सड़कों में गड्ढों की वजह से हुए कितने हादसे ? दुर्घटनाओं के बाकी कारण भी जानिए
नई दिल्ली, 16 दिसंबर: भारत में हर साल खराब सड़कों की वजह से होने वाले हादसों के चलते कई लोग दम तोड़ देते हैं। संसद में सरकार ने जो ब्योरा पेश किया है, उससे अंदाजा लग सकता है कि अगर सड़कों में गड्ढे खत्म कर दिए जाएं तो कितने ही लोगों की जान हर साल बचाई जा सकती है। वैसे अगर सिर्फ नेशनल हाइवे पर सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो भारत अभी भी कई विकसित देशों के मुकाबले काफी पीछे है और यहां जनसंख्या के हिसाब से ऐसे हादसे कम होते हैं। बहरहाल, सड़क हादसों का पूरा डाटाबेस तैयार करने के लिए सरकार अब तकनीक का भी इस्तेमाल कर रही है, जिससे रियल टाइम आंकड़े जुटाए जा सकते हैं और इससे अब तक 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ा भी जा चुका है।

किस वजह से होती हैं सड़क दुर्घटनाएं ?
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजपथ मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सड़क हादसों की कई वजहें बताई हैं। इसके मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं के जो विभिन्न कारण हैं, उनमें ओवर स्पीडिंग, मोबाइल फोन का इस्तेमाल, शराब पीकर गाड़ी चलाना या नशे की हालत में ड्राइविंग, ओवरलोडिंग, वाहनों की स्थिति, कम रौशनी, रेड लाइट जंप करना, ओवरटेकिंग, नगर निकायों की उपेक्षा, मौसम, ड्राइवर की गलती, गलत दिशा में गाड़ी चलाना, रोड की खराबी, वाहनों में खराबी, साइकिल वाले की गलती और पैदल यात्रियों की गलती आदि।

2020 में गड्ढों की वजह से 3,564 सड़क दुर्घटनाएं
गडकरी ने लोकसभा में जो जवाब दिया है उसके मुताबिक रोड इंजीनियरिंग की वजह से होने वाले सड़क हादसों का अलग से कोई डाटा नहीं रखा जाता है। लेकिन, फिर भी जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके अनुसार उन्होंने साल 2019 और 2020 में गड्ढों की वजह से हुई संभावित सड़क दुर्घटनाओं का ब्योरा जरूर पेश किया है। इसके अनुसार 2019 में गड्ढों की वजह से 4,775 सड़क हादसे हुए, जबकि 2020 में 3,564 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जो कि एक साल पहले के मुकाबले 1,211 हादसे कम हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि 2020 में देशव्यापी कोविड लॉकडाउन भी लगाया गया था।

14 राज्यों में सड़क हादसों की रियल टाइम डाटा एंट्री
इस बीच मंत्रालय इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटाबेस (आईआरएडी) को भी लागू कर रहा है, जिसके तहत 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लाइव डाटा एंट्री की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ये हैं- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, मिजोरम, पुडुचेरी, मेघालय, गोवा और केरल। इसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। इस बीच सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड स्थापित करने की प्रक्रिया में है। यह बोर्ड केंद्र और राज्य सरकारों के सड़क सुरक्षा, नवाचार और नई तकनीक को अपनाने और ट्रैफिक और वाहनों को नियंत्रित करने के लिए सलाह देगा।

2020 में कुल 3,66,138 सड़क हादसे
इससे पहले सड़क परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाइवे पर सड़क हादसों को रोकने के लिए कई सुरक्षा उपाए अपनाने की पहल की थी, क्योंकि 2018 में वर्ल्ड रोड स्टैटिस्टिक्स में 199 देशों में भारत तीसरे स्थान पर रहा था। सड़क मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2020 में देश में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए। यह भारत की प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 36 दुर्घटनाओं के बराबर है। इस मामले में कई विकसित देशों से भारत में सड़क हादसे कम हैं। जैसे कि अमेरिका में प्रति लाख आबादी पर 684, जापान में 393, इरान में 365 और तुर्की में 233 हादसे हुए।