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मुकेश अंबानी केस में मुंबई पुलिस ऑफिसर सचिन वाझे विवादित कैसे बने

शिवसेना के अंदर सचिन वाझे को राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेहद क़रीबी माना जाता है. इन्होंने ही रिपब्लिक चैनल के एडिटर अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया था. उस वक़्त मुंबई पुलिस टीम का नेतृत्व सचिन वाझे ही कर रहे थे.

By मयंक भागवत
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सचिन वाझे
Getty Images
सचिन वाझे

महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टी बीजेपी की ओर से पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की गिरफ़्तारी की उठती मांग के बीच गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताया है कि उन्हें क्राइम ब्रांच से हटाया जा रहा है.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे की भूमिका पर सवाल उठाया है.

फडणवीस ने उद्धव ठाकरे सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा है, "क्या अंबानी मामले में सचिन वाझे का कुछ लेना-देना है, क्या यह महज़ संयोग है?

मुंबई के पॉश इलाके पेडर रोड पर स्थित मुकेश अंबानी के घर एंटिलिया के बाहर एक स्कॉर्पियो में जिलेटिन की छड़ मिली थी, इसके बाद स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हीरेन का शव ठाणे से बरामद किया गया. इसके चलते यह पूरा मामला पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है.

16 साल तक सस्पेंड रहे सचिन वाझे कौन हैं?

फड़णवीस के आरोपों के बाद मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, "मुझे मनसुख हीरने के मौत की कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर और ठाणे पुलिस में एक शिकायत दी थी जिसके मुताबिक़ पुलिस और कुछ पत्रकार उनका उत्पीड़न कर रहे थे. मैं इस मामले की जांच के लिए वहां गया था."

इससे पहले सचिन वाझे तब चर्चा में आए थे जब टीवी पत्रकार अर्णब गोस्वामी को हिरासत में लेने पहुँची टीम में भी उन्हें देखा गया था. ऐसे में सवाल यह है कि कौन है यह पुलिस अधिकारी जिनकी इतनी चर्चा हो रही है.

मुकेश अंबानी केस में मुंबई पुलिस ऑफिसर सचिन वाझे विवादित कैसे बने

मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर सचिन वाझे अस्सिटेंट इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. इन दिनों वे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख हैं. इस यूनिट की ज़िम्मेदारी मुंबई में होने वाले अपराधों के बारे में ख़ुफ़िया जानकारी एकत्रित करके अपराध को रोकना है.

लेकिन यह जानना भी दिलचस्प है कि सचिन वाझे को मुंबई पुलिस ने 16 साल तक निलंबित रखा हुआ था. जून, 2020 में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के नेतृत्व वाली समिति ने सचिन वाझे के निलंबन को वापस लिया था, जिसके बाद उनकी वापसी हुई थी. परमबीर सिंह ने उनकी तैनाती प्रतिष्ठित मुंबई क्राइम ब्रांच में किया था.

सचिन वाझे का पूरा नाम सचिन हिंदुराव वाझे है. मूल रूप से वाझे महाराष्ट्र के कोल्हापुर ज़िले से हैं. 1990 में उनका चयन महाराष्ट्र पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ था. वाझे के पुलिस करियर पर नज़र रखने वाले एक सीनियर क्राइम रिपोर्टर ने बताया, "वाझे की पहली नियुक्ति नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली ज़िले में मिली थी. इसके बाद 1992 में उनका ट्रांसफ़र ठाणे में किया गया."

मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा 1990 के दशक में शुरू हुआ था. दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अरुण गवली जैसे गैंगस्टरों के चलते मुंबई की गलियां ख़ून से रंगने लगी थी. तब मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के ख़िलाफ़ अभियान शुरू किया था. मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के शॉर्प शूटरों का एक के बाद एक एनकाउंटर करना शुरू कर दिया था. इसी वक़्त में सचिन वाझे का ट्रांसफ़र मुंबई हुआ था.

सब इंस्पेक्टर से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट

वाझे की तैनाती मुंबई के क्राइम ब्रांच में हुई थी. उनके करियर पर नज़र रखने वाले सीनियर क्राइम रिपोर्टर ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, "वाझे उन दिनों में प्रदीप शर्मा के अधीन काम करते थे. प्रदीप शर्मा की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की थी. उस वक्त शर्मा अंधेरी क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे."

