लोकसभा स्पीकर को मिलती है इतनी सैलरी और साथ में ये सुविधाएं
लोकसभा स्पीकर को मिलता है कितना वेतन और क्या-क्या सुविधाएं...
Recommended Video
नई दिल्ली। राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के नए स्पीकर बन गए हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में स्पीकर पद के लिए ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा और एनडीए के सदस्यों ने समर्थन दिया। सामाजिक कार्यों में अपनी विशेष पहचान रखने वाले ओम बिड़ला कोटा विधानसभा सीट से 2003, 2008 और 2013 में विधायक, जबकि कोटा लोकसभा सीट से 2014 और 2019 में सांसद चुने गए हैं। इससे पहले 16वीं लोकसभा में मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से भाजपा की सांसद सुमित्रा महाजन स्पीकर थीं। आइए जानते हैं कि लोकसभा स्पीकर को कितना वेतन और क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं।
स्पीकर को मिलता है इतना वेतन
लोकसभा स्पीकर को राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) के समान मासिक वेतन और दूसरे भत्ते मिलते हैं। लोकसभा का स्पीकर, संसद का ही एक सदस्य होता है, इसलिए उसे 1954 के संसद अधिनियम के तहत वेतन, भत्ते और पेंशन मिलती हैं। इस अधिनियम को दिसंबर 2010 में संशोधित किया गया था। इस विशेष अधिनियम के मुताबिक एक लोकसभा स्पीकर को 50 हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलता है। साथ ही स्पीकर को 45 हजार रुपए प्रतिमाह का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी मिलता है। इसके अलावा स्पीकर को उसके पूरे कार्यकाल के लिए संसदीय सत्र या अन्य समितियों की बैठक में भाग लेने के दौरान 2000 रुपए का दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। कार्यकाल पूरा होने के बाद स्पीकर को संसद का सदस्य होने के नाते 2010 के संसद बिल के मुताबिक 20000 रुपए की मासिक पेंशन मिलती है। पेंशन के अलावा स्पीकर को 1500 रुपए का अतिरिक्त भत्ता भी दिया जाता है।
ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी ने गिनाईं लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की ये खूबियां
वेतन के अलावा मिलती हैं ये सुविधाएं
संसद का सदस्य होने के नाते, स्पीकर को वो सभी सुविधाएं मिलती हैं, जो एक सांसद को दी जाती हैं। स्पीकर और उसके परिवार को सदन के मंत्रिमंडल के बराबर यात्रा भत्ता दिया जाता है। लोकसभा स्पीकर चाहे देश के भीतर यात्रा कर रहा हो या विदेशी दौरा कर रहा हो, उसे मिलने वाली सुविधाओं में फ्री आवास, फ्री यात्रा और फ्री बोर्डिंग शामिल है। स्पीकर को उसके पूरे कार्यकाल के दौरान भारत सरकार की तरफ से किराए से मुक्त दिल्ली में ही आवास की भी सुविधा दी जाती है। आवास के साथ फ्री बिजली, एक तय सीमा तक फ्री फोन कॉल की सुविधा, मुफ्त नौकर और मुफ्त कर्मचारियों की सुविधा भी स्पीकर की दी जाती है। इनके अलावा स्पीकर और उनके परिवार को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं भी मिलती हैं।
कैसे चुना जाता है लोकसभा स्पीकर
लोकसभा का स्पीकर, लोकसभा के सदस्यों के बीच से चुना जाता है। नवगठित लोकसभा की पहली बैठक में ही सदस्यों के बीच में से अध्यक्ष यानी स्पीकर का चुनाव होता है। स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया बेहद सामान्य होती है। सदन में मौजूद लोकसभा के सदस्य बहुमत के आधार पर स्पीकर का चयन करते हैं। आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी या सत्ताधारी गठबंधन अपने एक सदस्य को अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ परामर्श के बाद स्पीकर के रूप में चुनता है। प्रधानमंत्री, स्पीकर के तौर पर चुने जाने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखते हैं और मंत्रिमंडल के सदस्य व सत्ताधारी गठबंधन के नेता उस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। इसके बाद एक साधारण मतदान प्रक्रिया होती है और स्पीकर चुन लिया जाता है। स्पीकर चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और बाकी नेतागण उनकी कुर्सी पर जाकर ही उन्हें सम्मानित करते हैं।
स्पीकर के होते हैं ये अधिकार और जिम्मेदारी
लोकसभा स्पीकर का कार्यकाल 5 साल होता है और वह अन्य लोकसभा सदस्यों की ही तरह एक सदस्य के रूप में शपथ लेता है। लोकसभा का स्पीकर लोकसभा के सत्रों की अध्यक्षता करता है और सदन के कामकाज का संचालन करता है। स्पीकर इस बात का निर्णय करता है कि कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं। सदन के अंदर मर्यादा और अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी भी स्पीकर की ही होती है। स्पीकर को सदन की मर्यादा तोड़ने और अनुशासन भंग करने पर किसी भी सदस्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होता है। लोकसभा स्पीकर अलग-अलग तरह के प्रस्तावों जैसे अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, सेंसर मोशन आदि को लाने की अनुमति देता है। स्पीकर ही यह तय करता है कि सदन की बैठक में क्या एजेंडा लिया जाना है।
ये भी पढ़ें- ओम बिड़ला को चुना गया लोकसभा स्पीकर, कांग्रेस ने भी दिया समर्थन