इस नए खतरे से जानलेवा होता जा रहा है ट्रेन का सफर
जिस तरह आतंकियों ने ट्रेन में धमाके को अंजाम दिया उसे आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का पुराना स्टाइल माना जा रहा है। इसी आधार पर ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुजाहिदीन के कुछ आतंकी ISIS में शामिल हैं।
नई दिल्ली। ट्रेन का सफर पहले सिर्फ दुर्घटनाओं की वजह से खतरनाक माना जाता था लेकिन अब एक नया खतरा रेल के सफर को असुरक्षित बना रहा है। ये खतरा है आतंकी हमला। वारदात को दुर्घटना की शक्ल देकर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। यूपी के कानपुर में बीते साल नवंबर में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद मंगलवार को मध्य प्रदेश के शाजापुर में पैसेंजर ट्रेन में हुए धमाके से एक बार फिर यह साबित हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि धमाके में आतंकी संगठन ISIS का हाथ था। लखनऊ में ISIS के आतंकी सैफुल्ला के एनकाउंटर और वहां मिले आतंकियों ने जिस तरह वारदात को अंजाम दिया वह एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठाता है। ट्रेन लगातार आतंकियों के निशाने पर रही हैं। भारत में अपने पहले हमले में ISIS ने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का तरीका अपनाया है।
शिवराज चौहान ने दिया बयान
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए धमाके में ISIS के आतंकियों का हाथ है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास पक्के सबूत हैं कि आतंकियों ने पाइप बम ट्रेन में लगाया और फिर उसकी तस्वीर सीरिया भेजी। ISIS का हाथ होने के सबूत हमें मिले हैं।' ट्रेन में मंगलवार को सुबह 10 बजे के करीब धमाका हुआ था जिसमें 9 लोग घायल हुए थे। READ ALSO: लखनऊ में मारे गए आतंकी सैफुल्ला के पास मिला हथियारों का जखीरा, ISIS के झंडे के साथ मिली एक डायरी
इंडियन मुजाहिदीन का तरीका अपनाया
जिस तरह आतंकियों ने ट्रेन में धमाके को अंजाम दिया उसे आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का पुराना स्टाइल माना जा रहा है। इसी आधार पर ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुजाहिदीन के कुछ आतंकी ISIS में शामिल हो गए हैं। पाइप बम का इस्तेमाल, बातचीत का स्टाइल और मुख्य हैंडलर से बात के जो सबूत मिले हैं इनसे साफ संकेत मिले हैं कि मुजाहिदीन का ही तरीका ISIS के आतंकी इस्तेमाल कर रहे हैं।
कानपुर में हुए ट्रेन हादसे में भी आतंकियों का हाथ
यूपी के कानपुर जिले में बीते साल नवंबर में हुए ट्रेन हादसे में करीब 150 लोग मारे गए थे। शुरुआत में इसे ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना माना जा रहा था हालांकि बाद में इसके पीछे आतंकी साजिश का खुलासा भी किया गया। कानपुर हादसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का हाथ बताया गया। इसकी जांच के दौरान पुलिस को उस नेटवर्क का पता चला जिसने ट्रेन हादसों को अंजाम देने के लिए मोटी रकम ली थी। इनका मास्टरमाइंड शमशुल होदा नाम का शख्स था जो आईएसआई का एजेंट था। बीते महीने उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
आतंकियों के निशाने पर रेलवे लेकिन सुरक्षा लचर
ट्रेनें लगातार आतंकियों के निशाने पर रही हैं। कानपुर हादसे के बाद भी रेलवे की नींद नहीं खुली। उसके बाद लगातार अलग-अलग राज्यों में रेलवे ट्रैक पर कुछ न कुछ रखकर ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिशें हो चुकी हैं। कई मामलों में ट्रेन के ड्राइवर तो कहीं कर्मचारियों की सतर्कता से हादसे टले हैं। कानपुर हादसे से पहले बिहार के मोतिहारी में रेलवे ट्रैक पर कुकर बम रखकर वारदात को अंजाम देने की कोशिश की गई थी। हालांकि इसे भी टाल दिया गया।