प्रदीप शर्मा के साथ काम करते हुए सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे धीरे-धीरे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनते गए. सीनियर क्राइम रिपोर्टर का दावा है, "सचिन वाझे अब तक अंडरवर्ल्ड के 60 से ज़्यादा शूटरों का एनकाउंटर कर चुके हैं."

पहली बार सचिन वाझे तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने मुन्ना नेपाली का एनकाउंटर किया था. 2004 में निलंबित होने से पहले तक सचिन वाझे मुंबई के क्राइम ब्रांच में ही तैनात थे.

ख़्वाजा यूनुस मामले में निलंबन

मुंबई पुलिस ने मुंबई अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ने के लिए एनकाउंटर का सहारा लिया था. एक तरफ़ मुंबई पुलिस अंडरवर्ल्ड का ख़ात्मा कर रही थी लेकिन दूसरी तरफ़ 2000 के दशक के शुरुआती सालों में मुंबई में चरमपंथ की धमक पहुँच गई थी.

सचिन वाझे तब क्राइम ब्रांच मुंबई में ही थे और दिसंबर, 2002 में घाटकोपर धमाके की जाँच कर रहे थे. इस मामले में पुलिस ने पूछताछ के लिए ख़्वाजा यूनुस को पकड़ा था. बाद में पुलिस ने दावा किया कि ख़्वाजा पुलिस हिरासत से 2003 में भाग निकला. लेकिन उसकी पुलिस हिरासत के दौरान मौत हो गई थी और मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों पर पुलिस हिरासत के दौरान ख़्वाजा को जान से मार देने का आरोप लगा.

कुछ अधिकारियों पर इस सिलसिले में मुक़दमा दर्ज हुआ. सचिन वाझे उनमें एक थे. पुलिस हिरासत के दौरान ख़्वाजा की हत्या के आरोप में सचिन वाझे को 14 अन्य अधिकारियों के साथ मई, 2004 में निलंबित किया गया. 2008 में ख़्वाजा की मौत के 1000 पन्नों की चार्ज़शीट में सचिन वाझे और अन्य अधिकारियों का नाम शामिल था.

नौकरी से इस्तीफ़ा और शिवसेना में शामिल

हालांकि, इससे पहले 2007 में, तीन साल का निलंबन झेलने के बाद सचिन वाझे ने महाराष्ट पुलिस से इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया था. इस्तीफ़ा देने के एक साल बाद सचिन वाझे 2008 में बाला साहेब ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में शामिल हो गए थे.

शिवसेना से जुड़ने के बाद भी सचिन वाझे राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं हुए. हालांकि वे शिवसेना के प्रवक्ता के तौर पर कुछ न्यूज़ चैनलों पर ज़रूर दिखाई दिए.

अर्णब गोवास्मी
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अर्णब गोवास्मी

अर्णब गोवास्मी की गिरफ़्तारी का मामला

सचिन वाझे की ख़ासियत के बारे में एक अन्य क्राइम रिपोर्टर ने बताया, "सचिन वाझे मुंबई पुलिस के टैक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर जाने जाते थे." सचिन वाझे मुंबई पुलिस के पहले अधिकारी थे जिन्होंने साइबर अपराधियों को पकड़ा था. 1997 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था. उनके साथी उन्हें टेक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर बुलाते हैं.

शिवसेना के अंदर सचिन वाझे को राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेहद क़रीबी माना जाता है. कुछ महीने पहले अन्वय नायक सूसाइड केस में पुलिस ने रिपब्लिक चैनल के एडिटर अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया था. उस वक्त मुंबई पुलिस टीम का नेतृत्व सचिन वाझे ही कर रहे थे.

सचिन वाझे ही अर्णब गोस्वामी के चैनल से जुड़े कथित टीआरपी स्कैम की जाँच भी कर रहे हैं.

वैसे सचिन वाझे 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए चरमपंथी हमले पर मराठी में एक किताब लिख चुके हैं.

BBC Hindi
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English summary
How Mumbai police officer Sachin Vaje became controversial in Mukesh Ambani case
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