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अनुच्छेद 370 की मीडिया कवरेज से कैसे ग़ायब रही कश्मीर की आवाज़?

भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जब संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा की तो देश के मुख्यधारा के टीवी चैनलों ने एक जश्न और उत्सव का माहौल दिखाया.

विश्लेषक इस फ़ैसले के असर के बारे में ट्विटर और अख़बारों में अपनी राय लिखने लगे और टीवी चैनलों पर 'देशभर में ख़ुशी की लहर' के दृश्य दिखाए जाने लगे.

By बीबीसी मॉनिटरिंग
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भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जब संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा की तो देश के मुख्यधारा के टीवी चैनलों ने एक जश्न और उत्सव का माहौल दिखाया.

विश्लेषक इस फ़ैसले के असर के बारे में ट्विटर और अख़बारों में अपनी राय लिखने लगे और टीवी चैनलों पर 'देशभर में ख़ुशी की लहर' के दृश्य दिखाए जाने लगे.

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टीवी पर 'जश्न' की लाइनें प्रसारित होने लगीं. जैसे 'भारत और कश्मीर आख़िरकार एक हुए', 'इतिहास लिखा गया', 'सब के लिए गर्व का क्षण' आदि-आदि.

वहीं, जम्मू-कश्मीर का पूरा संचार तंत्र अभी भी ग़ायब है. वहां सारी टेलीफ़ोन लाइनें, इंटरनेट बंद हैं. अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान कश्मीर की कोई भी आवाज़ राष्ट्रीय टीवी चैनल पर सुनाई नहीं दी.

अधिकतर टीवी कवरेज भारतीय संसद की बहस, फ़ैसले का समर्थन कर रहे विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रियाओं और 'देशभर में जश्न' के दृश्यों पर ही आधारित थी.

TIMES NOW

साथ ही टीवी चैनलों ने अनुच्छेद 370 समाप्त करने पर कश्मीरी पंडितों के नाचते और जश्न मनाते दृश्यों को भी प्रसारित किया. 90 के दशक में चरमपंथियों की धमकियों और हमलों के बाद हज़ारों कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ दिया था.

टीवी पर और जो प्रतिक्रियाएं आईं उनमें जम्मू-कश्मीर के ही बौद्ध बहुल लद्दाख़ क्षेत्र के लोग शामिल थे. मोदी सरकार के फ़ैसले में लद्दाख़ को जम्मू-कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिय गया है.

टीवी चैनलों ने लद्दाख़ के लोगों के हवाले से कहा कि इसने उनकी 'ख़ुद की पहचान के एक काफ़ी अरसे से देखे जा रहे सपने' को पूरा कर दिया है.

भारतीय टीवी चैनलों पर कश्मीर क्षेत्र की इकलौती आवाज़ केवल पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की ही सुनाई दी. उन्होंने इंटरनेट प्रतिबंध को नाकाम बनाते हुए ट्वीट किया कि पांच अगस्त 'भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है.'

@MEHBOOBAMUFTI

ट्विटर पर बंटी दिखी राय

यह ख़बर जब लोगों को पता चली तो उन्होंने ट्विटर का इस्तेमाल करते हुए फ़ैसले को 'ऐतिहासिक' और 'वास्तविक सफलता' बताते हुए कहा कि यह 'राष्ट्रीय अखंडता को मज़बूत करेगा'.

इस दौरान भारत में 'Article370', 'KashmirHamaraHai', 'KashmirParFinalFight', 'KashmirMeinTiranga', 'Kashmirbleeds' जैसे हैशटेग टॉप ट्रेंड में थे.

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गृह मंत्री की 5 अगस्त को संसद में घोषणा के बाद अनुच्छेद 370 को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाएं होने लगीं और कुछ ही देर में इससे जुड़े पांच हज़ार ट्वीट किए गए.

इसके बाद 7 अगस्त तक इससे जुड़े ट्वीट में ग़ज़ब के उछाल देखे गए. यहां तक कि जो लोग पारंपरिक रूप से सरकार का समर्थन नहीं करते उन्होंने भी इस फ़ैसले को 'गेम चेंजर' बताते हुए ट्वीट किए.

कई ट्विटर यूज़र्स ने तिरंगे के रंग में रंगी भारतीय संसद की तस्वीरें भी शेयर कीं.

@ANSUMANSINGHBA1

अनुच्छेद 370 के तहत अब तक जम्मू-कश्मीर में किसी बाहरी व्यक्ति के संपत्ति ख़रीदने पर रोक थी. इस अनुच्छेद के हटने के बाद अब कोई भी वहां संपत्ति ख़रीद सकता है.

इससे जुड़े चुटकुले और मीम्स भी सोशल मीडिया पर ख़ूब छाए रहे जिनमें कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के लिए संदेश भी लिखा हुआ था.

कश्मीर के साथ सहानुभूति भी दिखाई

हालांकि, सोशल मीडिया और ट्विटर पर कई यूज़र्स ने सरकार की घोषणा और उसकी कार्रवाई को लेकर चिंता भी ज़ाहिर की है.

कई यूज़र्स ने ट्विटर, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक पर कश्मीर और उसकी जनता के साथ सहानुभूति दिखाने के लिए अपनी डिस्प्ले पिक्चर बदलकर लाल रंग लगा दिया.

BBC MONITORING

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जम्मू-कश्मीर के बाहर रह रहे लोगों की मदद के लिए भी कहा. कई यूज़र्स ने ट्वीट किया कि अगर वह कहीं डर महसूस करते हैं या उन्हें कोई धमकाता है तो वह उनसे मदद ले सकते हैं.

BBC Hindi
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English summary
How was the voice of Kashmir missing from the media coverage of Article 370?
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