अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विदेशी मीडिया ने क्या कहा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से लंबित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। इस मामले पर लगभर सभी विदेशी मीडिया की नजर रही है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दे दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को कहीं और 5 एकड़ की जमीन दी जाए।
मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाया है। पीठ ने कहा है कि विवादित स्थल पर 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं हैं। हिंदू इससे पहले अंदरूनी हिस्से में भी पूजा करते थे। हिंदू बाहर सदियों से पूजा करते रहे हैं। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को अतार्किक करार दिया है।
अमेरिका से लेकर पाकिस्तान तक की मीडिया ने इस ऐतिहासिक फैसले को कवर किया है। चलिए जानते हैं कि विदेशी मीडिया इसपर क्या कहती है-
क्या बोली अमेरिकी मीडिया-
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) ने इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी की जीत बताया है। अपने लेख में न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है, 'भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दशकों पुराने मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस विवादित स्थल पर मुस्लिमों के द्वारा दावा किया जा रहा था। ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके अनुयायियों के लिए देश को धर्मनिरपेक्ष नींव से हटाकर हिंदू बनाने की ओर बड़ी जीत है।'
अमेरिका के एक अन्य अखबार वाशिंगटन पोस्ट (Washington Post) ने लिखा है- 'अयोध्या पर फैसला प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी जीत है। फैसले में मुस्लिम पक्ष के तर्कों को दरकिनार करते हुए हिंदुओं को विवादित जमीन का अधिकार दिया है। जो कि नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ी जीत है।'
इस लेख में आगे लिखा है, 'अयोध्या शहर में हिंदू भगवान राम के एक मंदिर का निर्माण हिंदू राष्ट्रवादियों का एक दीर्घकालिक लक्ष्य है और भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का एक प्रमुख उद्देश्य भी है।'
अमेरिकी अखबार सीएनएन (CNN) ने अपने लेख में फैसले की व्याख्या की है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के इतिहास के बारे में बताया है। सीएनएन ने कहा है कि शनिवार को अयोध्या पर आए फैसले से 'देश के सबसे अधिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील भूमि विवादों में से एक का अंत हो गया है।'
वॉल स्ट्रीट जनरल (Wall Street Journal) ने लिखा है- 'अदालत ने अपने फैसले में 1949 में विवादित स्थल पर भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए दायर मुकदमों की मेरिट पर ध्यान केंद्रित किया। बाबरी मस्जिद की जमीन जो एक तीन गुंबद वाली मस्जिद है, उसे मुगल सम्राट बाबर ने बनवाया था। सदियों से हिंदू कहते आए हैं कि यहां हमलावर मुस्लिम सेनाओं ने मस्जिद को खड़ा करने के लिए एक मौजूदा राम मंदिर को तोड़ दिया था। इसपर 1885 में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। जब एक महंत मंदिर निर्माण के लिए अदालत गए, उनकी याचिका खारिज हो गई। फिर 1949 में कुछ लोगों ने राम भगवान की मूर्ति रख दी, फिर 6 दिसंबर को कार सेवकों ने इस ढांचे को नुकसान पहुंचाया।'
ब्रिटेन की मीडिया क्या कहती है-
ब्रिटेन का प्रमुख अखबार गार्जियन (Guardian) लिखता है कि अयोध्या मामले पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी जीत है। गार्जियन अपने लेख में लिखता है, 'सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने के छह माह बाद ही एक और बड़ी जीत मिल गई है। जिससे अयोध्या में राम मंदिर की पुनर्स्थापना होगी।'
बीबीसी (BBC) लिखता है, 'यकीनन दुनिया के सबसे विवादास्पद संपत्ति विवाद में से एक का अंत हो गया है। जमीन पर विवाद ने भारत को ध्रुवीकृत, निराश किया था। कारण यह है कि यह एक आम नागरिक मामला नहीं था।'
पाकिस्तानी मीडिया ने कैसे किया कवर-
पाकिस्तान के अखबार डॉन (Dawn) ने इस फैसले पर लिखा है- 'भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक काफी पुराने मामले में विवादित जमीन को हिंदू पक्षकारों को देने का फैसला किया है, इसी स्थान पर 1992 में 16वीं शताब्दी में बनी एक मस्जिद को हिंदुओं के द्वारा गिरा दिया गया था। वहीं अब मुस्लिमों को अलग से जमीन दी गई है।'
येरुशलम मीडिया ने क्या कहा-
येरुशलम पोस्ट (The Jerusalem Post) ने लिखा है कि फैसला कड़ी सुरक्षा में आया है। इसके लेख में लिखा है, 'भारत के शीर्ष कोर्ट ने आखिरकार वही फैसला सुनाया है, जो ऐतिहासिक तथ्यों ने साबित किया है। कोर्ट ने विवादित स्थल हिंदुओं को सौंप दिया। इससे पहले देश और उत्तर प्रदेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई ताकि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो। इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरे देश ने सम्मान किया है।'
जर्मनी की मीडिया ने क्या कहा-
जर्मनी के अखबार दाइची वेले (Deutsche Welle) ने लिखा है, 'करतारपुर और राम मंदिर दोनों ही ऐतिहासिक: भारत और पाकिस्तान के बीच जहां करतारपुर कॉरिडोर खोलने की खुशी है, वहीं भारत में राम मंदिर का रास्ता साफ होने से खुशी का माहौल भी है।' बता दें इनके अलावा मध्यपूर्व की मीडिया ने भी इस मामले को कवर किया है।
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