टेक्नॉलॉजी की मदद से लोगों को मिल रहा उनकी पसंद का सही कंटेट: उमंग बेदी
नई दिल्ली। न्यूज ऐप डेलीहंट के प्रेसिडेंट उमंग बेदी ने कहा कि भारत में इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या में पिछले 10 सालों में तेजी से वृद्धि हुई है, इसके साथ-साथ देश के लोगों में समाचार के प्रति उनकी दिलचस्पी में भी काफी बदलाव आया है। बेदी ने इस बारे में विस्तार से बताया कि हाल के दिनों में यूजर्स का कंटेट के प्रति व्यवहार किस तरह से विकसित हुआ, जिसने समाचार और उसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने वाली टेक्नोलॉजी का सबसे अच्छा उपयोग कर बिजनेस के लिए नई रणनीति तैयार करने के लिए प्रेरित किया है।
सीएनबीसी टीवी 18 को दिए इंटरव्यू में उमंग बेदी ने कहा कि डेलीहंट की रणनीति, टेक्नोलॉजी का उपयोग करके डीप पर्सनलाइजेशन के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में सही और पुख्ता समाचार सामग्री प्रदान कराने की है। उन्होंने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि डेलीहंट केवल एक कंटेट एग्रीगेटर है, बल्कि वो भारत के लिए कंटेंट डिस्कवरी की तरह है। उन्होंने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि हम एक एग्रीगेटर हैं, हम इससे भी आगे निकल चुके हैं। क्योंकि जब आप कंटेंट के सोर्स के बारे में सोचते हैं तो हम बड़े संगठनों के साथ काम करते हैं। जो कि लगभग 1500 हैं। हम 15,000 प्रोफेशनली जेनरेटेड कंटेंट क्रिएटर के साथ काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि डेलीहंट में यूजर्स की गोपनीयता के साथ समझौता किए बिना हम यूजर्स के लिए डीप पर्सनलाइजेशन मुहैया कराते हैं। उन्होंने बताया कि डेली हंट का कंटेट यूजर की ओर से तैयार की गई सामग्री नहीं है। यह प्रोफेशनली रूप से तैयार किया गया कंटेंट है। उन्होंने कहा कि न्यूज इनपुट के लिए हमारे पास पूरे भारत में 10,000 स्टिंगर्स हैं, जो हमें समाचार सामग्री देते हैं। 14 से 15 विभिन्न भाषाओं को साथ लेते हुए हम यूजर्स की गोपनीयता और जानकारी से समझौता किए बिना डीप पर्सनलाइजेशन कर सकने की क्षमता का उपयोग करते हैं। अब हम अपने कंटेंट को क्यूरेट करना भी शुरू कर रहे हैं। हम स्टूडियोज बना रहे हैं और आगे चलकर कुछ शो भी ला रहे हैं। जब उनसे क्रिएटिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे पास पब्लिशर्स के तौर पर OneIndia जैसा बड़ा ब्रांड है जिसे डेली हंट ने एक्वायर्ड किया है और यही एडिटोरियल टीम हमारे लिए स्पेशल कंटेट प्रोवाइड करने का काम करती है।
टेक्नोलॉजी का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जा रहा है?
इस सवाल के जवाब में उमंग बेदी ने कहा कि हम एक टेक प्लेटफॉर्म हैं, न कि कंटेंट कंपनी। टेक प्लेटफॉर्म को लेकर आप हैरान होंगे लेकिन सीखना कैसे हैं ये एल्गोरिथ्म और मशीन सीखने फैसला करती है। उन्होंने कहा कि डेलीहंट को 15 अलग-अलग भाषाओं में कंटेंट मिलते हैं तो हम इस बात की पड़ताल करते हैं कंटेंट में है क्या, हम हेडलाइन्स देखते हैं, लेख और न्यूज से जुड़ी सामग्री देखते हैं, वीडियो देखते हैं। इसके बाद वीडियो को इमेज में बदलते हैं और यह समझने का प्रयास करते हैं कि इसकी शैली क्या है, गहराई क्या है, क्या यह टेक्नोलॉजी का आर्टिकल है? क्या यह मोबाइल फोन पर है? या फिर यह दो कम बजट वाले मॉडल की तुलना कर रहा है? इसके बाद हम स्थानीय भाषाओं में जरूरत के मुताबिक उनमें टैग क्रिएट करते हैं और इसे हम 25,000 से अधिक अलग-अलग रूचि के ग्रुपों में डालते हैं,जो 75 से अधिक एल्गोरिदम पर 5-6 साल के मशीन लर्निंग डेटा पर आधारित है।
आगे यह कहते हुए कि एक मशीन यूजर्स के अनुभव को बढ़ाने में मदद करती है, पर उन्होंने कहा कि एक कंटेंट ग्राफ विभिन्न बातों को ध्यान में रखता है। उन्होंने आगे कहा कि रियल टाइम में जब कोई यूजर्स आता है तो हमें एक कंटेंट ग्राफ मिलता है, जो कंटेंट की उपयोगिता में लगातार सुधार कराता है। यहां तक की उस यूजर को किस तरह के कंटेंट चाहिए और वो किस कंटेंट पर क्लिक करता है, कितना समय बिताया है, क्या पसंद है और क्या नापसंद इसके संकेत मिलते हैं, साथ में शेयर और टिप्पणियां भी मिलती हैं। उसके आधार पर हम एक समचार फीड तैयार करते हैं।
फेसबुक मॉडल से कैसे अलग है?
