महाराष्ट्र: सीएम और डिप्टी सीएम को मिलती है कितनी सैलरी
महाराष्ट्र में हुए इस उलटफेर के बीच जानिए, सीएम और डिप्टी सीएम को कितनी सैलरी मिलती है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार के समर्थन से बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार महज चार दिनों के भीतर गिर गई। भाजपा सरकार के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि राज्यपाल ने असंवैधानिक तरीके से देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दे दिया और फ्लोर टेस्ट से पहले ही सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। महाराष्ट्र में हुए इस उलटफेर के बीच जानिए, सीएम और डिप्टी सीएम को कितनी सैलरी मिलती है।
सीएम को मिलती है इतनी सैलरी और सुविधाएं
अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्री की सैलरी भी अलग-अलग होती है। महाराष्ट्र की अगर बात करें तो यहां मुख्यमंत्री को 3 लाख 40 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। इस सैलरी में 1 लाख 45 हजार रुपए बेसिक वेतन, जबकि 86 हजार रुपए महंगाई भत्ते के शामिल हैं। इसके अलावा इसमें 40 हजार रुपए यात्रा भत्ता और अन्य छोटे-छोटे भत्तों के तौर पर जुड़े हुए हैं। इस सैलरी के अलावा मुख्यमंत्री को सुरक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, आवासीय सुविधाएं, बिजली और फोन की सुविधा मिलती है। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद मुख्यमंत्री को पेंशन के तौर पर एक निश्चित धनराशि मिलती है, जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या बोले एनसीपी चीफ शरद पवार
डिप्टी सीएम को मिलती है कितनी सैलरी
मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के पदों के विपरीत उप-मुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) का पद संवैधानिक पद नहीं है। किसी भी राज्य में डिप्टी सीएम का पद रैंक के हिसाब से कैबिनेट मंत्री के पद के बराबर होता है और डिप्टी सीएम को वही वेतन और भत्ते मिलते हैं, जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलते हैं। महाराष्ट्र में विधायकों और मंत्रियों के वेतन में की गई वृद्धि के बाद डिप्टी सीएम को राज्य के मुख्य सचिव के बराबर वेतन मिलता है, दो करीब 2 लाख 50 हजार रुपए है। इसके अलावा डिप्टी सीएम को भी सुरक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, आवासीय सुविधाएं, बिजली और फोन की सुविधा मिलती है। आमतौर पर, डिप्टी सीएम को किसी कैबिनेट मंत्री की तरह एक या दो पोर्टफोलियो मिलते हैं।
इन नेताओं पर थी अजित पवार को समझाने की जिम्मेदारी
आपको बता दें कि बीते चार दिनों के दौरान शरद पवार ने अजित पवार को समझाने के लिए अपनी पार्टी के सीनियर नेताओं को मैदान में उतारा। अजित पवार को समझाने की जिम्मेदारी जिन नेताओं ने संभाली, उनमें छगन भुजबल, जयंत पाटिल, दिलीप वालसे और सुनील तटकरे का नाम शामिल था। इस दौरान शरद पवार ने खुद अजित पवार से दूरी बनाए रखी और असंतुष्ट विधायकों को पार्टी में एकजुट करने के काम पर लग गए। शरद पवार की कोशिश रंग लाई और शनिवार दोपहर से ही एनसीपी के विधायकों ने बयान देने शुरू कर दिए कि उन्हें अजित पवार ने धोखा दिया है।
मैं अब शिवसेना के साथ बहुत आगे निकल आया हूं'
वहीं, शरद पवार ने पार्टी को एकजुट रखने की रणनीति के तहत ही सोमवार को बयान भी दिया, 'मैं अब शिवसेना के साथ बहुत आगे निकल आया हूं। मैंने शिवसेना को वादा दिया था, इसलिए उनके साथ कुछ भी बुरा नहीं कर सकता। हमें पांच साल तक तीन पार्टियों के साथ सरकार चलानी है, इसलिए हम जल्दबाज़ी में काम नहीं कर सकते।' देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। गठबंधन के नेता के तौर पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
ये भी पढ़ें- अजित पवार के पीछे है शरद पवार का हाथ, इस आरोप पर पहली बार क्या बोले एनसीपी प्रमुख