दिल्ली में बिना ड्राइवर के चलेगी मेट्रो, कितनी है सुरक्षित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन पर ड्राइवरलेस ट्रेन की शुरुआत की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को हरी झंडी दिखाई.
देश की पहली बिना ड्राइवर की ये मेट्रो 38 किलोमीटर लंबी मैजेंटा लाइन पर चलेगी. 390 किलोमीटर में फैला दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क दिल्ली समेत आसपास के नोएडा, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, ग़ाज़ियाबाद जैसे शहरों को जोड़ता है.
दिल्ली मेट्रो देश की सबसे बड़ी मेट्रो सेवा है. पहली बार इसका परिचालन 24 दिसंबर, 2002 को शाहदरा और तीस हज़ारी स्टेशनों के बीच 8.4 किलोमीटर मार्ग पर हुआ था.
2002 के बाद से, दिल्ली मेट्रो के परिचालन में कई बदलाव आए हैं. ड्राइवरलेस मेट्रो लाने के लिए मेट्रो रेलवेज़ जनरल रूल 2020 में बदलाव किया गया. पहले के नियमों के मुताबिक़ बिना ड्राइवर वाली ट्रेन चलाने की इजाज़त नहीं थी.
जनकपुरी वेस्ट और बोटेनिकल गार्डन को जोड़ने वाली यह लाइन एयपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के साथ नेशनल कॉमन मॉबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) सेवाओं के साथ संचालन करेगी.
मेजेंटा लाइन दिल्ली में जनकपुरी वेस्ट और नोएडा में बोटेनिकल गार्डन को जोड़ती है. इसी लाइन पर पहली ड्राइवरलेस ट्रेन तकनीक शुरू हो रही है. इस तकनीक को 2021 के मध्य तक पिंक लाइन (मजलिस पार्क-शिव विहार) पर भी शुरू करने की योजना है.
अब ट्रेन परिचालन पर ड्राइवरों का कितना नियंत्रण है?
डीएमआरसी के मुताबिक़, अभी भी ज़्यादातर ट्रेन को रिमोट कंट्रोल के द्वारा ऑपरेशन रूम से नियंत्रित किया जाता है, जिसे ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर या ओसीसी कहते हैं.
यहाँ से इंजीनियरों की टीमें पूरे नेटवर्क में रियल टाइम ट्रेन मूवमेंट पर नज़र रखती हैं. ये एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल की तरह होता है. डीएमआरसी के पास अभी तीन ओसीसी हैं, जिनमें दो मेट्रो मुख्यालय के अंदर और एक शास्त्री पार्क में है.
ड्राइवर और ट्रेन ऑपरेटर के पास कितना कंट्रोल है ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस लाइन पर ट्रेन चला रहे हैं.
पुराने कॉरिडोर जैसे रेड लाइन और ब्लू लाइन पर ड्राइवर का कंट्रोल ज़्यादा होता है. वो ट्रेन की स्पीड से लेकर दरवाज़े खुलने और बंद करने तक को कंट्रोल करते हैं. हालांकि वो एक तय लिमिट से तेज़ गाड़ी नहीं चला पाते.
दूसरी लाइनों पर ड्राइवर सिर्फ़ चलने का कमांड देते हैं. लेकिन कई बार इन लाइनों पर भी ऑटोमैटिक कंट्रोल बंद कर दिए जाते हैं ताकि ड्राइवर किसी तरह की आपातकाल परिस्थिति के लिए तैयार रहें.
मेजेंटा लाइन पर 28 दिसंबर से क्या बदलाव होगा?
अब इस लाइन पर मेट्रो का संचालन ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन (डीटीओ) तरीक़े से होगा. इसमें ट्रेनों का नियंत्रण बिना किसी इंसानी दख़ल के डीएमआरसी के तीन कमांड सेटंरों से हो सकता है.
कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) सिग्नलिंग तकनीक ट्रेनों के संचालन और उसमें किसी समस्या के समाधान को दुरुस्त करने में सक्षम है.
