दिल्ली मेट्रो को 169 दिन बंद रहने से कुल कितने का होगा नुकसान, पूरा आंकड़ा देखिए
नई दिल्ली- अनलॉक- 4.0 में 7 सितंबर से दिल्ली मेट्रो की सेवाएं फिर से शुरू होने जा रही हैं। यानी कोरोना लॉकडाउन की वजह से कुल 169 दिन बाद दिल्ली की धड़कन फिर से पटरियों पर दौड़ने जा रही है। इस दौरान सिर्फ टिकट से दिल्ली मेट्रो को इतना नुकसान हो चुका होगा, जिसकी भरपाई बहुत मुश्किल होगी। 21 मार्च तक जिस रफ्तार से दिल्ली मेट्रो चल रही थी, उसके हिसाब से यह नुकसान 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा। गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो की सेवाएं 22 मार्च से ही स्थगित हैं और केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इसे सात तारीख से पूरे एहतियाती इंतजाम के साथ फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि 5 महीने से भी ज्यादा बंदी के चलते मेट्रो के राजस्व को कितना बड़ा झटका लगा है।
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22 मार्च से पहले रोजाना करीब 60 लाख लोग सफर करते थे
22 मार्च से पहले तक किसी भी आम दिनों में दिल्ली मेट्रो की 300 ट्रेनें अलग-अलग रूटों पर करीब 5,000 फेरे लगाती थी, जिसमें लगभग 60 लाख लोग सफर करते थे। लेकिन, 7 सितंबर से मेट्रो सेवाएं फिर से शुरू करने की घोषणा से कुछ ही दिन पहले फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ बातचीत में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर मंगू सिंह ने कहा था कि आगे जब भी मेट्रो ट्रेनें चलनी शुरू होंगी, कोविड के चलते फिर से उतने यात्री सफर नहीं कर सकेंगे। उन्होंने बताया था कि ट्रेनें शुरू होने के बाद ऑक्युपेंसी 25 से 30 फीसदी के आसपास ही होंगी। मतलब 7 सितंबर के बाद संचालन शुरू होने के बावजूद दिल्ली मेट्रो के 22 मार्च से पहले की तरह कमाई के स्तर तक आने की निकट भविष्य में कोई संभावना नहीं है।
169 दिनों में करीब 1,690 करोड़ रुपये का चूना
कुल मिलाकर रोजाना 60 लाख यात्रियों से होने वाली कमाई से दिल्ली मेट्रो के राजस्व को झटका लगा है, वह बहुत ही बड़ा है। लॉकडाउन से पहले दिल्ली मेट्रो की सिर्फ टिकट से कमाई 10 करोड़ रुपये रोजाना की थी। अगर इस आंकड़े को 169 दिनों (22 मार्च से 6 सितंबर, 2020) के हिसाब से जोड़ें तो 6 सितंबर तक दिल्ली मेट्रो को लगभग 1,690 करोड़ रुपये का चूना लग चुका होगा और उसके बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन और कोविड से जुड़े बाकी एहतियाती उपायों के चलते उसकी कमाई पुराने वाली रफ्तार में लौटने की फिलहाल कोई संभावना नहीं होगी।
पिछले साल यात्रियों से हुई थी 3,121 करोड़ रुपये की कमाई
अगर बीते दो वित्त वर्षों की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में यात्रियों से दिल्ली मेट्रो की कमाई 3,121 करोड़ रुपये हुई थी, जो कि 2018 के वित्त वर्ष में हुई 2,616 करोड़ रुपये की कमाई से ज्यादा थी। दिल्ली मेट्रो ने गैर-यात्री राजस्व से भी 2019 के वित्त वर्ष में 594 करोड़ रुपये जुटाए थे, जो कि 2018 के वित्त वर्ष में मिली 536 करोड़ रुपये की रकम से ज्यादा थी। जाहिर है कि मौजूदा वित्त वित्त वर्ष में करीब 17 सौ करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहले ही हो चुका है और बाकी बचे महीनों में भी स्थिति में बहुत ज्यादा परिवर्तन की उम्मीद नहीं है।
जेईसीए का 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज
गौरतलब है कि डीएमआरसी पर जापान इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एजेंसी का 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। जिसमें मौजूदा वित्त वर्ष में सिर्फ 79.19 करोड़ रुपये का ही ब्याज चुकाया गया है। बाकी कुल 1,663.64 (808.68 करोड़ प्रिंसिपल और 354 करोड़ रुपये ब्याज )करोड़ रुपये 31 मार्च, 2021 तक चुकाने हैं। ऐसी स्थिति में जाहिर है कि दिल्ली मेट्रो के पास सरकार से सहायता मांगने के अलावा कोई उपाय नहीं है।
घटी हुई आमदनी और बढ़े हुए खर्चों से शुरू होगा सफर
मौजूदा स्थिति में दिल्ली मेट्रो का संचालन करीब एक हफ्ते बाद शुरू तो हो रहा है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग, हर पैसेंजर की थर्मल स्क्रीनिंग, हर स्टेशन पर ट्रेनों की स्टॉपेज टाइम लगभग 10-20 से सेकंड से बढ़ाकर 30-40 सेकंड करने और सैनिटाइजेशन का इंतजाम करने और सैनिटाइजेशन के लिए स्टाफ की संख्या बढ़ाने के चलते खर्च बढ़ने की अलग संभावना है। कुल मिलाकर मेट्रो सेवा घटी हुई आमदनी और बढ़े हुए खर्चों के साथ शुरू हो रही है, जिसका बोझ आखिरकार दिल्ली मेट्रो की ही सेहत पड़ने वाला है।
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