तीसरी भाषा के रूप जर्मन पढ़ाना संविधान के खिलाफ-स्मृति ईरानी
नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा की पढ़ाई बीच सत्र में बंद किए जाने के फैसले के बाद मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने साफ कर दिया है कि स्कूलों में जर्मनी भाषा का पढ़ाया जाना असंवैधानिक है। स्मृति ईरानी का कहना है कि केंद्रीय विद्यालय में जर्मनी भाषा को पढ़ाये जाने पर बेवजह विवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रिपोर्ट देने के लिए सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है।
स्मृति ईरानी का कहना है कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मनी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में जर्मनी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा है जोकि गलत है। उन्होंने कहा कि 2011 में मंत्रालय और केवी विद्यालय के बीच जो एमओयू साइन किया गया है उसमें जर्मनी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाये जाने की कही भी अनुमति नहीं दी गयी है।
शिक्षा मंत्री का कहना है कि वह संविधान के इतर ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकती जिससे इसकी अवहेलना हो। उन्होंने कहा कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है और इसकी रक्षा के लिए वह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी को तीसरी भाषा के रूप में नहीं पढाये जाने के फैसले का असर सिर्फ छठी से आठवी कक्षा के छात्रों पर पड़ेगा। वहीं इन छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत के अलावा किसी भी भारतीय भाषा के चयन का अधिकार होगा।
ईरानी ने कहा कि छात्रों को तीसरी भाषा की समस्या से निपटने के लिए स्कूलों में काउंसलिंग की सुविधा भी शुरु कर दी गयी है। वहीं उन्होंने कहा कि अगर किसी छात्र को तमिल भाषा का चयन करना है तो हम तमिल शिक्षक को उपलब्ध कराने का सुनिश्चित इंतजाम करेंगे। गौरतलब है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने केवी में जर्मनी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाये जाने से रोक लगा दी है। इस फैसले से देशभर के 500 केंद्रीय विद्यालयों में 6,7 और 8 के 70000 हजार छात्र प्रभावित होंगे.