आपदा से कैसे निपटा जाए, सीएम पटनायक से ये 5 चीजें सीख सकते हैं बाकी राज्यों के मुख्यमंत्री
नई दिल्ली- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आज देश के बाकी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के लिए एक नजीर हो सकते हैं। ओडिशा ने पिछले एक साल के भीतर दो गंभीर आपदा झेले हैं और दोनों का सामना पटनायक ने बखूबी किया है। यही वजह है कि पिछले 15 दिनों में ओडिशा कोविड-19 के पॉजिटिव केस को 4 तक ही सीमित रखने में सफल हुआ है। इसके लिए सीएम पटनायक ने जिस तरह से काम किया है, उससे बाकी मुख्यमंत्री बहुत कुछ सीख सकते हैं।
1.
संकट
की
गंभीरता
को
पहले
से
भांप
लेना
कोरोना
वायरस
के
समय
उन्होंने
फानी
तूफान
की
तरह
ही
दूरदर्शिता
दिखाते
हुए
देशव्यापी
लॉकडाउन
से
पहले
ही
5
जिलों
और
8
शहरों
को
पूरी
तरह
से
लॉकडाउन
किया।
ये
स्थिति
तब
थी,
जब
राज्य
में
70
सैंपल
में
से
सिर्फ
2
पॉजिटिव
केस
ही
आए
थे।
उन्होंने
21
मार्च
को
ही
महामारी
ऐक्ट-1897
के
तहत
एडवाइजरी
जारी
कर
दी।
2.
संकट
से
निपटने
के
लिए
निचले
स्तर
तक
के
प्रशासन
का
बेहतरीन
इस्तेमाल
ओडिशा
में
कोविड-19
के
संक्रमण
को
रोकने
की
दिशा
में
मिशन
शक्ति
सेल्फ
हेल्फ
ग्रुप्स
ने
बहुत
बढ़िया
काम
किया
है।
मुख्यमंत्री
ने
खुद
ही
महिलाओं
के
इस
समूह
के
काम
की
बहुत
सराहना
की
है।
ये
तारीफ
बेवजह
नहीं
है,
करीब
400
मिशन
शक्ति
सेल्फ
हेल्फ
ग्रुप्स
ने
राज्य
के
लोगों
के
लिए
रोजाना
करीब
50,000
मास्क
तैयार
किए
हैं,
जो
समय
की
बहुत
बड़ी
मांग
है।
यही
नहीं
इन
महिलाओं
ने
लोगों
तक
जरूरी
सामान
पहुंचाने
भी
प्रशासन
का
खूब
हाथ
बंटाया
है।
3.
नई
टेक्नॉलॉजी
का
इस्तेमाल
ओडिशा
में
लॉकडाउन
को
इतनी
सफलता
इसलिए
मिली
है,
क्योंकि
पटनायक
ने
टेक्नॉलॉजी
के
माध्यम
से
आम
जनता
तक
सीधे
पहुंचने
की
कोशिश
की
है।
इसका
असर
ये
हुआ
है
कि
कोविड-19
के
खिलाफ
जिस
जागरुकता
की
जरूरत
थी,
उसे
जन-जन
तक
पहुंचाने
में
वह
वक्त
से
पहले
सफल
रहे।
पब्लिक
एड्रेस
सिस्टम
का
भी
बखूबी
उपयोग
किया
है।
4.
लीड
फ्रॉम
द
फ्रंट
नवीन
पटनायक
ने
लॉकडाउन
की
शुरुआत
वाले
दिन
ही
राज्य
के
स्वास्थ्यकर्मियों
को
4
महीने
की
सैलरी
एडवांस
में
देने
की
घोषणा
कर
दी
थी।
उन्हें
पता
है
कि
कोरोना
से
असली
लड़ाई
उन्हें
ही
लड़ना
है।
जबकि,
सीएम
और
मंत्रियों
समेत
चुने
हुए
जनप्रतिनिधियों
की
70
फीसदी
सैलरी
और
आईएएस-आईपीएस
जैसे
बड़े
अफसरों
की
50%
सैलरी
फिलहाल
के
लिए
टालने
की
बात
कह
चुके
हैं।
5.
राहत
से
ज्यादा
बचाव
पर
फोकस
सीएम
को
पता
है
कि
वायरस
को
रोकने
के
लिए
स्वच्छता
बहुत
ज्यादा
जरूरी
है।
उन्होंने
शहरों
में
साफ-सफाई
का
जिम्मा
'स्वच्छ
साथियों'
को
सौंप
दिया
तो
गांवों
में
विशेष
जागरुकता
अभियान
चलाने
का
ऐलान
किया।
इन
कार्यों
के
लिए
हजारों
स्वयं
सेवियों
को
जमीन
पर
उतार
दिया
गया।
उन्होंने
भी
गरीबों
के
लिए
सस्ते
अनाज,
एडवांस
में
मिडडे
मील
देने
जैसी
कई
घोषणाएं
पहले
से
ही
कर
रखी
हैं।