जब दुनिया ने देखा भारत के विदेश मंत्री जयशंकर का 'रौद्र' रूप, ये रहे 5 सबूत
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। अपने इस दौरे पर उन्होंने अपने सख्त तेवरों से दुनिया को रूबरू करा दिया है। कश्मीर और आर्टिकल 370 की बात हो या फिर भारत पर ब्रिटिश हुकूमत की बात हो, जयशंकर ने कड़े शब्दों में दुनिया को संदेश दिया। कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की बात पर तो उनका जवाब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के लिए भी हैरान करने वाला होगा। मई में जब मोदी सरकार 2 का आगाज हुआ तो जयशंकर की एंट्री ने सबको चौंका दिया था। अब करीब पांच माह बाद वे तमाम लोग जो उस समय उनकी एंट्री को लेकर कई तरह के कयास लगा रहे थे, मानने लगे हैं कि विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर का कैबिनेट में आना सही फैसला साबित हुआ है।
ब्रिटेन ने लूटे भारत के 45 ट्रिलियन डॉलर
विदेश मंत्री बुधवार को अटलांटिक काउंसिल इवेंट में बोल रहे थे। यहां पर उन्होंने कहा, '200 साल तक भारत ने पश्चिमी देशों का शोषण झेला। दो सदी तक भारत पर ब्रिटिश हुकूमत रही और वे भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की कीमत की संपदा लूटकर ले गए।' जयशंकर ने कहा कि 18वीं सदी से भारत में जो बाहरी ताकतें आईं उन्होंने 190 साल तक देश को लूटा। जयशंकर ने यह बात कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस की ओर से हुई उस स्टडी की तरफ था जो अर्थव्यवस्था से जुड़ी थी। इस स्टडी में भारत की आर्थिक स्थिति के लिए ब्रिटिश हुकूमत को जिम्मेदार ठहराया गया था। यह पहला मौका था जब देश के किसी विदेश मंत्री ने सख्त तेवर अपनाते हुए इस तरह का बयान दिया था।
कश्मीर पर मध्यस्थता के सख्त खिलाफ
इससे अलग अपने अमेरिका दौरे पर आक्रामक तेवर अपनाते हुए जयशंकर ने अमेरिका को चेता दिया है कि जम्मू कश्मीर पर किसी भी तरह से तीसरे पक्ष की तरफ ये मध्यस्थता का ऑफर बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। जयशंकर ने कहा, 'मैं इस मुद्दे को लेकर अपने दिमाग में बहुत ही स्पष्ट हूं। मेरा तर्क बहुत सरल है। (यह) किसका मामला है? मेरा, किसे फैसला करना है? मुझे। अगर यह मेरा मामला है और मुझे फैसला करना है, तो मैं तय करूंगा कि मुझे किसी की मध्यस्थता चाहिए या नहीं। आप अपनी पसंद से कोई भी प्रस्ताव रख सकते हैं लेकिन यदि मैं फैसला करता हूं कि यह मेरे लिए प्रासंगिक नहीं है तो ऐसा नहीं होगा।'
अमेरिका को रूस पर दिया कड़ा जवाब
चीन और अमेरिकी मसलों को करीब से समझ सकने वाले जयशंकर ने जब सोमवार को अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोंपेयो से मुलाकात की तो उन्हें भी कड़ा संदेश दिया। अब उनकी मुलाकात रक्षा मंत्री मार्क एस्पर से होगी। पोंपेयो के साथ मुलाकात में विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद के सिलसिले में विदेश मंत्री ने स्पष्ट कह दिया कि रूस से हथियार खरीदने के मामले में कोई हमें आदेश करे, यह बात हरगिज नापसंद है। जयशंकर के इस संदेश को एक अहम कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन को कश्मीर पर कड़ा संदेश-आप परेशान मत होइए
पांच अगस्त को आर्टिकल370 खत्म हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री को चीन की यात्रा पर भेजा। उनकी यह यात्रा पहले से तय थी मगर जयशंकर ने अपनी इस यात्रा में चीन को साफ कर दिया कि आर्टिकल 370 और जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा भारत का आतंरिक मसला है। इसमें किसी को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। जम्मू कश्मीर को लेकर परेशान चीन को भारत ने साफ संदेश दिया है उसकी चिंताएं गलत हैं क्योंकि कश्मीर, भारत का वह आतंरिक मसला है, जिससे चीन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी की ओर चीन को यह संदेश दिया गया था। राजनयिक सूत्रों की मानें तो जयशंकर ने मिसरी को निर्देश दिया था कि उन्हें चीन में रहकर, कैसे उन्हें जवाब देना होगा।
चीन और पाक को घेरने में माहिर
अगस्त में जब पाकिस्तान के कहने पर चीन ने बंद कमरे में सुरक्षा परिषद की मीटिंग बुलाई तो उस समय भी जयशंकर के आक्रामक तेवर देखने को मिले थे। यूएन में भारत के स्थायी राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने अपने बॉस जयशंकर के निर्देश में चीन और पाक को चित करने की रणनीति तैयार की। 10 मिनट में अकबरुद्दीन ने दोनों देशों को पानी पीने पर मजबूर कर दिया था। यूएनएससी में अकबरुद्दीन के चीनी समकक्ष झांग जुन और पाकिस्तानी समकक्ष मलीहा लोधी के दावों को कैसे नकारना है, इसके लिए विदेश मंत्री जयशंकर के साथ चर्चा ने अकबरुद्दीन को काफी मदद की। उस समय जयशंकर यूएन में मौजूद भारतीय अधिकारियों के साथ बराबर संपर्क बनाए हुए थे।