G-7 में मिले मौके को मोदी ने कैसे भुनाया भारत के पक्ष में, और भी हैं उपलब्धियां
नई दिल्ली। फ्रांस के बियारिट्ज शहर में दो दिनों तक चले जी7 समिट का सोमवार को समापन हो गया है। इस समिट में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश वापस लौट आए। पहली बार भारत भी इस सम्मेलन का हिस्सा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत इस संगठन में शामिल नहीं है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए मौजूद हैं। अमेरिका, यूके, फ्रांस, इटली, कनाडा, जापान और जर्मनी, जी7 के सदस्य देशों में शामिल हैं। इस बार जी7 का आयोजन ऐसे समय में हुआ जब एक तरफ अमेजन के जंगल भयानक आग का सामना कर रहे हैं तो ईरान और अमेरिका के बीच तनाव जारी है। लेकिन भारत के लिए यह सम्मेलन एक अहम मौका बना। आइए आपको बताते हैं कि अक्सर बिना नतीजे के खत्म हो जाने वाले ऐसे शिखर सम्मेलनों के लिए जी7 कैसे इस बार खास बना।
खास इनवाइट पर गए थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने खासतौर पर इस समिट के लिए इनवाइट किया था। पीएम मोदी इस समिट में बतौर स्पेशल गेस्ट शामिल हो रहे थे। इसलिए उन्होंने जी7 समिट के जरिए एक तीर से दो निशाने साधे और इसमें सफल भी रहे। सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में हुआ जब भारत ने जम्मू कश्मीर आर्टिकल 370 को हटा दिया है। इस अंतरराष्ट्रीय मंच का प्रयोग कर पीएम मोदी ने दुनिया खासकर अमेरिका और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया कि द्विपक्षीय मसलों को भारत खुद सुलझा सकता है और एसे किसी भी तीसरे देश की जरूरत नहीं है। पीएम मोदी ने जहां यूनाइटेड नेशंस चीफ एंटोनियो गुटारेशे से मुलाकात की तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी खास मुलाकात हुई। पीएम मोदी ने यूएन चीफ को साफ कर दिया कि आर्टिकल 370 का हटाया जाना और जम्मू कश्मीर, दोनों ही मसले भारत के आतंरिक मसले हैं।
सबसे ज्यादा हुई कश्मीर पर चर्चा
भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, साउथ अफ्रीका, सेनेगल और रवांडा को भी मैंक्रो ने इनवाइट किया है। इस बार जी7 समिट में जो अहम मुद्दे छाए हुए हैं उनमें कश्मीर के अलावा ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स कोड, ईरान-अमेरिका तनाव के साथ क्लाइमेट कंट्रोल, यूक्रेन के अलावा भारत के न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। लेकिन गूंज कश्मीर के मुद्दे की सबसे ज्यादा थी। नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच ट्रेड समेत दूसरे अहम मसलों समेत कश्मीर पर भी चर्चा हुई। पीएम मोदी ने ट्रंप को दो टूक बता दिया कि कश्मीर भारत का आतंरिक मसला है। यह एक द्विपक्षीय मसला है जिसमें किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यहां पर यू-टर्न लेते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मसले को सुलझाएं।
अमेजन में लगी आग भी बनी मुद्दा
अमेजन के जंगलों पर लगी आग को लेकर भी इस सम्मेलन में चर्चा हुई। जी7 देशों की शुरुआत से पहले फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों अमेजन के जंगलों में लगी आग को अंतरराष्ट्रीय समस्या बताया था।उन्होंने कहा था कि जी-7 में इस समस्या को सबसे पहले देखने की जरूरत है। मैक्रों ने ट्वीट करके लिखा था, 'हमारा घर जल रहा है, सच में। अमेजन का जंगल, दुनिया का फेफड़ा जोकि 20 फीसदी ऑक्सीजन धरती को मुहैया कराता है, वह जल रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय समस्या है। जी-7 समिट में शुरुआती दो दिनों में तमाम देशों को एक साथ मिल कर इस समस्या का आपातकाल के तौर पर देखने की जरूरत है।' मैंक्रो की ट्वीट के बाद जी7 देशों की ओर से ब्राजील को इसके लिए मदद की पेशकश भी की गई। हालांकि ब्राजील के राष्ट्रपति की ओर से मदद लेने से इनकार कर दिया गया है।
सुलझ सकता है ईरान और अमेरिका का तनाव
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो के एक फैसले से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तगड़ा झटका लगा। ट्रंप को चौंकाते हुए मैंक्रो ने अमेरिका के इस समय बड़े दुश्मन बन चुके ईरान के विदेश मंत्री को भी जी-7 सम्मेलन में बुला लिया। ईरानी के विदेश मंत्री जावेद जारीफ इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस पहुंचे। खुद ट्रंप को इस बात की जानकारी नहीं थी और जब उन्होंने कॉन्फ्रेंस में जारीफ को देखा तो हैरान रह गए। जारीफ को इस सम्मेलन में देखना ट्रंप के लिए काफी कष्टकारी था। मैंक्रो ने ईरान और अमेरिका के बीच तनाव को कम करने की कोशिशों के तहत यह फैसला लिया था। लगता है कि मैंक्रो की कोशिशें रंग लाएंगी क्योंकि ट्रंप ने अब ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मिलने का फैसला कर लिया है।