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ज़हरीली हवा' से दिल्ली में कैसे बचाएं अपनी जान

इस आपातकाल जैसी स्थिति से कैसे निपटा जाए? सेंटर फ़ॉर साइंस से जुड़ी अनुमिता रॉय चौधरी का मानना है कि सरकार को दो तरह के क़दम उठाने की ज़रूरत है.

एक है इमर्जेंसी उपाय जिसे सरकार को तुंरत अमल में लाने की ज़रूरत है. जैसे पावर प्लांट बंद करना, स्कूल बंद करना, डीज़ल जेनरेटर पर रोक, पार्किंग फ़ीस में बढ़ोतरी और ज़्यादा से ज़्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने के लिए इंतजाम करना, जो सरकार ने लागू करना शुरू कर दिया है.

By BBC News हिन्दी
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प्रदूषण, स्वास्थ्य
Getty Images
प्रदूषण, स्वास्थ्य

दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक स्तर से बहुत आगे निकल चुका है. कई इलाक़ों में सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के पार था, जिसका मतलब ये कि हवा सांस लेने लायक बिल्कुल नहीं है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के SAFAR बेवसाइट के मुताबिक़ दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 'ख़तरनाक' श्रेणी में है.

कई जानकारों का कहना है कि इसके लिए ज़िम्मेदार पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली भी है. SAFAR के वैज्ञानिक डॉक्टर उरफ़ान बेग के मुताबिक़ पिछले पांच दिनों में रविवार को सबसे ज़्यादा पराली पंजाब हरियाणा में जलाई गई है.

डॉक्टर बेग के मुताबिक़, "बायो मास शेयर, जिसका सीधा संबंध पराली जलने से है वो पांच नवंबर को 24 फ़ीसदी के आसपास है, पिछले दस दिनों में कभी 10 फ़ीसदी के पार नहीं गया था. ऊपर से रविवार से हवा का रुख़ भी पंजाब-हरियाणा से दिल्ली की तरफ का ही है. इसलिए रात भर में स्थिति और बिगड़ी है.

अगर यही हालत रही और अगले दो दिनों में पटाखे भी जले तो दिवाली बाद तक प्रदूषण का यही स्तर रहने की आशंका है.

हालांकि डॉक्टर बेग कहते हैं कि दिवाली पर प्रदूषण का स्तर कैसा रहेगा इसका इसका सीधा रिश्ता पटाखों के जलने से होगा.

प्रदूषण, स्वास्थ्य, पराली
EPA
प्रदूषण, स्वास्थ्य, पराली

इस प्रदूषण से कैसे बचें?

  • ऐसे प्रदूषण में खेलना, कूदना, जॉगिंग और वॉकिंग बंद कर देनी चाहिए
  • किसी भी तरह की सांस से जुड़ी कोई भी दिक़्क़त आपको हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें
  • घर के अंदर अगर खिड़की खुली रखते हैं तो तुरंत ही उसे बंद कर लें
  • अगर आपके पास ऐसा एसी है जो बाहर की हवा खींचता है, तो उस एसी का इस्तेमाल बंद कर दें
  • अगरबत्ती, मोमबत्ती या किसी तरह की लकड़ी न जलाएं, इससे प्रदूषण और बढ़ेगा.
  • घर पर वैक्यूम क्लिंनिंग का इस्तेमाल न करें. हमेशा धूल साफ करने के लिए पोछे का इस्तेमाल करें
  • धूल के बचने के लिए कोई भी मास्क आपकी सहायता नहीं करेगा. मास्क N-95 या P-100 ही इस्तेमाल करें. इस तरह के मास्क में सबसे सूक्ष्म कण से लड़ने की क्षमता होती है.

मास्क या एयर फ़िल्टर कितने कारगर?

