसी दौरान उनके पास एक ऐसा छात्र आया, जिसने कहा कि वह ट्यूशन तो पढ़ना चाहता है लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं, उस छात्र में आनंद को अपनी छवि दिखी और उसके बाद से वो उसे पढ़ाने में जुट गए, दिन-रात की मेहनत के चलते वो छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हुआ।

सुपर 30 की स्थापना की

सुपर 30 की स्थापना की

बस यहीं से उनके दिमाग में सुपर 30 का ख्याल आया और उन्होंने 2002 में सुपर 30 की स्थापना की, जिसमें उन गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है, जो कि आर्थिक तंगी की वजह से आईआईटी जैसे संस्थान में जाने की तैयारी नहीं कर पाते हैं। संस्थान का खर्चा आनंद खुद अपने पैसों से चलाते हैं और इस बारे में वह लिखते हैं कि सुपर 30 को बड़ा करने के लिए पैसे नहीं चाहिए, हां आपके सपने जरूर चाहिए।

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English summary
Hrithik Roshan is all set to make his entry into the biopic genre with Vikas Bahl's Super 30, which is based on the life of Patna-based mathematician Anand Kumar.
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