बदल जाएगा अंग्रेजों के जमाने का भारतीय मौसम विभाग, जानिए कैसे
नई दिल्ली। पुराने समय से आप लोगों को भारत के मौसम विभाग से जुड़े एक मजाक के बारे में सुनते आ रहे होंगे कि जिस दिन मौसम विभाग बताए बारिश होगी, उस दिन तो जरूर नहीं होगा। इस मजाक की एक वजह भी थी और वह थी मौसम विभाग के पास मौजूद अंग्रेजों के जमाने का सिस्टम होना। लेकिन अब अंग्रेजों के जमाने का यह सिस्टम बदलने जा रहा है और मौसम विभाग को एक नया हाइटेक अवतार देने की तैयारी हो रही है।
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60 मिलियन डॉलर का सुपर कंप्यूटर
मौसम विभाग अभी तक मौसम की भविष्यवाणी या फिर पूर्वानुमान के लिए जिस सिस्टम का प्रयोग कर रहा है, वह सन 1920 का है। अब मौसम विभाग अपने लिए एक सुपर कंप्यूटर खरीदने जा रहा है। यह सुपर कंप्यूटर मॉनसून का सटीक पूर्वानुमान देगा। इस सुपर कंप्यूटर की कीमत करीब 60 मिलियन डॉलर है।
मॉनसून का थ्रीडी विश्लेषण
- भारत में मौसम विभाग की स्थापना सन 1875 में हुई थी।
- सन 1886 में पहली बार मौसम विभाग ने मॉनसून का पूर्वानुमान जारी किया था।
- मॉनसून का अनुमान लगाने के लिए भारत में सन 1920 के तरीके का प्रयोग।
- इसे जेटिसनिंग कहते हैं जो ब्रिटिश शासन के दौरान लाया गया।
- अब भारतीय मौसम विभाग एक नया सुपर कंप्यूटर लगा रहा है।
- सुपर कंप्यूटर अगले वर्ष के मॉनसून का सटीक पूर्वानुमान लगाएगा।
- नया सिस्टम अमेरिकी मॉडल पर आधारित है।
- नए मॉडल में आंकड़ों का थ्रीडी विश्लेषण किया जाएगा।
तो 15% तक बढ़ जाएगा खेती का उत्पादन
मॉनसून का पूर्वानुमान खेती से जुड़ी भारत की बड़ी आबादी के लिए जरूरी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर मॉनसून का सही अनुमान मिल जाए तो उत्पादन को 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। न्यूज एजेंसी रायटर्स ने वरिष्ठ वैज्ञानिक एम राजीवन के हवाले से लिखा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो वर्ष 2017 तक नया मॉडल लागू हो जाएगा।
10 गुना तेज है नया सुपर कंप्यूटर
राजीवन ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि नया सिस्टम किस कंपनी की मदद से लगाया जा रहा है लेकिन उन्होंने बताया कि मौजूदा सुपर कंप्यूटर आईबीएम का है। आने वाला सुपर कंप्यूटर इससे 10 गुना तेज होगा। उन्होंने कहा कि अब तक यह सिस्टम इसलिए नहीं अपनाया गया था क्योंकि इससे मॉनसून का अनुमान नहीं लग पाता था। उन्होंने बताया कि वर्तमान सिस्टम में मॉनसून का पूर्वानुमान संभव नहीं था इसलिए अब तक इसका प्रयोग नहीं किया गया था।