नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैसे करते थे दस्तखत, 80 साल पहले के ऑटोग्राफ में देखिए
नई दिल्ली। आजाद हिंद फौज के संस्थापक और आजादी की जंग में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पूरा देश याद कर रहा है। रविवार (19 अगस्त) को नेताजी की पुण्यतिथि थी। हालांकि उनकी मृत्यु को लेकर रहस्य बना हुआ है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उनका निधन 18 अगस्त 1945 को माना जाता है। उनकी पुण्यतिथि पर अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से लेकर आम लोगों ने अपने-अपने तरीके से नेताजी को याद किया। सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि की मौके पर सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर #subhashchandrabose ट्रेंडिंग में रहा। यूजर्स ने इस हैशटैग के साथ नेताजी को याद करते हुए अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि दी। हालांकि, सुभाष चंद्र बोस के नाम का जो हैशटैग ट्रेंडिंग में था उसको लेकर जानी-मानी लेखिका और वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने एक ट्वीट किया। उन्होंने बताया कि आखिर सुभाष चंद्र बोस खुद अपना नाम कैसे लिखा करते थे। नेताजी का असली हस्ताक्षर कैसा था, इसकी तस्वीर भी उन्होंने शेयर की।
जानिए, नेताजी का असली हस्ताक्षर कैसा था
दरअसल, मृणाल पांडे ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर एक ट्वीट किया। उन्होंने इसमें लिखा, 'कृपया ध्यान दें कि सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) अपना नाम सुभाष (Subhas) लिखते थे ना कि Subhash, जैसा कि मौजूदा हैश टैग में नजर आ रहा है। मृणाल पांडे ने सुभाष चंद्र बोस को लेकर अपनी बात स्पष्ट करने के लिए उनका ऑटोग्राफ भी शेयर किया है। मृणाल पांडे ने बताया कि नेताजी का ये ऑटोग्राफ उन्हें उनकी मां (मशहूर साहित्यकार शिवानी) के ऑटोग्राफ बुक से मिली है।
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वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने शेयर की नेताजी के ऑटोग्राफ की तस्वीर
मृणाल पांडे, हिन्दी की मशहूर साहित्यकार रहीं शिवानी की बेटी हैं, ये ऑटोग्राफ नेताजी ने उन्हीं को दिए थे। मृणाल पांडे के इस ट्वीट में साफ नजर आ रहा है कि ये ऑटोग्राफ 22.1.39 की तारीख नजर आ रही है। करीब 80 साल पहले दिए गए इस ऑटोग्राफ में सुभाष चंद्र बोस ने अपना नाम Subhas Chandra Bose लिखा है। इसीलिए मृणाल पांडे ने ट्वीट करके नेताजी को लेकर चल रहे #subhashchandrabose में ध्यान दिलाते हुए सुभाष (Subhas) ऐसे लिखने की अपील की है।
मशहूर साहित्यकार शिवानी को सुभाष चंद्र बोस ने दिया था ऑटोग्राफ
'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और 'दिल्ली चलो' जैसा नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई में जी-जान लगा दिया। उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ, वहीं उनके निधन को लेकर रहस्य बना हुआ है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उनका निधन 18 अगस्त 1945 को माना जाता है। नेताजी ने आजादी की लड़ाई के अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। उनका बस एक लक्ष्य था देश की आजादी, जिसके लिए उन्होंने हरसंभव कोशिश की।
18 अगस्त को थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक शिक्षा कटक में हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वो कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) चले गए और वहां अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वो इंडियन सिविल सर्विस (ICS) की तैयारी के लिए इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। जहां उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया। 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी जब नेताजी को मिली तो वो सबकुछ छोड़कर भारत लौट आए। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्विस छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। यहां से उन्होंने भारत को आजाद कराने की मुहिम शुरू की। इस बीच उन्हें ब्रिटिश शासन काल में कई बार जेल जाना पड़ा।
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