रेलवे ट्रैक को काटने के मामले भी सामने आए
यूपी के संभल जिले में ट्रेनों का दुर्घटना का शिकार बनाने की कोशिशें नाकाम हुईं। दहशतगर्दों ने 8 फरवरी के बाद फिर एक बार रेल ट्रैक काट दिया जिससे बड़ा हादसा हो सकता था लेकिन समय रहते इसे होने से बचा लिया गया। हादसे को अंजाम देने की यह कोशिश मुरादाबाद-चंदौसी रेल ट्रैक को काटकर की गई थी। इसके पहले 8 फरवरी को अलीगढ़-बरेली ट्रैक काटा गया था। रात के अंधेरे में कुछ लोगों ने रेल ट्रैक को अपना निशाना बनाया। देर रात रेलवे के कर्मचारी ट्रैक चेक कर रहे थे तभी ट्रैक को कटा पाया। जिसके बाद तुरंत अधिकारियों को बताया गया और आला अधिकारी सूचना पा कर मौके पर पहुंचे। इस घटना को कानपुर घटना से जोड़कर देखा गया।
किताब में दर्ज बातें करती हैं मुजाहिदीन की ओर इशारा
एक खास बात जो सबका ध्यान खींचती है वो ये है कि ISIS और मुजाहिदीन की विचारधारा मिलती है। ISIS की ओर से जारी की गई 'ब्लैक फ्लैग्स' नाम की एक किताब में जो चीजें दर्ज हैं वह काफी हद तक इंडियन मुजाहिदीन के तरीकों से मिली हैं। वही चीजें कभी मुजाहिदीन के एक सदस्य ने लिखी थीं। आतंकियों ने बातचीत के लिए ऐसे तरीके अपनाए जिससे उन्हें ट्रैक करना आसान नहीं रहा। किताब में पेरिस अटैक की सफलता का गुणगान है जिसके लिए यह वजह बताई गई कि हमलावरों ने कभी बातचीत के डिवाइस इस्तेमाल नहीं किए। यही वो तरीका है जिस आधार पर इंडियन मुजाहिदीन ने कई बार वारदातों को अंजाम दिया है।
यासीन भटकल ने शुरू किया था ये ट्रेंड
जिस वक्त यासीन भटकन इंडियन मुजाहिदीन का अगुवा था, उसने आतंकियों को मोबाइल और ईमेल के बजाय डायरेक्ट बातचीत के लिए कहा था। उसका कहना था कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए वो कभी भी फंस सकते हैं और उनका प्लान लीक हो सकता है। आईएसआईएस की जो किताब सामने आई है उसमें मुजाहिदीन की विचारधारा के अलावा जो चीज सबसे ज्यादा इस्तेमाल की है वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल। खुफिया विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आतंकी संगठन देश में सांप्रदायिक तनाव भड़काना चाहते हैं। यही वजह है कि दादरी हिंसा को किताब में काफी बढ़ाकर लिखा गया है।
कब-कब आतंकियों का निशाना बनी ट्रेनें
- 15 जून 1991 को पंजाब में आतंकियों ने एक ट्रेन में हमला बोला और हिंदू यात्रियों का नरसंहार किया।
- 30 दिसंबर 1996 को पश्चिमी असम में ब्रह्मपुत्र मेल ट्रेन को आतंकियों ने निशाना बनाया। इसमें 33 लोगों की मौत हुई थी। इस रेल लाइन पर आर्मी ट्रेनों को निशाना बनाया जा रहा था।
- 13 मार्च 2003 को मुंबई के मुलुंद रेलवे स्टेशन में ट्रेन के आते ही धमाका हुआ। इसमें 10 लोगों की मौत हुई और 70 लोग घायल हुए।
- 28 जुलाई 2005 को यूपी के जौनपुर में एक एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में हुए धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी और 50 लोग घायल हुए थे।
- 11 जुलाई 2006 मुंबई में ट्रेनों में सात सीरियल धमाके हुए। इनमें 209 लोगों की मौत हुई और 714 लोग घायल हुए।
- 18 फरवरी 2007 को पानीपत में समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए हम धमाके में 68 लोगों की मौत हुई और 50 लोगों की मौत हुई।
- 26 नवंबर 2008 को कसाब समेत तीन आतंकियों ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर हमला किया। इस हमले में 58 लोग मारे गए और 104 लोग घायल हुए.