भारत में कब तक आएगी Covid-19 वैक्सीन, कैसे होगा टीकाकरण: AIIMS निदेशक ने दी पूरी जानकारी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बन गया है। बुधवार को फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन को आम जनता के लिए मंजूरी मिलने के बाद कोरोना वायरस संकट में लोगों को एक नई उम्मीद की किरण नजर आई है। गुरुवार को इसी कड़ी में बोलते हुए दिल्ली ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप सिंह गुलेरिया ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ये अच्छी खबर है कि एक वैक्सीन को इतने कम समय में मंजूरी मिल गई है। भारत में भी कुछ वैक्सीन अपने तीसरे चरण में है।
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वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश ब्रिटेन
गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप झेल रहे देशों को बड़ी बेसब्री से कोविड-19 वैक्सीन का इंतजार है। इस बीच फाइजर और बायोएनटेक (Pfizer/BioNTech) ने दावा किया कि उनकी वैक्सिन कोरोना वायरस के खिलाफ 90 फीसदी से अधिक कारगर साबित हुई है। इसी दिशा में बुधवार को ब्रिटेन सरकार ने वैक्सीन को अगले सप्ताह से देशभर में इस्तेमाल करने को लेकर भी मंजूरी दे दी है। ब्रिटेन में वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भारत में भी खुशी की लहर है।
वैक्सीन से मृत्युदर में कमी आएगी
डॉ रणदीप सिंह गुलेरिया ने गुरुवार के एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा, 'भारत में भी ऐसे टीके हैं जो अपने परिक्षण के अंतिम चरण में हैं। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में हमें भारतीय नियामक अधिकारियों से आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिल जाएगी ताकि देश की जनता को वैक्सीन देना शुरू किया जा सके।' डॉ गुलेरिया ने आगे कहा, 'इस बात का पर्याप्त डाटा है कि वैक्सीन सुरक्षित है। करीब 70,000-80,000 लोगों को वैक्सीन दी गई है। अब तक वैक्सीन का कोई गंभीर विपरीत असर नहीं हुआ है। वैक्सीन से मृत्युदर में कमी आएगी और बड़ी आबादी को वैक्सीन लगाने से हम वायरस के प्रसार की चेन को तोड़ पाएंगे।
भारत में कब तक आएगी वैक्सीन
डॉ रणदीप सिंह गुलेरिया ने बताया कि भारत में कोरोना वैक्सीन की मंजूरी मिलते ही, एक हफ्ते में टीकाकरण का काम शुरू हो गया है। भारत में वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद इसके टीकाकरण का काम भी एक सप्ताह में शुरू हो जाएगा। यह काम वैक्सीन बूथ के जरिए पूरा किया जाएगा। भारत में वैक्सीन सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी। इसके हल्के साइडइफेक्ट हो सकते हैं, हालांकि टीके का असर कब तक रहेगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। चेन्नई के वालेंटियर के साइडइफेक्ट के दावे पर बोलते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि वह मामला वैक्सीन से संबंधित होने के बजाय एक आकस्मिक घटना है। जब हम बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाते हैं, तो उनमें से कुछ को कोई न कोई बीमारी हो सकती है, जो टीके से संबंधित नहीं हो सकती।
किन मरीजों को दिया जाएगा वैक्सीन
डॉ रणदीप गुलेरिया अपने इंटरव्यू में यह भी बताया कि वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद उसका उपयोग कोरोना वायरस के किन मरीजों पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शुरू-शुरू में सभी को वैक्सीन देना संभव नहीं होगा लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि किसे सबसे पहले टीके की जरूरत है। हम पहले उन लोगों का टीकाकरण करें जिनके कोविड-19 की वजह से मरने की संभावना अधिक है। बुजुर्गों, गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों और फ्रंट लाइन वर्कर्स को पहले टीका लगाया जाना चाहिए।
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