हाउडी मोदी में पीएम की दहाड़ से कापा पाकिस्तान, आखिरी उम्मीद पर भी फिर गया पानी
बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन में रविवार को 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में पाकिस्तान को उसकी दुनिया में औकात बता दी है। पीएम मोदी ने ट्रंप के सामने पाक पर सीधा निशाना साधते हुए पूरी दुनिया को बता दिया कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 देश की संसद में दो तिहाई बहुमत मिलने के बाद हटाया गया हैं और यह भारत का आंतरिक मामला हैं। इतना ही ट्रंप ने इस मंच से इस्लामिक आतंकवाद को भारत के साथ मिलकर दुनिया से खत्म करने का ऐलान किया हैं। जिसके बाद से पाकिस्तान की घिग्घी बंध गयी हैं।
हाउडी मोदी को फ्लॉप शो बता कर पाक असल में खिसियानी बिलरिया खंभा नोचे कहावत को चरितार्थ कर रहा हैं। इतना ही नहीं हाउडी मोदी की सफलता के बाद में कश्मीर मुद्दा रखने के पाक के अरमान पर पानी फिर चुका हैं। इसके बावजूद अगर वह यह मुद्दा उठाने की गलती करता हैं तो उसके लिए आग में छलांग लगाने जैसा होगा क्योंकि इस बैठक में होने वाले उनके संबोधन से पहले ही तय हो गया है कि वह कितने सफल हो सकेंगे।
गौर करने वाली बात यह हैं कि हाउडी मोदी कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस्लामिक आतंकवाद का जिक्र करके प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका को वह बात याद दिलाने का मौका दे दिया, जो अफगानिस्तान में बुरी तरह फंसने के बाद से आतंकवाद को नजरअंदाज करता दिख रहा था। पीएम मोदी ने तुरंत भारत और अमेरिका पर गुजरे आतंकवाद के काले साए का जिक्र छेड़कर पाकिस्तान को इतने बड़े मंच पर फिर से बेनकाब कर दिया। उन्होंने ट्रंप समेत अमेरिकियों को भी याद दिला दिया कि हमें भूलना नहीं चाहिए कि अमेरिका के 9/11 और भारत के 26/11 आतंकी वारदातों के साजिशकर्ता पाकिस्तान में ही पाए गए। कमाल की बात है कि ट्रंप और मोदी किसी ने भी एक बार भी पाकिस्तान या इमरान खान का नाम नहीं लिया। लेकिन, मोदी ने ट्रंप की मौजूदगी में यह बात साबित कर दिया कि पाकिस्तान ही ग्लोबल टेररिज्म की जड़ है।
बता दें पिछले दो महीनों से पाक प्रधानमंत्री इमरान अपने देश की कंगाली की चिंता करने के बजाय कश्मीर के लिए दुनिया भर में मदद की भीख मांग रहे थे। हर मंच पर मुंह की खाने के बाद इमरान के मिशन कश्मीर की हवा निकल गयी हैं। लंबे समय से वह संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठाने का अरमान पाले हुए था। जिस पर हाउडी मोदी की सफलता ने इमरान के इस इरादे पर भी पानी फेर दिया। यूएन की आम बैठक में इमरान संबोधन से पहले ही तय हो गया है कि वह कितने सफल हो सकेंगे। मजे की बात हैं कि अमेरिका पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को जो सम्मान मिले उसे लेकर पूरी दुनिया में फजीहत हो रही हैं क्योंकि विदेश जमीन पर जहां पीएम मोदी के स्वागत में जहां रेड कार्पेट बिछाया गया था वहीं प्रधानमंत्री इमरान खान को ये भी नसीब नहीं हुआ।
गौरतलब हैं कि संयुक्त राष्ट्र की आम सभा की बैठक होनी हैं। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के इमरान खान का आमना सामना होगा। हाउडी मोदी के बाद अब सभी की निगाहें संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में होने वाले उनके और पीएम मोदी के संबोधन पर लगी हैं। पीएम मोदी और पीएम इमरान इन दोनों का एक ही दिन संबोधन है। इसमें पहले पीएम मोदी को बोलना है इसके बाद में इमरान खान बोलेंगे। इमरान खान का एजेंडा बेहद साफ है। पाकिस्तान की मीडिया इसको मिशन कश्मीर का नाम दे रही है। लेकिन मिशन कश्मीर पर अमेरिका पहुंचे इमरान खान की बात कितने लोग सुनेंगे या सुनने वाले हैं ये भी पूरी दुनिया जानती है। इमरान खान के मिशन कश्मीर की ही बात करें तो वह अपना रोना पूरी दुनिया में बीते दो माह से रो रहे हैं।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खत्म करने के बाद से ही वह इसमें लगे हुए हैं। इसके तहत वह अमेरिका भी गए थे। वहां पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने उन्होंने अपनी बात रखी थी और भारत पर कई आरोप मढ़े थे। लेकिन उनके इन आरोपों का असर क्या हुआ इसको हाउडी मोदी की सफलता पाकिस्तान को करारा जवाब है। मिशन कश्मीर पर निकले इमरान की बात संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कितनी सुनी जाएगी इसका अंदाजा सभी को है। चीन भी उनके इस मिशन में कितना साथ देगा इसको लेकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल, यूएनएससी में जिस तरह से इन दोनों को नाकामी हासिल हुई है, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि चीन इस वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का साथ देकर अपने हाथ जलाने की कोशिश नहीं करेगा।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार बीते कुछ दिनों में प्रधानमंत्री इमरान खान ने रूसी अखबार और अल जजीरा टीवी को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है। यह इंटरव्यू पूरी तरह से उनके मिशन कश्मीर के ही इर्द-गिर्द रहा। इसमें इमरान ने कहा था कि भारत एफएटीएफ में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करवाने में लगा हुआ है। एफएटीएफ की ही बात करें तो अब तक पाकिस्तान ने 27 में से केवल छह बिंदुओं को पूरा किया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि वह इसमें ब्लैक लिस्ट होने के कुछ और करीब चला गया है।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान खुद को ब्लैक लिस्ट करवाने से नहीं बचा पाएगा। इससे पहले हुई एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक में पाकिस्तान को काली सूची में डालने के लिए संस्तुति कर दी है। अगले माह एफएटीएफ की बैठक होनी है, जिसमें मुमकिन है कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने पर मुहर भी लग जाए। अपाको बता दें कि पाकिस्तान फिलहाल इसकी ग्रे लिस्ट में है। उन्होंने पाकिस्तान की खराब होती आर्थिक स्थिति और इसपर अपनी सफाई भी दी थी। उनका कहना था कि देश की हालत सुधारने के लिए उन्होंने जो कदम उठाए हैं पांच वर्षों के दौरान इसका असर दिखाई दे जाएगा। इंटरव्यू में उनका पूरा वक्त भारत पर आरोपों को सुनाते हुए गुजरा था। अब यही 27 सितंबर को उनके संबोधन में भी फिर दिखाई देने वाला है।
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