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वाराणसी में मुसलमानों का रहनुमा बनने की मची होड़

By Vidya Shankar Rai
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Varanasi
वाराणसी। देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी (आप) संस्थापक अरविंद केजरीवाल के चुनाव लड़ने के फैसले से चुनावी जंग रोचक हो गई है। यहां जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टियां अलग-अलग दांव खेल रही हैं, इसी क्रम में अब इन पार्टियों के बीच खुद को मुसलमानों का रहनुमा साबित करने की होड़ मची हुई है।

आप नेता केजरीवाल वाराणसी में डेरा डाल चुके हैं। उनकी आहट से ही विरोधी पार्टियों के खेमे में बेचैनी साफ दिखाई दे रही है। काशी पहुंचे केजरीवाल यहां का जातीय संतुलन साधने में जुटे हुए हैं और यहां के मौलानाओं से भी मुलाकात कर चुके हैं।

उन्हें हालांकि, कहीं से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिल सका है। अब उन्होंने गांवों का रुख किया है। अब वह गांवों में चौपाल लगाएंगे। केजरीवाल बुधवार को ग्रामीण क्षेत्र में पांच जगहों पर आम लोगों के बीच बैठकर समस्याएं समझेंगे और उनके दुख दर्द से जुड़ने का प्रयास करेंगे।

काशी पहुंचकर केजरीवाल ने शहर में मुसलमानों के धर्मगुरु गुलाम यासीन से मुलाकात की। केजरीवाल वाराणसी संसदीय सीट से अपना नामांकन 23 अप्रैल को करेंगे।

मनीष सिसौदिया ने बताया कि केजरीवाल के प्रस्तावक का नाम अभी तय किया जा रहा है। केजरीवाल चुनाव तक काशी में ही रहेंगे और तुलसीघाट स्थित अतिथि गृह उनका ठिकाना होगा। आप नेता सिसौदिया व संजय सिंह भी वहीं डेरा डाले हैं।

इधर, केजरीवाल के पहुंचने से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय ने भी मौलानाओं से मिलने का अभियान शुरू कर दिया है। वह मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच लगातार प्रचार प्रसार करने में जुटे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो मुख्तार अंसारी के कदम वापस खींचने की वजह अजय राय ही हैं। राय और अंसारी के बीच अंदरखाने कई मुद्दों पर सहमति बनी है। हालांकि सार्वजनिक तौर पर अभी ये नेता इस बात को मानने से कतरा रहे हैं।

मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में खींचने के लिए भाजपा भी कांग्रेस और केजरीवाल से अधिक पीछे नहीं दिखाई दे रही है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, मोदी के राज्य गुजरात से मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल वाराणसी का दो बार दौरा कर वापस लौट चुका है।

सूत्रों ने बताया कि गुजरात अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महबूब अली के नेतृत्व में पांच लोगों की टीम वाराणसी का दो बार दौरा कर चुकी है। अली ने इस दौरान स्थानीय मौलानाओं के साथ बैठक कर उनसे मोदी के लिए समर्थन मांगा और बताने की कोशिश की, कि मोदी को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं वह गलत हैं।

अली ने वाराणसी प्रवास के दौरान कई धर्मगुरुओं से मुलाकात की और उनके भीतर यह विश्वास जगाने की कोशिश की, कि गुजरात का मुसलमान मोदी के राज में सुखी है और हर तरह की सुविधाओं का लाभ उसे मिल रहा है।

भाजपा के रणनीतिकारों ने बताया कि दूसरी पार्टियां मुसलमानों को मोदी का भय दिखा रही हैं और उसी भय को कम करने के लिए ही मोदी ने अपने यहां से ऐसे मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजा है, जिसमें उनके सबसे विश्वसनीय लोग शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल वापस लौटकर मोदी को यहां के मुसलमानों का रुझान बताएगी।

इस संदर्भ में जब भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक से पूछा गया तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि गुजरात में जिन क्षेत्रों में मतदान समाप्त हो चुका है वहां से लोग मोदी के प्रचार के लिए वाराणसी पहुंच रहे हैं और उसमें सभी वर्ग के लोग शामिल हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
To ensure the victory in Varanasi, every political party is playing many games and now parties are trying to woo the Muslim voters of the city.
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