क्यों और कैसे पीएम मोदी ने लिया मलेरिया की दवाई पर लगे बैन को हटाने का फैसला
नई दिल्ली। भारत ने कहा है कि वो कोरोना बीमारी से संबंधित दवाओं की आपूर्ति उन देशों के लिए शुरू करेगा जो इस महामारी से बुरी तरह पीड़ित हैं। सूत्रों की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई वाली धमकी से पहले भी मोदी सरकार ने इस बात का फैसला कर लिया था कि जरूरी दवाईयों की सप्लाई की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने अमेरिका समेत उन सभी देशों को इस बात की जानकारी भी दे दी थी कि सही माध्यम से नाजुक दवाईयों की सप्लाई को आगे बढ़ाया जाएगा। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है।
यह भी पढ़ें-अल्मोड़ा में जन्मे थे मलेरिया की अचूक दवा बनाने वाले डॉ. रॉस
सोमवार को ही ले लिया गया था फैसला
पीएम मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अगुवाई में हुई एक कमेटी की मीटिंग में सोमवार को ही इस बात का फैसला ले लिया गया था कि जिन 14 दवाईयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है, उसे हटा लिया जाएगा। कमेटी की तरफ से घरेलू मांग का अनुमान लगाने के बाद और वर्तमान में हो रही आपूर्ति के बाद फैसला लिया गया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल की सप्लाई को मंजूरी दी जाएगी। अखबार ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सिर्फ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या फिर अमेरिका के बारे में नहीं है। बल्कि भारतीय दवा इंडस्ट्री की तरफ से साउथ अफ्रीका को आठ मिलियन मरीजों के लिए एचआईवी की दवाई और यूके को पैरासिटामोल भी निर्यात की जाती है। इसके अलावा पड़ोसी देश जिसमें मालदीव और मॉरीशस शामिल हैं, उनकी 80 प्रतिशत जरूरत को पूरा किया जाता है।
Recommended Video
अमेरिका को दी गई थी जानकारी
सरकार के सूत्रों की मानें तो अमेरिका, स्पेन, जर्मनी और ब्राजील जिन पर कोरोना वायरस का सबसे बुरा असर पड़ा है, उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात किया जाएगा। तीन दिनों पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को बैन कर दिया गया था। सरकार की तरफ से नीति में हुए बदलाव के बारे में सभी संबधित देशों को जानकारी दे दी गई थी। लेकिन इसकी घोषणा आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को की गई।विदेश मंत्रालय की तरफ से किसी देश का नाम नहीं लिया गया है मगर कहा गया है कि कुछ देशों में जिन पर महामारी की वजह से काफी बुरा असर पड़ा है, उन्हें भी इन जरूरी दवाईयों की सप्लाई की जाएगी।
पीएम मोदी ने क्यों लिया फैसला
विदेश मंत्रालय ने इसके साथ ही इस पूरे मसले का राजनीतिकरण न करने की अपील भी की है। विशेषज्ञों की मानें तो दवाईयों के निर्यात पर लगे बैन को हटाने के फैसले से पीएम मोदी ने सभी देशों को संदेश दिया है कि भारत कभी भी संवेदनशील दवाईयों के निर्यात को लेकर किए गए अपने वादे से पीछे नहीं हटेगा। भारत का दवा उद्योग करीब 50 मिलियन डॉलर का है। मालदीव, सेशेल्स और मॉरीशस जैसे कई देश पूरी तरह से भारत पर निर्भर हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना महामारी की विभीषिका को देखते हुए भारत का हमेशा से ये मानना रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में एकजुट रहकर परस्पर सहयोग करना होगा।
घरेलू जरूरतों को भी रखा जाएगा ध्यान में
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि महामारी के मानवीय पक्ष को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि भारत पैरासिटामॉल और हाईड्रॉक्सीक्लोरीन जैसी जरूरी दवाओं की उचित मात्रा में सप्लाई अपने उन पड़ोसी देशों के लिए करेगा जो इसके लिए हम पर निर्भर हैं। अमेरिकी कंपनियों की तरफ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के लिए 100 प्रतिशत तक निर्यात का ऑर्डर भारत स्थित निर्यात इकाईयों को दिया जा चुका है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि दूसरे देशों की तरफ से मिले हाइड्रोक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल के निर्यात पर फैसला घरेलू जरूरतो को पूरा करने के बाद लिया जाएगा।