Pics: चीनी जवानों के वापस जाने के बाद अब कैसा दिखता है पैंगोंग झील का फिंगर एरिया
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन की सेना का पीछे हटना जारी है। सेना सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 15 के अलावा पीपी 14 और पीपी-17 पर डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। इसके अलावा लद्दाख के फिंगर एरिया से भी अब पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवान पीछे हटने लगे हैं। पांच मई को जब भारत और चीन के बीच टकराव शुरू हुआ तब से ही लगातार फिंगर एरिया का जिक्र सुनाई देने लगा। इस फिंगर एरिया की नई तस्वीरें सामने आई हैं और इनसे यहां के ताजा हालात के बारे में जानकारी मिलने लगी है।
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चीनी टेंट और मशीनें गायब
फिंगर 4 जो टकराव की सबसे बड़ी वजह थी, उसकी नई सैटेलाइट तस्वीरें सामने आर्इ हैं। इसमें नजर आ रहा है कि कैसे पीएलए की नाव, जेसीबी जैसी मशीनें और कैंप्स अब यहां से हट गए हैं। इन तस्वीरों को देखने से साफ होता है कि चीनी सेना यहां से चली गई है और अब यह इलाका पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 17 पर डिसइंगेजमेंट को पूरा कर लिया गया है। इस प्वाइंट से जवान पूरी तरह से पीछे लौट गए हैं और इसे पीपी 14 औरर पीपी 15 के लिए बनाए गए फॉर्मूले के आधार पर ही खाली कराया गया है। गुरुवार दोपहर तक डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा किया गया और फिर करीब 2:30 बजे वैरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हुई।
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चीनी जवानों ने तैयार कर लिए था इनफ्रास्ट्रक्चर
6 जून को जब भारत और चीन के बीच पहली कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी तो उस समय भी इस हिस्से की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थीं। इनमें नजर आ रहा था कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंगे त्सो की यथास्थिति में बदलाव कर डाला है। उनमें साफ नजर आ रहा था कि चीनी सेना ने झील के उत्तरी किनारे पर के इलाकों में अपने टेंट लगा लिए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक फिंगर 4 से फिंगर 8 तक इस इंफ्रास्ट्रक्चर का होना सामान्य बात नहीं है। चीनी सेना ने यहां पर पहले भी टेंट लगाए हैं लेकिन इस स्तर पर कभी आक्रामकता नहीं देखी गई थी। जो इंफ्रास्ट्रक्चर यहां नजर आ रहा है, उससे साफ है कि अच्छी-खासी संख्या में चीनी जवानों को यहां पर लाया जा सकता है।
क्या है पैंगोंग झील का फिंगर एरिया
पिछले कुछ वर्षों में चीन की सेना पैंगोंग झील के किनारे पर पर सड़कों का निर्माण कर लिया है। सन् 1999 में जब कारगिल की जंग जारी थी तो उस समय चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए भारत की सीमा में झील के किनारे पर पांच किलोमीटर तक लंबी सड़क का निर्माण कर लिया था। झील के उत्तरी किनारे पर बंजर पहाड़ियां हैं जिन्हें छांग छेनमो कहते हैं। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही सेना 'फिंगर्स' के तौर पर बुलाती है। भारत का दावा है कि एलएसी की सीमा फिंगर आठ तक है लेकिन वह फिंगर 4 तक के इलाके को ही नियंत्रित करती है। फिंगर 8 पर चीन की बॉर्डर पोस्ट्स हैं। जबकि वह मानती है कि एलएसी फिंगर 2 से गुजरती है। करीब छह साल पहले चीन की सेना ने फिंगर 4 पर स्थायी निर्माण की कोशिश की थी। इसे बाद में भारत की तरफ से हुए कड़े विरोध के बाद गिरा दिया गया था।
फिंगर 5 पर हुआ था झगड़ा
फिंगर 2 पर पेट्रोलिंग के लिए चीन की सेना हल्के वाहनों कार प्रयोग करती है और यहीं से वापस हो जाती है। वहीं इंडियन आर्मी, गश्त के लिए नावों का सहारा लेती है। गश्त के दौरान अगर भारत की पेट्रोलिंग टीम से उनका आमना-सामना होता है तो उन्हें वापस जाने को कह दिया जाता है। यहीं पर कनफ्यूजन हो जाता है क्योंकि वाहन ऐसी स्थिति में होते हैं कि वो टर्न नहीं ले सकते हैं। भारत की सेना पैदल गश्त करती है और हालिया तनाव के दौरान गश्त को फिंगर आठ तक बढ़ाया गया है। मई के माह में भारत और चीन के सैनिकों के बीच फिंगर 5 के इलाके में झगड़ा हुआ है। इसकी वजह से दोनों पक्षों में असहमति बनी हुई है। चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को फिंगर 2 से आगे बढ़ने से रोक दिया था।