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चीन से व्यापार बंद कर देने से भारत पर कितना असर पड़ेगा? जानिए

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नई दिल्ली- गलवान घाटी में चीन की हरकत देखने के बाद वहां की खूनी वामपंथी सत्ता के खिलाफ देश का उबलना बहुत ही स्वाभाविक है। लेकिन, कूटनीति सिर्फ भावनाओं का खेल नहीं है। इसकी हकीकतों से भी पूरी तरह से मुंह मोड़े रखना सही नहीं होगा। ये बात इसलिए हो रही है कि देशभर में चीनी सामानों के बहिष्कार की मांगें उठ रही हैं। चाइनीज कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने की खबरें सुनाई पड़ रही हैं। गलवान में देश के जवानों के साथ चीन ने जो खूनी खेल खेला है, उसके बाद ऐसा गुस्सा लाजिमी है। लेकिन, तात्कालिक तौर पर ऐसी प्रतिक्रिया सही भी है और होनी भी चाहिए, ताकि चीन को भी एहसास रहे कि कुछ ही समय बाद भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला उसका तमगा भी छीनने के लिए तैयार है। ऐसे में भारतीयों को नाराज करके वह भी सुखी नहीं रह सकता। लेकिन, सवाल है कि अगर व्यापारिक संबंध तोड़ने का फैसला लिया जाता है तो नुकसान ज्यादा किसको होगा? घाटे में ज्यादा कौन रहेगा?

भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के कितने पैसे लगे हैं?

भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के कितने पैसे लगे हैं?

हम आगे चर्चा करें उससे पहले एक नजर इसपर डाल लेते हैं कि अभी भारतीय अर्थव्यस्था में चीन ने कितना पैसा लगा रखा है। एक अपुष्ट आंकड़ों के मुताबिक चाइनीज कंपनियों ने भारत में 800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रखा है। भारत के स्मार्टफोन के बाजार में चाइनीज कंपनियों का 75 फीसदी मार्केट शेयर है। भारत की स्टार्टअप कंपनियों में चीन का निवेश करीब 550 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। ये सिर्फ वो फिगर हैं, जो हमें यह विचार करने के लिए मजबूर करते हैं कि क्या हम चीन से व्यापारिक रिश्ते बंद करने के बाद पैदान होने वाली स्थितियों के लिए तैयार हैं ? वैसे आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से चीन ने भारत में 234 करोड़ डॉलर का एफडीआई कर रखा है। इसके अतिरिक्त 55 करोड़ डॉलर सालाना चीन से पर्यटकों के जरिए भारत पहुंचता है।

व्यापार बंद करने से चीन को कितना नुकसान होगा ?

व्यापार बंद करने से चीन को कितना नुकसान होगा ?

यही नहीं द्विपक्षीय व्यापार में चीन हमेशा से हमसे आगे रहा है। मसलन, 2018 में भारत का व्यापार घाटा 5,786 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था। रिपोर्ट बताती हैं कि 2019 में चीन ने भारत को 6,800 करोड़ डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत से उसका आयात 1,632 करोड़ डॉलर का रहा। इस हिसाब से 2019 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 5,200 करोड़ डॉलर का रहा। हालांकि, ये सही है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस अंतर को पाटने की बहुत कोशिश की है। चीन से व्यापार बंद करने के पक्ष में ये दलील दी जा रही है कि इससे इतने बड़े व्यापार घाटे को पाटा जा सकेगा। लेकिन, सवाल ये भी उठता है कि इससे चीन को कितनी मार पड़ेगी? अमेरिकी डॉलर में भारत के कुल व्यापार का चीन सिर्फ 5 फीसदी ही आयात करता है, जबकि, भारत के आयात में उसकी 14 फीसदी हिस्सेदारी है। जबकि, चीन के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा महज 3 फीसदी ही है; और सबसे बड़ी बात चीन जो भारत से आयात करता है, वह उसके कुल आयात का मात्र 1 फीसदी ही है। यानि, अगर भारत उससे व्यापारिक रिश्ते तोड़ लेता है तो इन आंकड़ों से नहीं लगता है कि उसे कोई ज्यादा बड़ा झटका दिया जा सकता है।

अगर चीन भी वैसा ही करे तो क्या होगा?

अगर चीन भी वैसा ही करे तो क्या होगा?

भारत में जैसे चीन से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने की मांग हो रही है, अगर वैसा ही चीन करे तो क्या होगा? चाइनीज कंपनियों ने यहां के स्टार्टअप, मोबाइल फोन और दूसरे ब्रांड में जो निवेश कर रखे हैं, उससे जुड़े भारतीयों की रोजी-रोजगार का क्या होगा? बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट, मेकमायट्रिप, ओला, पेटीएम, क्विकर, स्विग्गी,जोमैटो, पॉलिसीबाजार, ओयो होटल जैसे कई सारे लोकप्रिय भारतीय ब्रैंड में चीनी कंपनियों का बहुत बड़ी मात्रा में पैसा लगा हुआ है। यानि, जिन्हें हम भारतीय समझकर धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, वो दरअसल, अलीबाबा जैसे अनेकों चीनी कंपनियों के इशारे पर काम करते हैं। क्या हम चीन से व्यापारिक रिश्ते बंद करने की मांग करते वक्त इन हकीकतों के बारे में जान रहे हैं? हो सकता है कि उनमें से ज्यादातर कारोबारी अपने बिजनेस को संभाल लें, लेकिन उन्हें इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं इससे भारत की नीतियों की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान लग सकता है।

दवा की आपूर्ति कहां से होगी ?

दवा की आपूर्ति कहां से होगी ?

भारत दवा के मामले में एक तरह से चीन पर लगभग पूरी तरह से ही निर्भर है। भारत 70 % bulk drugs चीन से ही आयात करता है। मसलन, पैरासिटामोल समेत कम से कम 6 अहम दवाइयों के लिए भारत पूरी तरह से चीन पर ही निर्भर है। क्या भारत व्यापारिक रिश्ते खत्म करने से पहले इतना बड़ा जोखिम लेने के लिए तैयार है। इसी तरह भारत का 60 फीसदी से ज्यादा इलेक्ट्रोनिक्स के सामान चीन से ही आते हैं, जो कीमतों के मुकाबले में भारतीय, जापानी और कोरियाई सामानों से कहीं ज्यादा सस्ते होते हैं। हां, चाइनीज सामानों की गुणवत्ता हमेशा ही सवालों के घेरे में रही है, लेकिन क्या इस तथ्य से इनकार किया जा सकता है कि एक बहुत बड़ा वर्ग चाइनीज माल के अलावा दूसरे सामान खरीदने में सक्षम नहीं हैं ?

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English summary
How will India be affected by the closure of trade with China? Learn
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