झारखंड में आदिवासी-जनजातियों पर कितनी मेहरबान रही रघुबर सरकार, पार्टी का दावा वे ही लगाएंगे नैया पार
नई दिल्ली-झारखंड प्रदेश और वहां के मूल निवासी एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में बीजेपी के कार्यकाल में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए वहां जो काम किए गए हैं, उसकी फेहरिस्त काफी लंबी-चौड़ी है। मुख्यमंत्री रघुबर दास के शासनकाल में आदिवासियों के विकास के लिए क्या काम हुए हैं, इसका अंदाजा सिर्फ इतने से ही लगाया जा सकता है कि 2014 तक अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य में बजट जहां सिर्फ 11,997 करोड़ रुपये का था, वह अभी बढ़कर 20,764 करोड़ रुपये यानि लगभग दोगुना पहुंच चुका है।
भाजपा
शासन
में
आदिवासियों
का
कल्याण
झारखंड
में
पहली
बार
आदिवासी
बहुल
गांवों
में
आदिवासी
ग्राम
विकास
समिति
और
दूसरे
गांवों
में
ग्राम
विकास
समिति
का
गठन
कर
उन्हें
5
लाख
रुपये
तक
के
विकास
कार्य
करने
का
अधिकार
दिया
गया
है।
2014
तक
राज्य
में
सिर्फ
647
जाहेर
स्थान/सरना/
मसना
जैसे
स्थलों
की
घेराबंदी
की
गई
थी,
अब
यह
बढ़कर
1,597
हो
चुकी
है।
आदिवासियों
के
लिए
2014
तक
मात्र
18,943
वनाधिकार
पट्टे
जारी
हुए
थे।
पिछले
5
साल
में
61,970
लाभार्थियों
को
1,04,066
एकड़
जमीन
के
पट्टे
दिए
गए
हैं।
पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के युवाओं को यूपीएससी (सिविल सर्विसेज) की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पास करने पर 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि, मुख्य परीक्षा (मेन्स) की तैयारी के लिए दी जा रही है। पहली बार झारखंड पुलिस में पहाड़िया समुदाय के लिए अलग से दो बटालियन का गठन किया गया है। राज्य में आदिवासियों के लिए प्रथम अनुसूचित जनजाति आयोग का भी गठन किया गया है। राज्य में 521 आदिवासी संस्कृति केंद्र, मांझी-मानकी हाउस, धुमकुड़िया जैसे केंद्रों का निर्माण कराया गया है। प्रदेश में 25 नए एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जा रहे हैं।
राज्य में पहली बार परंपरागत ग्राम प्रधान, दिउरी, मानकी, मुंडा, डकुआ, परगणैत, पराणिक, जोगमांझी, कुड़ाम, नायकी, गोड़ैत, मूल रैयत, पड़हा राजा, ग्राम सभा का प्रधान, घटवाल और तावेदार को प्रतिमाह सम्मान राशि दी जा रही है। मानकी, मुंडा और ग्राम प्रधानों के बीच राजस्व कार्य के लिए 7,711 टैबलेट वितरित किए गए हैं। झारखंड में 424 करोड़ रुपये की लागत से 11,126 अनुसुचित जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है।
राज्य की बीजेपी सरकार ने टाना भगतों को मुख्यधारा में लाने और उनके विकास के लिए टाना भगत विकास प्राधिकार का गठन किया है। राजधानी रांची में टाना भगत अतिथि गृह का निर्माण चल रहा है। टाना भगतों की जमीन पर वर्ष 1956 से भुगतान योग्य सेस की रकम को माफ किया गया है और लगान एवं सेस मुफ्त कर दिया गया है। 335 टाना भगतों को मुफ्त में चार-चार गायें दी गई हैं।
राज्य की रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में 60 छात्र-छात्राओं का सर्टिफिकेट इन पुलिस साइंस में नामांकन कराया गया है। अनुसूचित जनजाति समुदाय के उद्यमियों और निवेशकों को रियायती दर पर सरकारी जमीन और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। राज्य में पहली बार अनुसूचित जाति आयोग का गठन कर उसका संचालन शुरू किया गया है।