बड़े बाबू से देश के सबसे बड़े पद तक, जानिए कैसे पहुंचे प्रणब मुखर्जी
देश के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जुलाई (मंगलवार) को 14वें राष्ट्रपति की शपथ लेंगे। इससे पहले वरिवार को संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों ने प्रणब मुखर्जी को फेयरवेल दी थी।
नई दिल्ली। प्रणब मुखर्जी देश के उन चुनिंदा नेताओं में एक हैं, जिन्हें न केवल पक्ष बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं से सम्मान मिला। 13वें राष्ट्रपति के तौर उनका कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो गया। देश के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जुलाई (मंगलवार) को 14वें राष्ट्रपति की शपथ लेंगे।
रविवार को प्रणब मुखर्जी को दी गई फेयरवेल
इससे पहले रविवार को संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों ने प्रणब मुखर्जी को फेयरवेल दी थी। इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की और अपने राजनीतिक गुरु को भी याद किया। आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं प्रणब मुखर्जी के गुरु? साथ ही यह भी जानिए कि 'बड़े बाबू' कैसे बने पत्रकार और प्रोफेसर और कैसे भारतीय राजनीति के पटल पर आते ही छा गए।
रिटायरमेंट के बाद प्रणब मुखर्जी 10 राजाजी मार्ग में शिफ्ट हो जाएंगे
2012 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद प्रणब मुखर्जी प्रचार अभियान में जुटे थे। इस दौरान एक टीवी चैनल से बातचीत में प्रणब ने कहा था, 'मैं आज जो भी हूं वह मैंने इंदिरा गांधी से सीखा है, मेरी गुरु।"
रिटायर होने के बाद प्रणब मुखर्जी अपने नए आवास 10 राजाजी मार्ग में शिफ्ट हो जाएंगे।
प्रणब मुखर्जी को 75 हजार प्रति माह की पेंशन मिला करेगी।
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बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की
बचपन में प्रणब दा को सब प्यार से पोलटू बुलाया करते थे।
प्रणब दा ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।
प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए और एलएलबी की डिग्री ली।
करियर के शुरुआती दौर में मुखर्जी कोलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के ऑफिस में क्लर्क हुआ करते थे। इसके बाद वह 1963 में विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर भी रहे।
प्रणब दा ने कुछ समय पत्रकारिता भी की
प्रणब दा ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता भी की। 1969 में वह अजय मुखर्जी की अध्यक्षता वाली बांग्ला कांगेस में शामिल हुए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद प्रणब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ था।
वह जुलाई 1969 में पहली बार राज्य सभा में चुनकर आए।
प्रणब मुखर्जी फरवरी 1973 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने थे।
13 नंबर से है प्रणब दा का खास नाता
वह 13वें राष्ट्रपति हैं।
13 नंबर का बंगला है दिल्ली में।
13 तारीख को आती है शादी की सालगिरह।
इतना ही नहीं 13 जून को ही राष्ट्रपति पद के लिए ममता ने प्रणब का नाम उछाला था
1996 से लेकर 2004 तक केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार रही। 2004 में यूपीए की सत्ता में वापसी हुई और प्रणब मुखर्जी केंद्रीय मंत्री बने।
कब-कब संसद में प्रणब दा
प्रणब मुखर्जी को पहली बार जुलाई 1969 में राज्य सभा के लिए चुना गया था।
उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए।
वह 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे।
मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे।