उदयपुरः पैग़ंबर मामले में समझौते के बाद भी कन्हैयालाल की कैसे हुई हत्या, जाँच शुरू
राजस्थान के उदयपुर में पैग़ंबर से जुड़े मामले में हुई हत्या के एक दिन बाद पुलिस का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है. इस मामले में कई गिरफ़्तारियाँ हुई हैं और एक विशेष जाँच दल ने काम शुरू कर दिया है.
राजस्थान में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उदयपुर शहर में मंगलवार दोपहर एक दर्जी की हत्या के बाद गिरफ़्तार अभियुक्तों से पूछताछ की जा रही है और कहा है कि जाँच में जिन लोगों के नाम आएँगे उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
उदयपुर की घटना के बाद से पूरे राज्य में क़ानून-व्यवस्था को क़ायम रखने के लिए 24 घंटे तक मोबाइल इंटरनेट को सस्पेंड कर दिया गया और सभी ज़िलों में अगले एक महीने तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी गई है.
मृतक कन्हैयालाल के शव को बुधवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया. शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाने के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी.
उदयपुर के एसपी मनोज कुमार ने बताया कि हत्या के बाद कोई भी घटना नहीं हुई है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.
उन्होंने कहा,"अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी. मैं सभी लोगों से क़ानून में भरोसा रखने की अपील करता हूँ."
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राजस्थान पुलिस के अतिरिक्त डीजीपी दिनेश एमएन ने बुधवार को बताया कि प्रदेश में अभी शांति है.
उदयपुर के डिविज़नल कमिश्नर राजेंद्र भट्ट ने बताया कि मृतक कन्हैया लाल के परिजनों को 31 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा.
जाँच शुरू
इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि इस घटना के तार गहरे हो सकते हैं जिसकी जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल का गठन कर दिया गया है और प्रभारी मंत्री उदयपुर पहुँच जुके हैं.
जोधपुर में मीडिया से बातचीत में अशोक गहलोत ने कहा, "एसआईटी ने अपना काम शुरू कर दिया है कल रात से ही, रात को ही गठन कर दिया उसका और अभी जयपुर पहुंचते ही हम लोग लॉ एंड ऑर्डर को लेकर भी मीटिंग कर रहे हैं और ये जो खबरें आ रही हैं, जिसने मारा है, उनके क्या प्लान थे, क्या षड्यंत्र था, किससे लिंक है, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कोई ऐसी एजेंसी है क्या जिससे लिंक है, वो तमाम बातों का खुलासा होगा."
"तो इसको हम उस गंभीरता से ले रहे हैं कि घटना कोई मामूली नहीं है और ऐसे हो नहीं सकती, जब तक कि इसका कोई अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर कुछ जो ऐसे रेडिकल एलिमेंट हैं, उससे लिंक नहीं हो, तब तक ऐसी घटना होती ही नहीं है, ये अनुभव कहता है, उसी रूप में इसकी जांच-पड़ताल शुरू की गई है."
राजस्थान सरकार के मंत्री सुभाष गर्ग ने बताया कि इस मामले में गिरफ़्तारियाँ शुरू हो गई हैं.
उन्होंने कहा," इस मामले में SIT गठित कर दी गई है। पुलिस ने 6 घंटे में आरोपियों को पकड़ा है। इस तरह की घटना न हो उसके लिए प्रशासन को मुस्तैद कर दिया है. एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ की देख-रेख में एक टीम को तैयार कर मौके पर रवाना किया गया है."
वहीं राजस्थान के नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने उदयपुर की घटना के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है.
कटारिया ने उदयपुर के एमबी गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मृतक कन्हैया लाल के परिवार से मुलाक़ात के बाद कहा, "पुलिस को उन्हें सुरक्षा देनी चाहिए थी, उन्होंने सुरक्षा मांगी थी और उनकी दुकान 4-5 दिन बंद रही. ये शत प्रतिशत पुलिस की नाकामी है."
कटारिया ने कहा, नूपुर शर्मा के खिलाफ उसके (कन्हैया लाल) बच्चे या किसी ने भी कोई वीडियो डाली जिसके कारण इस पर केस बना जिसके बाद इसकी गिरफ़्तारी हुई और फिर ज़मानत हुई. आपस में बैठकर समझौता भी हुआ. वो बार-बार सुरक्षा मांग रहा है कि मुझे खतरा है.
और फिर 4-5 दिन उसकी दुकान बंद रही और उसके बाद जब उसने दुकान खोली तो पुलिस को इतना दिमाग तो होना चाहिए कि ये सुरक्षा मांग रहा है और आज दुकान खोल रहा है तो इसको कम से कम सिक्योरिटी देनी चाहिए. निश्चित रूप से प्रशासनिक चूक हुई है जिसके कारण ये घटना हुई है.
पुलिस ने बताया समझौते के बावजूद हुई घटना
राजस्थान के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) हवा सिंह घुमरिया ने मंगलवार को हुई घटना के बारे में पत्रकारों को बताया कि पैग़ंबर मामले पर कन्हैयालाल के ख़िलाफ़ इसी महीने एक शिकायत दर्ज कराई गई थी जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया.
उन्होंने बताया,"10 तारीख़ को मृतक कन्हैयालाल के ख़िलाफ़ एक रिपोर्ट दर्ज हुई थी. उसमें आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद साहब को लेकर जो मामला चल रहा था उसमें जो आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी उसको इन्होंने आगे प्रचारित किया. इसमें पुलिस ने तत्काल ऐक्शन लिया, मुक़दमा दर्ज किया, और कन्हैया लाल को गिरफ़्तार किया. उसके बाद उन्हें कोर्ट से ज़मानत मिल गई."
"ज़मानत पर रिहा होने के बाद कन्हैयालाल ने लिखित रिपोर्ट दी कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है और उन्हें सुरक्षा दी जाए, तो तत्काल एसएचओ ने उनलोगों को बुला लिया जो धमकी दे रहे थे, फिर दोनों समुदायों के 5-5, 7-7 ज़िम्मेदार लोग आपस में बैठकर समझौता कर चले गए कि हमें अब कोई कार्रवाई नहीं चाहिए, जो भी कन्फ़्यूज़न था वो दूर हो गया. इसलिए उसपर आगे कार्रवाई नहीं की गई."
"हम ये पता कर रहे हैं कि जब उस दिन ये समझौता हो गया था तो फिर ये क्यों हुआ ऐसा, समझौता करवाने वाले लोगों ने क्या किया."
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