पहली बात फेसबुक या किसी अन्य सोशल नेटवर्क में आपका पर्सनलाइजेशन होता है। जिसके आधार पर हर एक यूजर का एक सोशल ग्राफ होता है, इसलिए वे आपके बारे में सब कुछ जानते हैं। लेकिन हमारे यहां कंटेंट की रणनीति यह है कि आपको अपनी पहचान नहीं बतानी होगी और आपको साइन इन करने की आवश्यकता भी नहीं है। हम एक ऐसी कंटेंट फीड तैयार करते हैं जो जिसमें किसी की पहचान उजागर नहीं की जाती है। बाकी मशीन यह बताती है कि देश दुनिया में कौन से हॉट टॉपिक या अपडेट ट्रेंडिंग हो रहे हैं।
चाहे जीएसटी हो, नोटबंदी या 2019 का होने वाला चुनाव। हर पब्लिशर, जिससे हम कंटेंट प्राप्त करते हैं उसका किसी ना किसी तरफ झुकाव हो सकता है। कोई वामपंथी, कोई दक्षिणपंथी तो कोई सेंटर लेकिन हम डेड सेंटर और न्यूट्रल हैं। हम ऐसे डेस्टिनेशन जोन बनाते हैं, जिसमें कोई यूजर अगर कोई खास सामग्री देखना-पढ़ना पसंद करता है, तो हम उसे दूसरे पब्लिशर के दूसरे पहलू वाले कंटेट के साथ मिक्स कर देते हैं ताकि उसे किसी विषय के सारे पहलू पढ़ने या देखने को मिलते हैं।
भविष्य की योजनाएं
डेलीहंट की भविष्य की योजनाएं पर बात करते हुए उमंग बेदी ने कहा कि हम टीवी प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं। हम 30-40 चैनल लॉन्च कर चुके हैं जो कि आने वाले दिनों में 543 तक जाएंगे जो कि देश के हर एक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। हम यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधान हैं कि कंटेंट में संपादकीय पूर्वाग्रह कहीं नजर न आए। ये कंटेंट स्ट्रिंगर्स और बड़े प्रकाशकों का होगा हमें समग्र दृष्टिकोण देंगे। वास्तव में यह हमारे टीवी कैंपेन का भी हिस्सा है जो कि इन दिनों टेलीविजन पर दिखाई दे रहा है।
फेक खबरों पर अंकुश लगाने पर
फेक न्यूज आज एक बहुत बड़ा खतरा है। कहां से शुरू होती है फर्जी खबर? इस पर उमंग बेदी ने कहा कि यह या तो फेक है या फिर प्रोपोगेंडा है। या फिर इसकी शुरुआत एक यूजर की तरफ से होती है इसलिए हम यूजर जनरेटेड कंटेंट प्रोवाइड नहीं कराते हैं। जितने भी कंटेंट आते हैं सभी एडिटोरियल रिव्यू से होकर गुजरते हैं। इसके लिए हमारी कंपनी डेलीहंट में हमारे 450 लोग हैं जबकि 400 लोगों की वनइंडिया की संपादकीय टीम है जो कंटेंट का संपादन करती है। इसलिए हमें अपने कंटेट पर पूरा भरोसा होता है कि जो भी कंटेट आ रहा है वो भरोसेमंद सोर्स से पूरी जांच पड़ताल के बाद आ रहा है।
कई बार बड़े पब्लिशर्स के कंटेंट की भी फेक न्यूज के तौर पर शिकायत सामने आती है। तो वहां हम तीन काम करते हैं। हम पब्लिशर्स क्वालिटी स्कोर और हर एक आर्टिकल के लिए कंटेट क्वालिटी स्कोर कराते हैं। अगर यह कहते हुए कि ये फेक है कोई यूजर दो फ्लैग लगाता है तो हम मैन्युअली चेक करते हैं और सीधे पब्लिशर से बात करते है। सबसे अहम बात यह है कि राजनीति से जुड़े कंटेंट हम छोटे पब्लिशर ने नहीं लेते हैं, हम इसे पीजीसी पब्लिशर से नहीं लेते हैं जब तक कि कोई स्ट्रिंगर जो हमारे लिए काम नहीं करता। हम केवल बड़े और स्थापित पब्लिशर्स से ही इस तरह का कंटेट लेते हैं जिसकी अपनी एक प्रतिष्ठा होती है।