Pics: 13,680 फीट की ऊंचाई पर सेना ने कैसे बचाई डेढ़ वर्ष के बच्चे समेत 680 लोगों की जान
तवांग से करीब 78 किलोमीटर की दूरी पर है सेला पास और यह जगह 13,13,680 फीट की ऊंचाई पर है। सोमवार को अचानक यहां पर बर्फबारी हुई और करीब 680 लोग फंस गए जिसमें स्थानीय नागरिकों के अलावा कुछ पर्यटक भी थे। इस मुसीबत की घड़ी में इंडियन आर्मी किसी दूत की तरह सामने आई।
तवांग। हाल ही में भारतीय सेना को दुनिया की चौथी ताकतवर सेना माना गया है। सेना ने सिर्फ देश की सीमाओं को सुरक्षित करने का काम कर रही है बल्कि कई तरह से लोगों की मदद को भी आगे आ रही है। इसका ताजा उदाहरण अरुणाचल प्रदेश के तवांग में देखने को मिला है। तवांग से करीब 78 किलोमीटर की दूरी पर है सेला पास और यह जगह 13,13,680 फीट की ऊंचाई पर है। सोमवार को अचानक यहां पर बर्फबारी हुई और करीब 680 लोग फंस गए जिसमें स्थानीय नागरिकों के अलावा कुछ पर्यटक भी थे। इस मुसीबत की घड़ी में इंडियन आर्मी किसी दूत की तरह सामने आई और उसने मुश्किल हालातों में भी सबकी जान बचाई।
तापमान गिरने के साथ सांस लेने में भी दिक्कतें
सेला पास में तापमान हमेशा 10 डिग्री से कम रहता है और सर्दियों में तो यह -10 डिग्री तक पहुंच जाता है। इतने तापमान में किसी की भी जान कुछ ही मिनटों में जा सकती है क्योंकि यहां तापमान गिरने पर सांस लेने में भी दिक्कतें होने लगती हैं। सोमवार को जब यहां पर बर्फबारी हुई तो यहां से गुजरने वाली करीब 320 गाड़ियां फंस गई थीं। सेना ने जिन लोगों की जान बचाई है उसमें एक डेढ़ साल का बच्चा भी शामिल है जिसे सांस लेने में दिक्कतें हो रही थीं। इसके अलावा 70 वर्षीय एक वृद्ध पर्यटक भी शामिल है जिनका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। इसके अलावा कुछ बुरी तरह बीमार लोगों को भी पहले मेडिकल पोस्ट पर प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर उन्हें वहां से निकाला गया।
सेना ने भेजी तीन रेस्क्यू टीमें
जैसे ही सेना को इस बात की जानकारी मिली कि कुछ लोग सेला पास पर फंस गए हैं, तीन रेस्क्यू टीमों को भेजा गया। यह टीमें पास ही स्थित आर्मी बेस कैंप बैसाखी से सेला पास तक भेजी गईं थी जो कि यहां से 25 किलोमीटर दूर है। इस टीम को हवलदार प्रसन्न राय लीड कर रहे थे और इस टीम ने बर्फ में बुरी तरह फंसी 188 गाड़ियों को निकाला। इसके अलावा 440 लोगों को पास जसवंतगढ़ के रेस्क्यू कैंप भेजा गया।
पिछले वर्ष भी हुआ था ऐसा रेस्क्यू ऑपरेशन
इसके अलावा दो और टीमों को रवाना किया गया जिसे कैप्टन तरुण सिंह गुलेरिया और कैप्टन लावण्या शर्मा लीड कर रहे थे। इस टीम ने 280 लोगों और 132 गाड़ियों को निकाला। पिछले वर्ष भी मार्च में इसी तरह से यहां पर करीब 127 लोग फंस गए थे और उस समय भी सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन ने लोगों की जान बचाई थी।
सात घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
यह रेस्क्यू मिशन सेना के लिए इसलिए भी काफी मुश्किल था क्योंकि यहां पर तापमान जीरो से नीचे था। इसके अलावा लगातार बर्फबारी हो रही थी और साथ ही जल्दी अंधेरा होने की वजह से भी रेस्क्यू टीमों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। बैसाखी ब्रिगेड से आई टीम को सात घंटे तक काम करना पड़ा और तब जाकर इन 680 लोगों की जान बच सकी।