ट्रेन के संचालन में किसी ड्राइवर की आवश्यकता तभी होगी जब कोई हार्डवेयर बदलने की ज़रूरत होगी.
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ड्राइवरलेस ट्रेन तकनीक का एक मापदंड होता है जिसे ग्रेड्स ऑफ़ ऑटोमेशन (जीओए) कहते हैं.
जीओए एक तकनीक में एक ड्राइवर ट्रेन चलाता है. जीओए 2 और जीओए 3 में ड्राइवर की भूमिका सिर्फ़ दरवाज़ों को खोलने और आपातकालीन परिस्थितियों में ट्रेन चलाने की होती है जबकि ट्रेन का चलना और रुकना ऑटोमैटिक होता है. जीओए 4 में पूरी ट्रेन अपने आप चलती है.
डीएमआरसी के पास 2017 से यह तकनीक मौजूद है लेकिन इसे शुरू करने से पहले उसने कड़े परीक्षण किए हैं. इसकी शुरुआत मई 2020 से होनी थी लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था.
कितनी सुरक्षित है ड्राइवरलेस मेट्रो
डीमआरसी के मुताबिक़ मेट्रो को चलाने से जुड़े कई काम पहले से ही ऑटोमैटिक हैं. हाई रिज़ॉल्यूशन के कैमरे लग जाने से ट्रैक पर केबिन से नज़र रखने की ज़रूरत नहीं होगी. इस नए प्लान के मुताबिक़ ट्रैक और ट्रेन के ऊपर से गुज़रने वाली तारों पर लगातार नज़र रखी जाएगी और किसी आपातकाल की स्थिति में तुरंत क़दम उठाए जा सकेंगे.
कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सेफ़्टी (सीएमआरएस), जिसने 18 दिसंबर को बिना ड्राइवर के ट्रेन की अनुमति दी थी. उनका ये सुनिश्चित करने का निर्देश है कि कमांड सेंटर पर सबकुछ साफ़ दिखे और ट्रेन पर लगे कैमरों को नमी से मुक्त रखा जाए.
डीएमआरसी के मुताबिक़ उन्होंने प्रणालियों के निरीक्षण और समीक्षा के लिए एक सलाहकार भी नियुक्त किया है. इसकी रिपोर्ट डीएमआरसी सीएमआरएस को परिचालन शुरू होने के बाद देगा.
कमांड सेंटर पर इंफ़ॉर्मेशन कंट्रोलर होंगे, जो कि यात्रियों और भीड़ की मॉनीटरिंग करेंगे. इसके अलावा ट्रेन से जुड़ी दूसरी जानकारियों और सीसीटीवी की भी लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी. लेकिन अभी भी ये सिस्टम अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन (यूटीओ) मोड यानि पूरी तरह से ड्राइवरलेस मोड से दूर है.
तो क्या अभी ट्रेन पर ड्राइवर मौजूद होंगे?
जब तक डीएमआरसी पूरी तरह से यूटीओ मोड में नहीं चला जाता, एक ट्रेंड मेट्रो ऑपरेटर ट्रेन पर मौजूद होगा ताकि किसी इमरजेंसी की हालात को संभाला जा सके. जैसे ही मेट्रो में हर तरह की गड़बड़ी को पकड़ने वाले कैमरे लग जाएंगे, ड्राइवर हटा दिए जाएंगे.
समय के साथ ड्राइवर की केबिन और कंट्रोल पैनेल भी हटा दिए जाएंगे. अभी ड्राइवर के केबिन ट्रेन के आगे और पीछे लगे होते हैं. अभी लगाए गए कैमरों से ट्रैक पर होने वाली गड़बड़ियां नहीं देखी जा सकतीं. ट्रैक की फ़ुटेज को रियल टाइम में कमांड सेंटर से देखने के लिए भी कुछ बदलाव और करने हैं.