जानें कितने साल तक कोरोना वैक्सीन का रहेगा असर, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
जानें कितने साल तक कोरोना वैक्सीन का रहेगा असर, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बेंगलुरु। शनिवार यानी कि 16 फरवरी से देश भर में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा। भारत में ऑक्सफोर्ड की 'कोविशील्ड' और स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' की वैक्सीन लगाई जाएगी। वहीं ब्रिटेन में फाइजर, मॉडर्ना और कोविशील्ड वैक्सीन लग रही है और अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना नामक वैक्सीन लगाई जा रही है। इस टीके को लेकर लोगों के जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं। इतना ही नहीं भारत में तैयार हुए कोरोना के टीके को लेकर तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में कहा है कि ये पूरी तरह से सुरक्षित है। भारत में अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों के बाद 16 जनवरी से COVID-19 वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो रहा है। कोविड वैक्सीन को लेकर लोगों के जेहन में ये बार-बार सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन लगवाने के इस भयावह कोरोना वायरस से छुटकारा मिल जाएगा या कुछ सालों बाद दोबार इस वैक्सीन को लगवाना पड़ेगा? आइए जानते हैं ऐसे ही कई सवालों के जवाब.......
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के पेशेंट सेफ्टी समूह से जुड़े और रुबिन हॉस्पिटल में क्लीनिकल माइक्रोबॉयोलॉजी एंड संक्रामक रोग के कंसल्टेंट और हेड डॉक्टर देबकिशोर गुप्ता और यूनिसेफ के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर गजेंद्र सिंह ने कोरोना वैक्सीन से जुड़े कई सवालों के जवाब एनडीटीवी को दिए।
प्रश्न- अगर देश के नागरिकों को अलग-अलग वैक्सीन लगती है तो क्या कोरोना से निपटने में प्रभावशीलता कम होगी या बढ़ेगी?
उत्तर- एक्सपर्ट के अनुसार दुनिया के देशों में अलग-अलग कोविड-19 वैक्सीन लगाने का कोई नुकसान नहीं है. सारी उपलब्ध वैक्सीन का प्रभाव 60 फीसदी से अधिक पाया गया है. यह कोरोना के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए पर्याप्त है। वैक्सीन लगवाने के बाद प्रति व्यक्ति में कितनी एम्यूनिटी रहेगी ये उसके प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी के स्तर पर निर्भर करता है। यही वजह है कि वैक्सीन का क्लिनीकल ट्रायल हर आयु वर्ग पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में वो ही वैक्सीन लगनी चाहिए जिसका क्लीनिकल ट्रायल यहां भारत के लोगों पर हुआ हो। उन्होंने ये भी बताया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का भारत में कम लेकिन लोगों पर ट्रायल हुआ है। वही कोवैक्सीन का ट्रायल अभी तीसरे चरण में चल रहा है ये वैक्सीन पूरी तरह से स्वेदश है। फाइजर-बायोनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन का भारत में ट्रायल नहीं हुआ है। रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन भारत में वॉलंटियर्स को दी गई है और ट्रायल चल रहे हैं। इसलिए भारत में इसे देना सुरक्षित नहीं होगा।
प्रश्न- क्या हर 2-3 साल में हर किसी को फिर से टीका लगवाने की जरूरत होगी?
उत्तर- इसका जवाब देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि वैक्सीन लगने के बाद कितने लंबे समय तक इस कोरोना वायरस से सुरक्षा देगी और क्या वैक्सीन मौजूदा सभी तरह के स्ट्रेन या भविष्य में कोरोना के अन्य म्यूटेंट स्ट्रेन पर कारगर होगी या नहीं, यह क्लीनिकल ट्रायल के लंबे वक्त के डेटा पर निर्भर करेगा।
प्रश्न- जिनको कोरोना हो चुका है उन्हें भी ये टीका लगवाना चाहिए?
उत्तर- भारत में एक करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण से उबर चुके हैं उन्हें फिलहाल वैक्सीन लेने की किसी प्राथमिकता सूची में नहीं रखा गया है लेकिन इस महामारी से उबर चुके लोगों को ये टीका भविष्य में लेना जरूर चाहिए। इस टीके को लगवाने के बाद उनमें ये मजबूत इम्यूनिटी पैदा करेगा। वर्तमान समय में प्राकृतिक तरीके से एंटीबॉडी तो बनती है लेकिन यह एंटीबॉडी कितने दिनों तक कायम रहेगी यह कुछ निर्धारित नही है। रिसर्च के अनुसार यह एंटीबॉडी 2-3 माह से 8 माह तक हो सकती है वहीं हर व्यक्ति में एंटीबॉडी का स्तर भी अलग-अलग होता है।
प्रश्न
-
वर्तमान
समय
में
कोरोना
से
जूझ
रहे
लोगों
को
क्या
टीका
लगेगा?
उत्तर-
विशेषज्ञों
के
अनुसार
कोरोना
से
संक्रमित
व्यक्ति
में
वायरस
के
सिमटम
दिखने
के
14
दिनों
तक
इसके
वैक्सीन
से
बचना
चाहिए
क्योंकि
इससे
टीकाकरण
केंद्र
पर
अन्य
लोगों
के
संक्रमण
फैलने
का
खतरा
हो
सकता
है।
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