Coronavirus: मोबाइल टॉवर्स की मदद से IB ने कैसे तलाशा 7,000 जमातियों को जो पहुंचे थे निजामुद्दीन मरकज
नई दिल्ली। मार्च माह के अंत में निजामुद्दीन मरकज में मौजूद तबलीगी जमात के सदस्यों ने देश की एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती पैदा कर दी। यहां पर मौजूद कई हजार लोग ऐसे समय में इकट्ठा हुए थे जब पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन को लागू किया जा चुका था। न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने अपनी एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया है कि इन हजारों लोगों को कम से कम समय में मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की मदद से ट्रैक किया गया था। मैक, इंटेलीजेंस ब्यूरो की एक एजेंसी है। एजेंसी के जासूसों ने उन हजारों जमातियों का पता लगाया था जो कोरोना संदिग्ध के तौर पर चिन्हित किए गए थे।
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7,000 जमाती पहुंचे थे मरकज
ये सभी वो जमाती थी जो निजामुद्दीन मरकज में इकट्ठा हुए थे और फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच गए थे। आईबी ने उन लोगों का पता भी लगाया था जो जमात का हिस्सा तो नहीं थे मगर वायरस फैलने के समय मरकज के करीब थे। आईबी के टॉप सूत्रों की तरफ से आईएएनएस को जानकारी दी गई है कि 14 मार्च से 22 मार्च तक के मोबाइल डाटा को निजामुद्दीन एरिया में मौजूद कई टॉवर्स से इकट्ठर किया गया था। इसका मकसद तबलीबी जमात के दायरे में आने वाले लोगों की पहचान करना था। अलग-अलग तारीखों पर करीब 7,000 जमाती एक धार्मिक सभा में इकट्ठा हुए थे। सूत्रों की मानें तो जितनी तेजी से प्लान बनाया गया, उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से इसे अंजाम तक पहुंचाया गया था।
1500 जमातियों ने छोड़ा मरकज
शुरुआती सूचना उस समय मिली जब निजामुद्दीन स्टेशन से कुछ ट्रेनें मार्च के दूसरे हफ्ते में हैदराबाद पहुंची थीं। स्थानीय प्रशासन को इस बात का पता लगा कि इन ट्रेनों में कई जमाती, निजामुद्दीन से सवार हुए थे। इनमें से कई जमाती बाद में कोविड-19 पॉजिविट निकले। आईबी के विजयवाड़ा आईजीकी तरफ से इन घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी गई। 20 मार्च तक इंडोनेशिया के 10 जमाती जो मरकज गए थे, हैदराबाद में जब उनका टेस्ट हुआ तो वो सभी पॉजिटिव निकले थे। इस बीच गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और साउथ-ईस्ट दिल्ली की नगरपालिका अथॉरिटीज हाई अलर्ट पर थीं। 23 मार्च को अथॉरिटीज को इस बात का पता लगा कि करीब 1500 जमाती मरकज से चले गए हैं। मगर बाकी के 1000 जमाती, जमात की छह मंजिला बिल्डिंग में ही रुके हैं।
4,000 लोगों के मोबाइल नंबरों को किया गया ट्रैक
अधिकारिक प्रक्रिया के तहत आईबी और पुलिस ने तबलीगी जमात के करीब 4,000 सदस्यों के मोबाइल नंबरों को पता लगा लिया था। ज्यादातर नंबर दक्षिण भारत के थे और उन सदस्यों के थे जिन्होंने 13 मार्च के बाद मरकज में हिस्सा लिया था। वायरस देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल सकता है, इस डर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को सलाह दी कि उन लोगों की पहचान की जाए जो निजामुद्दीन के भीड़-भाड़ इलाकों में गए थे। इसके बाद इन सभी के टेस्ट की सलाह भी दी गई। आईबी की तरफ से मोबाइल ऑपरेटर्स की मदद से एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया था। बहुत कम समय में आईबी के एजेंट्स एक विशाल डाटा को इकट्ठा करने और उसके एनालिसिस में सफल हो सके।
30 मार्च तक तैयार हुई जमातियों की लिस्ट
कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए आईबी ने जिलों के आधार पर तैयार एक लिस्ट सौंपी। इस लिस्ट में उन लोगों के नाम थे जो या तो मरकज में आए थे या फिर उसके करीब थे। 30 मार्च तक लिस्ट में हजारों लोगों के नाम, मोबाइल नंबर और उनके पते थे। लिस्ट को संबधित जिलों के पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया गया। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के रहने वालों के नाम थे। लिस्ट को मैक की तरफ से भेजा गया था। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस ने कई जमातियों को ट्रैक किया। इन जमातियो को एसमैक यानी सब्सिडरी मल्टी एजेंसी सेंटर से मिले डाटा के आधार पर ट्रैक किया गया था। कुछ जमाती थे तो कुछ उनके रिश्तेदार थे जो कोविड-19 पॉजिटिव जमातियों के संपर्क में आए थे। जिन जमातियों को पता नहीं लग पा रहा था उनका भी पता लगाकर उन्हें क्वारंटाइन किया गया।