प्रदूषण से बचने के लिए अब बाज़ार में एयर फ़िल्टर और मास्क काफ़ी बेचे जाते हैं, लेकिन क्या ये कारगर हैं? सीएसई के एक्सपर्ट चन्द्रभूषण कहते हैं, ''मास्क या एयर फ़िल्टर का बहुत बड़ा बाज़ार खड़ा हो चुका है. लंबे वक़्त में ये तरीक़ा असरदार नहीं है. अभी जितने आंकड़े आ रहे हैं, वो बताते हैं कि घरों के भीतर भी प्रदूषण होता है. फिर आप चाहे एयर फ़िल्टर लगवा लीजिए या मास्क पहन लीजिए. हम प्रदूषण से नहीं बच सकते. इनसे आप थोड़ा बहुत बच सकते हैं, लेकिन पूरी तरह नहीं. कहा जाता है कि कितनी ही औरतें चूल्हे से निकले प्रदूषण की वजह से मरती हैं. किचन में बच्चों के बैठने का भी असर होता है.''

डॉक्टर मोहसिन वली भारत के कई पूर्व राष्ट्रपतियों के डॉक्टर रह चुके हैं. फ़िलहाल वो गंगाराम अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहे हैं.

प्रदूषण, स्वास्थ्य
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प्रदूषण, स्वास्थ्य

डॉक्टर वली ने कहा, ''अभी N5 मास्कर काफ़ी बिक रहा है. ये आमतौर पर 200 से 800 तक का होता है. पर ये बहुत ज़्यादा असरदार नहीं होता है. वो लोग जो मास्क नहीं खरीद सकते या एयर फ़िल्टर नहीं लगा सकते वो रुमाल या कपड़ा बांधकर कुछ हद तक ही बच सकते हैं.''

एयर फ़िल्टर कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं?

चंद्रभूषण बताते हैं, ''कुछ लोगों का कहना है कि एयर फ़िल्टर से भी प्रदूषण होता है, लेकिन अभी स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि हमें फिल्टर की ज़रूरत न पड़े. ये करना मुश्किल नहीं है. दुनिया के कई देशों ने भी प्रदूषण से छुटकारा पाया है.''

प्रदूषण मापने का पैमाना

एयर क्वालिटी इंडेक्स को मापने के कई पैमाने हैं. इनमें से जो सबसे ज़्यादा प्रचलित है वो है हवा में PM 2.5 और PM 10 का पता लगाना.

PM का मतलब है पार्टिकुलेट मैटर यानी हवा में मौजूद छोटे कण.

PM 2.5 या PM 10 हवा में कण के साइज़ को बताता है.

आम तौर पर हमारे शरीर के बाल PM 50 के साइज़ के होते हैं. इससे आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि PM 2.5 कितने बारीक होते होंगे.

24 घंटे में हवा में PM 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए और PM 10 की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर.

इससे ज़्यादा होने पर स्थिति ख़तरनाक मानी जाती है. इन दिनों दोनों कणों की मात्रा हवा में कई गुना ज़्यादा है.

हवा में मौजूद यही कण हवा के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर ख़ून में घुल जाते है. इससे शरीर में कई तरह की बीमारी जैसे अस्थमा और सांसों की दिक्क़त हो सकती है.

बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बूढ़ों के लिए ये स्थिति ज़्यादा ख़तरनाक होती है.

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जानकारों की राय

इस आपातकाल जैसी स्थिति से कैसे निपटा जाए? सेंटर फ़ॉर साइंस से जुड़ी अनुमिता रॉय चौधरी का मानना है कि सरकार को दो तरह के क़दम उठाने की ज़रूरत है.

एक है इमर्जेंसी उपाय जिसे सरकार को तुंरत अमल में लाने की ज़रूरत है. जैसे पावर प्लांट बंद करना, स्कूल बंद करना, डीज़ल जेनरेटर पर रोक, पार्किंग फ़ीस में बढ़ोतरी और ज़्यादा से ज़्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने के लिए इंतजाम करना, जो सरकार ने लागू करना शुरू कर दिया है.

लेकिन इसके साथ ही सरकार को एक समग्र प्लान तैयार करने की ज़रूरत है ताकि मौजूदा आपातकाल जैसी स्थिति न आने पाए.

जानकारों का मानना है कि प्रदूषण अब पर्यावरण से जुड़ी समस्या नहीं है. यह एक गंभीर बीमारी बन गया है.

BBC Hindi
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English summary
How to save your life from poisonous air in Delhi
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