श्रीलंका धमाकों से कैसे जुड़े हैं दक्षिण भारत के तार
ऐसा कहा जा रहा है कि इसी केस की जांच के दौरान एनआईए को कुछ ऐसे सुराग़ मिले जिनकी बुनियाद पर भारत सरकार ने श्रीलंका को चरमपंथी हमले के बारे में अलर्ट किया था.
भारत की आतंकवाद विरोधी संस्था नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने केरल में कई जगहों पर छापेमारी कर तीन लोगों को हिरासत में लिया है.
एनआईए केरल के कासरगोड में दो घरों पर और पालाकाड में एक घर पर छापा मारा है. तीनों लोगों से पूछताछ जारी है.
एनआईए के अनुसार ये लोग श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए चरमपंथी हमले के लिए ज़िम्मेदार ज़ाफ़रान हाशिम के कथित अनुयायी हैं.
21 अप्रैल को श्रीलंका में हुए हमले में 250 से ज़्यादा लोग मारे गए थे.
हाशिम के इन कथित समर्थकों की सोशल मीडिया वॉल को देखने के बाद एनआईए को इनपर शक हुआ था. एनआईए के अनुसार ये लोग हिंसक जेहाद में विश्वास रखते हैं.
इन पर शक होने के कई कारण हैं.
पहला ये कि केरल में हाशिम के कई ऑडियो टेप पाए गए थे. उनमें हाशिम जिस तरह की बातें कर रहे थे वो इस्लाम के जानकारों के अनुसार इस्लाम की बुनियादी शिक्षा से बिल्कुल अलग थी.
दूसरे ये कि ये ऑडियो टेप्स उन लड़कों से बरामद किए गए थे जो अब तमिलनाडु के कोयम्बटूर इस्लामिक स्टेट नाम से मशूहर केस में गिरफ़्तार हुए थे.
ऐसा कहा जा रहा है कि इसी केस की जांच के दौरान एनआईए को कुछ ऐसे सुराग़ मिले जिनकी बुनियाद पर भारत सरकार ने श्रीलंका को चरमपंथी हमले के बारे में अलर्ट किया था.
तीसरे ये कि इन लोगों पर ये भी आरोप है कि इन्होंने 2016 में केरल के 21 नौजवानों को श्रीलंका होते हुए सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान भेजने में मदद की थी.
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कितना बड़ा है ग्रुप
इनका कथित तौर पर 2016 के कोयम्बटूर केस के अभियुक्तों से भी संबंध रहा है. 21 लोग खु़द को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी गुट में शामिल होने के लिए भारत से चले गए थे.
कहा जाता है कि हाशिम ने श्रीलंका में नेशनल तौहीद जमात(एनटीजे) की स्थापना की थी. हाशिम ने एनटीजे के रूप में श्रीलंका की दूसरी प्रमुख मुस्लिम संस्था श्रीलंका तौहीद जमात (एसएलटीजे) से अलग एक संस्था बनाई गई थी क्योंकि एसएलटीजे ने एनटीजे के हिंसक रास्तों का विरोध किया था.
तमिलनाडु में तौहीद जमात नाम की संस्था है लेकिन केरल में तौहीद जमात नाम की कोई संस्था या शाखा मौजूद नहीं है. जानकारों का कहना है कि केरल में तीन दूसरे संगठन हैं जो कि सलफ़ी इस्लाम (कट्टरपंथी इस्लाम) में विश्वास रखते हैं.
लेकिन इन संगठनों के कुछ सदस्य भी उसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो कि एनटीजे के लोग करते हैं जो कि सीधे तौर पर श्रीलंका हमले के लिए ज़िम्मेदार बताए जाते हैं.
एनआईए के एक अधिकारी ने अपना नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर बीबीसी से कहा कि ये कहना मुश्किल है कि ये ग्रुप कितना बड़ा है क्योंकि आजकल ज़्यादातर संपर्क ऑनलाइन होता है.
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अल-वल्ला और अल-बर्रा की किताब
उस अधिकारी का कहना था, ''केरल में जो ऑडियो टेप्स मिले थे उनमें हाशिम के तमिल भाषा में दिए गए भाषण थे. इन भाषणों में हाशिम हिंसक जेहाद की वकालत करते हैं.''
केरल यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर अशरफ़ कड्डाकल ने बीबीसी को बताया कि ऑडियो टेप्स में हाशिम सलफ़ी स्कॉलर शेख़ फ़ौज़ान की किताब अल-वल्ला और अल-बर्रा का ज़िक्र करते हैं. प्रोफ़ेसर कड्डाकल के अनुसार हाशिम कहते हैं, एक मुसलमान को सिर्फ़ एक दूसरे मुसलमान से संबंध रखने चाहिए किसी ग़ैर-मुस्लिम के साथ नहीं. और अगर आप किसी ग़ैर-मुस्लिम माहौल में रह रहे हैं तो आपको मुस्लिम माहौल में शिफ़्ट हो जाना चाहिए.
तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) पर अधिकारियों की नज़र इसलिए गई क्योंकि इसका नाम श्रीलंका के नेशनल तौहीद जमात के नाम से मिलता जुलता है जिसके प्रमुख हाशिम थे.
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लेकिन टीएनटीजे के उपाध्यक्ष अब्दुर्रहमान का बीबीसी हिंदी से कहना था, ''हमलोगों का एनटीजे से कोई लेना देना नहीं है. हमलोग हिंसा में विश्वास नहीं रखते हैं. इसके ठीक विपरीत हमलोग गांव-गांव घूमते हैं और उन्हें शांति का संदेश देते हैं.''
अब्दुर्रहमान ने कहा कि पिछले 30 वर्षों ने हमलोग आपसी सौहार्द बनाए रखने की वकालत कर रहे हैं.
वो कहते हैं, ''हमारे देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और नास्तिक सभी तरह के लोग रहते हैं. हमलोग दहेज प्रथा और दूसरी सामाजिक बुराईयों के ख़िलाफ़ संघर्ष करते हैं. भला हमें दूसरे धर्मों के लोगों से दोस्ती रखने में क्या आपत्ति होस सकती है.''
प्रोफ़ेसर अशरफ़ के अनुसार ''केरल पुलिस ने इनको कभी गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि इनके कोई समर्थक नहीं है. लेकिन मेरा ख़याल है कि इसे शुरू में ही ख़त्म कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह की जोशीली तक़रीरें समाज में कट्टरता को फैलाने में मदद करते हैं.''
एनआईए अधिकारी का कहना है, ''हमलोग निश्चित तौर पर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे. लेकिन हमलोग एक मुहिम भी चला रहे हैं जिसकेतहत ऐसे भटके हुए युवाओं को हिंसा के रास्ते से हटाने की कोशिश करते हैं. मुंबई के एक युवा को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए मनाने में हम सफल हुए थे जो कि सीरिया जाने के लिए एक अरब देश चला गया था.''